
फ्रांस में 15 लोगों को दुनिया से बिलकुल अगल 40 दिनों के लिए गुफा में रखा गया था। इस दौरान इन लोगों के पास न तो मोबाइल फोन था और न ही कोई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट। इतना ही नहीं, इन लोगों को समय का पता न चले, इसलिए घड़ी तक नहीं दी गई थी।

सोचिए, अगर आपको इस सुंदर दुनिया से अचानकर हटाकर 40 दिनों के लिए किसी अंधेरी गुफा में कैद कर दिया जाए तो कैसा लगेगा। फ्रांस में 15 लोगों के साथ ऐसा ही किया गया है। इन लोगों को एक वैज्ञानिक प्रयोग के लिए दुनिया से बिलकुल अगल 40 दिनों के लिए अंधेरी गुफा में रखा गया। इस दौरान लोगों के पास न तो मोबाइल फोन था और न ही कोई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट। इतना ही नहीं, इन लोगों को समय का पता न चले, इसलिए घड़ी तक नहीं दी गई थी। कैद के दौरान ये लोग सोने, उठने और खाने के लिए बॉयलॉजिकल क्लॉक का उपयोग करते थे। इस अभियान में 8 पुरुष और 7 महिलाओं ने हिस्सा लिया था। 22 अप्रैल को इनका एक्सपेरिमेंट पूरा हो गया, जिसके बाद ये उस विशाल गुफा से बाहर निकले।
40 दिनों बार मुस्कुराते चेहरों के साथ निकले बाहर

जब 40 दिनों बाद ये लोग फ्रांस के लोम्ब्रिवेस गुफा से बाहर निकले तब इन वालियंटर्स के चेहरे पर मुस्कान थी। इतने लंबे समय तक अंधेरे में रहने के बाद जब ये लोग बाहर निकले तो इन्हें आंखों की सुरक्षा के लिए विशेष चश्मा पहनने को दिया गया। वैज्ञानिकों को डर है कि अंधेरे से उजाले में आने के बाद कहीं धूप और तेज रोशनी से इनकी आंखों पर कोई बुरा असर न पड़ जाए। इस अंधेरी और नम गुफा में रहने के दौरान वैज्ञानिकों की टीम ने सभी प्रतिभागियों के सेहत पर भी नजर बनाए रखी। वैज्ञानिकों ने सेंसर्स की मदद से वालियंटर्स के नींद के पैटर्न, रहन-सहन, सामाजिक बर्ताव जैसी गतिविधियों पर नजर रखा।
फ्रांस और स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों ने की यह एक्सपेरिमेंट

डीप टाइम प्रोजक्ट नाम के एक एक्सपेरिमेंट को फ्रांस और स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों ने मिलकर किया था। इस गुफा का तापमान लगभग 10 डिग्री सेंटीग्रेड, जबकि आद्रता 100 फीसदी के आसपास थी। अंधेरी गुफा में बिना किसी रोशनी के इन वालियंटर्स ने जैसे-तैसे 40 दिन गुजारे। इस अभियान में हिस्सा लेने वाली 33 वर्षीय मरीना लानोन ने कहा कि उन्हें गुफा में कोई भी काम करने की जल्दी नहीं थी। उन्होंने कहा कि अगर मैं चाहती तो कुछ दिन और उस अंधेरी गुफा में रह सकती थी। उन्होंने कहा कि आज काफी दिनों के बाद मैंने हवा की सरसराहट को अपने शरीर पर महसूस किया है। इतने दिनों तक स्मार्टफोन से दूर रहने के कारण उन्हें कोई बड़ा असर नहीं दिख रहा।
एक्सपेरिमेंट का यह था मकसद

वैज्ञानिकों ने बताया कि इस प्रयोग का मकसद लोगों के रहने के हालात में बदलाव का अध्ययन करना और अनुकूलन का रिसर्च करना था। ये वैज्ञानिक जांचना चाहते थे कि मानव शरीर पर इन बदलाओं का क्या असर पड़ता है। ये सभी लोग शहरी लाइफस्टाइल में रहने के आदि थे, ऐसे में अचानक 40 दिनों और 40 रातों के लिए अंधेरी गुफा में रखने से शरीर पर कुछ असर भी पड़ा है। अधिकतर प्रतिभागी नींद पूरी न होने की शिकायत कर रहे थे। जब वे गुफा से बाहर निकले तो उन्हें यह तक पता नहीं था कि इस गुफा में रहते-रहते उन्होंने 40 दिन और 40 रात गुजार दिया है। यह भी देखा गया कि बिना मोबाइल फोन और समय जानें इनकी सेहत पर इसका क्या असर पड़ता है।
बिना पैसे लिए प्रयोग में शामिल हुए थे वालेंटियर

इन सभी वालेंटियर्स की उम्र 27 से 50 साल के बीच थी। इनमें से कई बॉयोलॉजिस्ट, ज्वेलर्स और मैथमेटिक्स पढ़ाने वाले टीचर थे। बड़ी बात यह है कि इन लोगों ने एक्सपेरिमेंट में शामिल होने के लिए कोई भी पैसा नहीं लिया था। इस प्रयोग को ऑर्गनाइज करने वाली टीम ने बताया कि इस प्रोजक्ट के लिए उन्होंने लगभग साढ़े आठ करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
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