Tuesday, 4 May 2021

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वॉशिंगटन कनाडा के वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह के एक लैडिंग साइट के नजदीक लावा के मलबे से ढके ग्लेशियर की खोज करने का दावा किया है। प्रसिद्ध साइंस जर्नल इकारस में प्रकाशित उनकी रिसर्च के अनुसार, मंगल पर मिला यह ग्लेशियर अंटार्कटिका में बर्फ की सतह के भीतर पाई जाने वाली हिमनद धाराओं के समान है। इस जगह की खोज मंगल के अर्काडिया प्लैनिटिया नाम के लावा से बने मैदान में की गई है। अगर बर्फ मिला तो बनेगी सदी की सबसे बड़ी खोज लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इस सतह के नीचे ग्लेशियर पाया जाता है तो इसे आजतक की सबसे बड़ी कामयाबी माना जाएगा। इससे धरती से मंगल पर अंतरिक्षयात्रियों को भेजने की कोशिशों को भी रफ्तार मिलेगी। हालांकि, यह ग्लेशियर ऐसा नहीं होगा जिससे इंसानों की प्यास खत्म हो सके। अभी यह पता करना बाकी है कि मंगल के सतह के अंदर यह ग्लेशियर कितनी मात्रा में उपलब्ध है। लावा से बने मैदान के नीचे बर्फ होने का दावा यह स्थान स्पेसएक्स और के लिए पहले से ही पेचीदा था क्योंकि इस जगह पर एक बड़ा और समतल मैदान है। इसे किसी भी अंतरिक्ष यान की लैंडिंग के लिए आदर्श माना जाता है। अगर इस मैदान के सतह के नीचे कम गहराई पर बर्फ मिलती है तो इससे अंतरिक्ष यात्रियों के हाथ आसानी से पानी का स्रोत लग सकता है। इस खोज से उत्साहित वैज्ञानिक अब आगे की खोज को लेकर तैयारियों में जुटे हुए हैं। कनाडा के वैज्ञानिकों ने किया है यह दावा कनाडा में यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ओन्टेरियो में डॉक्टरेट के छात्र शैनन हिब्बार्ड ने कहा कि नए फ्लो जैसी दिखने वाली विशेषताएं अजीब हैं क्योंकि वे समतल भूभाग पर होती हैं। हिबर्ड ने लाइव साइंस के साथ बातचीत में कहा कि इस बात के बहुत सारे सबूत हैं कि यह एक बर्फ से समृद्ध क्षेत्र है, लेकिन हमारे पास कोई स्थलीय सबूत नहीं हैं। यह ग्लेशियर एक समतल मैदान में पाया गया है, इसलिए यह आसानी से हजम होने वाली बात नहीं है। अर्काडिया प्लैनिटिया को जानिए अर्काडिया प्लैनिटिया मंगल के उत्तरी क्षेत्र में स्थित है। पिछले 3 अरब वर्षों में, इस क्षेत्र में सक्रिय लावा का प्रवाह धीमा हो गया है। यह क्षेत्र मंगल के अन्य हिस्सों की अपेक्षा ज्यादा विविधता पाई जाती है। पिछले कई साल से इस क्षेत्र को लेकर एकत्रित किए गए आंकड़ों के अनुसार, इस क्षेत्र की जमीन में हाइड्रोजन बड़ी मात्रा में उपस्थित है। पानी हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के अणुओं से मिलकर बना होता है, इसलिए हाइड्रोजन वाली सतह के नीचे बर्फ की उपस्थिति की संभावना जताई गई है।


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