Saturday, 1 May 2021

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मिस्र के पिरामिड दुनिया में सबसे प्राचीन माने जाते हैं लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स का दावा है कि सऊदी अरब में चट्टानी दीवारों से बने हजारों ढांचे उनसे भी पुराने हैं। इनकी औसत उम्र 7000 साल बताई गई है जो इन्हें सबसे प्राचीन बनाता है। 'ऐंटिक्विटी' जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक ये ढांचे उत्तर-पश्चिमी सऊदी अरब में फैले हुए हैं। दावा किया गया है कि पहले इनकी जो उम्र मानी जा रही थी, ये दरअसल उससे भी पुराने हैं। अगर ऐसा है तो ये पिरामिड और ब्रिटेन के रहस्यमय स्टोनहेंज पत्थरों से भी ज्यादा पुराने हैं।

स्टडी की रिसर्चर और यूनिवर्सिटी ऑफ ऑस्ट्रेलिया की पुरातत्वविद मेलिसा केनेडी ने बताया है कि ये हजारों ढांचे दो लाख स्क्वेयर किलोमीटर के क्षेत्र में मिले हैं और ये सभी एक से आकार में हैं।


सऊदी अरब में मिले मिस्र के पिरामिड से भी पुराने ढांचे, 7000 पहले यहां पूजे जाते थे मवेशी

मिस्र के पिरामिड दुनिया में सबसे प्राचीन माने जाते हैं लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स का दावा है कि सऊदी अरब में चट्टानी दीवारों से बने हजारों ढांचे उनसे भी पुराने हैं। इनकी औसत उम्र 7000 साल बताई गई है जो इन्हें सबसे प्राचीन बनाता है। 'ऐंटिक्विटी' जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक ये ढांचे उत्तर-पश्चिमी सऊदी अरब में फैले हुए हैं। दावा किया गया है कि पहले इनकी जो उम्र मानी जा रही थी, ये दरअसल उससे भी पुराने हैं। अगर ऐसा है तो ये पिरामिड और ब्रिटेन के रहस्यमय स्टोनहेंज पत्थरों से भी ज्यादा पुराने हैं।



एक आकार के हजारों ढांचे
एक आकार के हजारों ढांचे

रिसर्च के मुताबिक ये ढांचे ऐसे समुदाय के रहे होंगे जो जानवरों का जश्न मनाते हों। इन पर मवेशियों के झुंड की तस्वीरें मिली हैं। माना जा रहा है कि क्षेत्र के लोगों के लिए ये मवेशी अहम रहे होंगे। स्टडी की रिसर्चर और यूनिवर्सिटी ऑफ ऑस्ट्रेलिया की पुरातत्वविद मेलिसा केनेडी ने बताया है कि ये हजारों ढांचे दो लाख स्क्वेयर किलोमीटर के क्षेत्र में मिले हैं और ये सभी एक से आकार में हैं। इसलिए हो सकता है कि ये सभी एक सी मान्यता के तहत बनाए गए हों।



कैसे किया गया संपर्क?
कैसे किया गया संपर्क?

इन ढांचों में दो मोटे सिरे होते हैं जो दो या ज्यादा दीवारों से जुड़े होते हैं जो आंगन जैसे लगते हैं। इनकी लंबाई 20 से लेकर 600 मीटर तक की है। लीड रिसर्चर ह्यू थॉमस का कहना है कि जितने क्षेत्र में ये फैले हैं, इन्हें बनाने के लिए बड़े स्तर पर संपर्क किया गया होगा। रिसर्च के मुताबिक चट्टानों को दीवारों पर कुछ मीटर की ऊंचाई पर रखकर छोटे ढांचे बनाए गए जिनके सिर मोटे थे। हो सकता है कि जुलूस जैसा कुछ इनके एक तरफ से निकलता हो।



क्यों बने थे इतने ढांचे?
क्यों बने थे इतने ढांचे?

इनके बेस गोलाकार, अर्धगोलाकार दिखे जो मुख्य द्वार के बाहर थे। कुछ ढांचों में पिलर, खड़े पत्थर भी थे। अभी यह साफ नहीं है कि आखिर इतने जटिल ढांचे बनाए क्यों गए। इनमें से एक में जंगली और पालतू जानवरों के सींग और हड्डियां मिलीं। इनमें भेड़ से लेकर मवेशी भी थे। ये 5000 ईसापूर्व के आसपास के रहे होंगे।





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