Saturday, 29 May 2021

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पेइचिंग चीन अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिका को चुनौती देने के लिए तेजी से अपनी क्षमताओं को बढ़ा रहा है। इसी कड़ी में चीन ने ऐलान किया है कि उसका स्वचलित अंतरिक्षयान अभी बन रहे स्पेस स्टेशन से आसानी से जुड़ गया है। चीन का यह यान भविष्य में स्पेस स्टेशन तक आने वाले अंतरिक्षयात्रियों के लिए ईंधन और उपकरणों को लेकर पहुंचा है। चीन अपने स्पेस स्टेशन के जरिए अमेरिका के नासा को चुनौतीी देना चाहता है। दरअसल, नासा कई अन्य यूरोपीय देशों के साथ मिलकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को ऑपरेट कर रहा है। हाल में ही रूस इस स्टेशन को खतरनाक बताते हुए अलग हुआ है। इस अंतरिक्ष यान से स्पेस स्टेशन पहुंचे ये सामान चाइना मैन्ड स्पेस ने कहा तिआनझोउ-2 अंतरिक्षयान दक्षिण चीन सागर में स्थित द्वीप हैनान से प्रक्षेपित किए जाने के आठ घंटे बाद तिआन्हे अंतरिक्ष केंद्र पर पहुंचा। यह अंतरिक्ष पोशाकें, खाने-पीने की आपूर्तियां और केंद्र के लिए उपकरण एवं ईंधन लेकर पहुंचा। चीन के लगातार महत्वाकांक्षी होते अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत तियान्हे या हैवनली हार्मनी देश द्वारा शुरू किया गया तीसरा और सबसे बड़ा कक्षीय केंद्र है। 29 अप्रैल को चीन ने की थी पहली लॉन्चिंग इस केंद्र का सबसे महत्त्वपूर्ण मॉड्यूल 29 अप्रैल को शुरू किया गया था। अंतरिक्ष एजेंसी अगले साल के अंत तक कुल 11 प्रक्षेपणों की योजना बना रही है जो इस 70 टन के केंद्र तक दो और मॉड्यूल, आपूर्तियां और तीन सदस्य चालक दलों को पहुंचाएंगे। तियान्हे का प्रक्षेपण करने वाले रॉकेट के हिस्से को अनियंत्रित होकर धरती पर गिरने देने के लिए हाल में चीन की आलोचना की गई। इस बात के कोई संकेत नहीं मिले हैं कि शनिवार को प्रक्षेपित किए गए रॉकेट के साथ क्या होगा। ISS का हिस्सा नहीं है चीन बीजिंग अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (ISS) का हिस्सा नहीं है और इसकी बड़ी वजह अमेरिका की आपत्ति है। अमेरिका चीन के कार्यक्रमों की गोपनीयता और उसके सैन्य संपर्कों को लेकर सावधान रहता है। चीनी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह स्पेस स्टेशन इस साल के अंत से काम करना शुरू कर देगा। इसकी जीवन अवधि 15 साल आंकी गई है। चीनी कोर कैप्सूल की लंबाई 4.2 मीटर और डायामीटर 16.6 मीटर है। 'T' के आकार का होगा चीनी स्पेस स्टेशन चीन के अंतरिक्ष केंद्र का आकार अंग्रेजी के वर्ण टी (T) की तरह होगा जिसके मध्य में मुख्य मॉड्यूल होगा, जबकि दोनों ओर प्रयोगशाला के तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कैप्सूल होंगे। प्रत्येक मॉड्यूल का वजन 20 टन होगा और जब अंतरिक्ष केंद्र पर, अंतरिक्ष यात्री और सामान लेकर यान पहुंचेंगे तो इसका वजन 100 टन तक पहुंच सकता हैं। इस अंतरिक्ष केंद्र को पृथ्वी की निचली कक्षा में 340 से 450 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जा रहा है।


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