Earthquake: उत्तरी अटलांटिक देश आइसलैंड में एक हफ्ते के अंदर 10 हजार भूकंप आ चुके हैं। क्यों खास है आइसलैंड और कैसे झेलते है ये झटके?
उत्तरी अटलांटिक देश आइसलैंड में पिछले बुधवार से लेकर अब तक दस हजार भूकंप आ चुके हैं और झटके अभी भी जारी हैं। बेहद दुर्लभ घटना में राजधानी रेक्यावीक तक सबसे तेज भूकंप महसूस किया गया। इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.7 मापी गई। इन झटकों में कोई घायल नहीं हुआ है। यूनिवर्सिटी ऑफ आइसलैंड में प्रफेसर बेनेडिक्ट हालडोरसन के मुताबिक बुधवार से भूकंप लगातार जारी हैं और सिर्फ शुक्रवार सुबह कुछ देर के लिए राहत मिली थी। यह कहना अभी मुश्किल है कि भूकंप कब रुकेगा।
नहीं हुआ नुकसान
कोरोना वायरस के चलते वर्क फ्रॉम होम करने के बावजूद लोग सुरक्षित हैं क्योंकि भूकंपों की आशंका से सावधानी पहले से बरती जा रही है। लोग अपनी कुर्सियों या बिस्तर के पास या ऊपर बड़ी अलमारी या भारी सामान नहीं रखते हैं। प्रफेसर बेनेडिक्ट के मुताबिक एक बड़े झटके के बाद धीरे-धीरे कम तीव्रता के झटके लगते रहते हैं। धरती में भरी ऊर्जा इन आफ्टरशॉक्स के जरिए रिलीज होती है। इतने भूकंप आने से कोई भी देश कांप जाएगा लेकिन आइसलैंड को दरअसल इनकी आदत हो चुकी है।
कैसे झेले इतने झटके?
बेनेडिक्ट ने बताया है, 'हमारे लिए यह रोज की बात है। हम एक भूकंप जोन के बीच में रहते हैं। इसका मतलब है कि हमें झटकों के लिए तैयार रहना होता है। भूकंप को ध्यान में रखते हुए हमारे यहां दुनिया में सबसे ज्यादा कड़ाई से इमारतें बनाई जाती हैं और हम स्कूल में सीखते हैं कि भूकंप आए तो क्या करना चाहिए।' हालांकि, नैशनल जियॉलजिकल सर्वे ऑफ डेनमार्क ऐंड ग्रीनलैंड (GEUS) में सीनियर रिसर्चर ट्राइन दाल-जेंसन के मुताबिक इतने सारे झटके लगते रहना यहां के लिए भी एक दुर्लभ घटना है।
खास है आइसलैंड
ट्राइन का कहना है, 'वहां भूकंप की आदत है लेकिन यह फिर भी अजीब है। यह कई साल में एक बार होता है।' वह आइसलैंड की वैज्ञानिक सटीकता के लिए तारीफ करते हैं। उनके पास कई छोटे-छोटे स्टेशन हैं जिनसे झटके नापे जाते हैं। आइसलैंड ऐसे जोन में आता है जहां दो महाद्वीपीय प्लेटें एक-दूसरे से दूर जाती हैं। एक ओर उत्तरी अमेरिकी प्लेट अमेरिका को यूरोप से दूर खींचती है, वहीं दूसरी ओर यूरेशियन प्लेट दूसरी दिशा में। आइसलैंड में Silfra रिफ्ट नाम का क्रैक है जिसे देखने के लिए पर्यटक और डाइव बड़ी संख्या में आते हैं।
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