वेलिंगटन गहरे सागर में रहने वाले कई जीव अंधेरे में चमकने के लिए जाने जाते हैं। अब पहली बार मरीन वैज्ञानिकों को विशाल चमकीली शार्क मिली है। रिर्चर्स ने न्यूजीलैंड के पूर्वी तट पर एक काइटफन (Kitefun) शार्क स्पॉट की थी जिसमें खुद चमकने (bioluminescence) की क्षमता है। यह शार्क छह फीट तक लंबी हो सकती है और समुद्र स्तर से 984 फीट नीचे रहती है। इसके बारे में नई खोज ने इसे चमकने वाला सबसे बड़ा वर्टिब्रेट (vertebrate यानी रीढ़ की हड्डी वाला जीव) बना दिया है। यह शार्क जहां रहती है उसे महासागर का Twilight Zone कहते हैं। यह समुद्र के 3,200 फीट नीचे तक जाता है और यहां रोशनी नहीं पहुंचती। स्टडी में पाया गया है कि क्योंकि ये ऐसी अंधेरी जगह पर रहती हैं, उनके छिपने के लिए कोई जगह नहीं होती। क्यों चमकती हैं ये शार्क वह अपने शरीर की चमक को camouflage के लिए इस्तेमाल करती हैं जो इनके लिए पानी की चमकीली सतह की तरह दिखकर खुद को छिपाने का तरीका होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि धीमी गति से तैरने वाली शार्क तेज गति से तैरने वाले अपने शिकार को पकड़ने के लिए इसका इस्तेमाल करती है ताकि छिपकर हमला कर सके। केमिकल की वजह से चमक फ्रंटियर्स इन मरीन साइंस जर्नल में छपी स्टडी बेल्जियम और न्यूजीलैंड के वैज्ञानिकों ने मिलकर की है जिन्होंने जनवरी 2020 में खोज की थी और 26 फरवरी को इसके नतीजे छपे हैं। इस प्रजाति को पहले से पहचाना गया है लेकिन bioluminescence की क्षमता पहली बार देखी गई है। इसे living light या cold light भी कहते हैं। मछली के अंदर मौजूद केमिकल लूसिफेरिन की वजह से चमक निकलती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह क्षमता हमारे ग्रह के सबसे बड़े ईकोसिस्टम में यकीनन एक बड़ी भूमिका निभाती है।
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