
लाहौर पाकिस्तान को रियासत-ए-मदीना बनाने का वादा करके सत्ता में आए प्रधानमंत्री इमरान खान के राज में भी देश में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न खुलेआम जारी है। ताजा घटना में लाहौर के एक मेंटल हॉस्टिपटल के अंदन बनाए गए चर्च पर मुस्लिम नर्सों ने कब्जा कर लिया और मुस्लिम धार्मिक गीत गाने लगीं। उन्होंने स्थानीय ईसाई स्टाफ को धमकी दी कि या तो वे धर्म परिवर्तन करें नहीं तो उन्हें ईशनिंदा काले कानून का सामना करना होगा। यही नहीं मुस्लिम नर्सों ने हॉस्पिटल के प्रशासन को भी धमकी दी कि वे सभी गैर मुस्लिम कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दें। मुस्लिम नर्सों ने चर्च को अपवित्र भी किया है। पाकिस्तानी मुस्लिम नर्सों की सीनाजोरी पर अभी तक इमरान खान सरकार की ओर से कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। पाकिस्तानी पत्रकार नायल इनायत के मुताबिक ईसाई नर्सों के खिलाफ ईशनिंदा-हिंसा का यह तीसरा बड़ा मामला है। इसी साल कराची में एक नर्स और फैसलाबाद में एक नर्स के खिलाफ कथित ईशनिंदा कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है। पाकिस्तानी मुस्लिम नर्सों के इस कृत्य की सोशल मीडिया में जमकर आलोचना हो रही है। यही नहीं इमरान खान सरकार के अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने के दावे पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ-साथ पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठन भी अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं लेकिन हालात बेहतर होते नजर नहीं आ रहे। सिर्फ हिंदू नहीं, ईसाइयों, अल्पसंख्यक जातियों के साथ भी अक्सर हिंसा के मामले सामने आते हैं। कभी नाबालिग बच्चियों का अपहरण कर जबरदस्ती उनकी शादी करा दी जाती है और धर्म बदल दिया जाता है, तो कभी पूजास्थलों और घरों को निशाना बनाया जाता है।
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