
काहिरा मिस्र ने फ्रांस के साथ 30 राफेल फाइटर जेट खरीदने का करार किया है। बताया जा रहा है कि यह डील कुल करीब 4.5 अरब डॉलर की होगी। मिस्र के रक्षा मंत्रालय और फ्रांस के बीच मंगलवार को इस बड़े सौदे का ऐलान हो सकता है। बताया जा रहा है कि अफ्रीका में तुर्की के खतरनाक मंसूबों को टक्कर देने के लिए मिस्र और फ्रांस के बीच यह समझौता हुआ है। इससे पहले फ्रांस के राष्ट्रपति ने दिसंबर महीने में ऐलान किया था कि वह मिस्र की इलाके में हिंसा के खिलाफ कार्रवाई करने की क्षमता को कमजोर नहीं होने देंगे। मिस्र के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस डील को लोन के जरिए कम से कम 10 साल के लिए फाइनेंस किया जाएगा। इस डील के लिए मंगलवार को मिस्र का एक दल पेरिस पहुंच रहा है। इससे पहले फ्रांस ने ग्रीस के साथ 18 राफेल फाइटर जेट बेचने का सौदा किया था। कतर और भारत भी फ्रांस से राफेल विमान खरीद चुके हैं। मिस्र राफेल डील के साथ 24 करोड़ डॉलर की मिसाइलें भी खरीद रहा है। राफेल ने बर्बाद किया था तुर्की का सैन्य ठिकाना फ्रांस ने अभी इस सौदे पर कोई बयान नहीं दिया है। फ्रांस वर्ष 2013 से 2017 के बीच मिस्र का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर देश रहा था। मिस्र और फ्रांस के बीच सेना के पूर्व जनरल अल सीसी के सत्ता में आने के बाद बहुत घनिष्ठ संबंध रहा है। दोनों ही का पश्चिम एशिया में हित मिलते हैं। यही नहीं तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान के संदिग्ध रुख के खिलाफ मिस्र और फ्रांस एक समान राय रखते हैं। इससे पहले पिछले साल फ्रांसीसी मूल के राफेल लड़ाकू विमानों ने लीबिया में स्थित तुर्की के अल वाटिया एयरबेस पर जबरदस्त हमला बोला था। इसमें तुर्की के कई प्लेन, ड्रोन और फिक्स विंग एयरक्राफ्ट बर्बाद हो गए थे। दावा किया गया था कि हमले में तुर्की के कई सैनिक भी हताहत हुए थे। द अरब वीकली की रिपोर्ट के अनुसार, लीबिया को लेकर मिस्र और तुर्की के बीच तनाव चरम पर है। तुर्की ने लीबिया की राजधानी त्रिपोली से 125 किलोमीटर दूर नूकत अल कमस जिले में अल वाटिया एयरबेस पर अपने फाइटर जेट, ड्रोन और मिसाइल सिस्टम को तैनात किया है। जिसे मिस्र और फ्रांस अपनी सुरक्षा के लिए खतरा बताते रहे हैं। मिस्र ने कई बार इसे लेकर तुर्की को चेतावनी भी दी थी। भूमध्य सागर पर कब्जा करने का सपना देख रहे एर्दोगन लीबिया में तुर्की की उपस्थिति को लेकर मिस्र और फ्रांस ने कई बार तुर्की को चेतावनी भी दी थी। मिस्र ने तो यहां तक कह दिया था कि अगर तुर्की समर्थित मिलिशिया सिर्ते शहर की ओर आगे बढ़ते हैं तो वह सैन्य कार्रवाई करने के लिए विवश हो जाएगा। एर्दोगन भूमध्य सागर के गैस और तेल से भरे क्षेत्र पर तुर्की का कब्जा करना चाहते हैं। इसलिए आए दिन तुर्की के समुद्री तेल खोजी शिप कभी ग्रीस तो कभी साइप्रस के जलसीमा में घुस रहे हैं। इसी को लेकर ग्रीस और तुर्की में तनाव इतना बढ़ गया था कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच जंग के हालात बन गए थे। वहीं, फ्रांस समेत यूरोपीय यूनियन के कई देश ग्रीस का समर्थन भी कर रहे हैं।
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