Wednesday, 2 June 2021

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भारत में वैक्सिनेशन तेजी से जारी है और अब 18 साल से ऊपर के लोग भी वैक्सीन लगवा सकते हैं। ऐसे में Oxford-AstraZeneca की वैक्सीन कोविशील्ड को लेकर चर्चा आम है। कई देशों, खासकर यूरोप में वैक्सीन लगने के बाद खून के थक्के जमने के मामले सामने आए हैं। भारत में भी ऐसे 25 से ज्यादा केस आ चुके हैं। ऐसे में क्या कोविशील्ड लगवाने से बचना चाहिए? इससे होने वाले गंभीर साइड इफेक्ट के लक्षण को कैसे समझा जा सकता है? और क्या इसके इलाज मुमकिन है?अमेरिकन फिजियॉलजिकल सोसायटी के सदस्य डॉ. जोसेफ रोश ने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन के लिए शताक्षी अस्थाना को बताया है कि कौन सी वैक्सीन लगवानी है, यह हर किसी को अपनी मेडिकल टीम की सलाह से तय करना चाहिए। ऑक्सफर्ड ऐस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को लेकर 7 अप्रैल, 2021 को यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी (EMA) ने एक रिपोर्ट में बताया था कि वैक्सीन लगवाने वाले 3.4 करोड़ लोगों में से 222 लोगों में खून के थक्के पाए गए। कोविड-19 के कारण मौत की दर, 2% की तुलना में यह 0.0007% है।

Covishield Vaccine के बाद Blood Clot की आशंका पर जल्द से जल्द टेस्ट करके इलाज शुरू किया जा सकता है। इसके लिए खास ब्लड थिनर और दवाइयां दी जाती हैं जो इम्यून सिस्टम को कंट्रोल करती हैं।


Covishield Blood Clots: कोविशील्ड से खून के थक्के का डर? एक्सपर्ट ने बताया क्यों वैक्सीन लगवाना है बेहतर

भारत में वैक्सिनेशन तेजी से जारी है और अब 18 साल से ऊपर के लोग भी वैक्सीन लगवा सकते हैं। ऐसे में Oxford-AstraZeneca की वैक्सीन कोविशील्ड को लेकर चर्चा आम है। कई देशों, खासकर यूरोप में वैक्सीन लगने के बाद खून के थक्के जमने के मामले सामने आए हैं। भारत में भी ऐसे 25 से ज्यादा केस आ चुके हैं। ऐसे में क्या कोविशील्ड लगवाने से बचना चाहिए? इससे होने वाले गंभीर साइड इफेक्ट के लक्षण को कैसे समझा जा सकता है? और क्या इसके इलाज मुमकिन है?

अमेरिकन फिजियॉलजिकल सोसायटी के सदस्य डॉ. जोसेफ रोश ने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन के लिए शताक्षी अस्थाना को बताया है कि कौन सी वैक्सीन लगवानी है, यह हर किसी को अपनी मेडिकल टीम की सलाह से तय करना चाहिए। ऑक्सफर्ड ऐस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को लेकर 7 अप्रैल, 2021 को यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी (EMA) ने एक रिपोर्ट में बताया था कि वैक्सीन लगवाने वाले 3.4 करोड़ लोगों में से 222 लोगों में खून के थक्के पाए गए। कोविड-19 के कारण मौत की दर, 2% की तुलना में यह 0.0007% है।



वैक्सीन लगवाने के फायदे ज्यादा
वैक्सीन लगवाने के फायदे ज्यादा

डॉ. जोसेफ के मुताबिक कोरोना वायरस के खिलाफ सुरक्षित और असरदार वैक्सीन लगवाने के फायदे, कोविड-19 के कारण होने वाली मौत या किसी लंबे वक्त तक रहने वाली परेशानी, जिसमें खून के थक्के शामिल हैं, उससे कहीं ज्यादा हैं। यह वैक्सीन adenovirus से बनाई गई है जिसे SARS-CoV-2 जैसा प्रोटीन बनाने के लिए मॉडिफाई किया गया है। वैक्सीन में कोरोना वायरस नहीं है और इसकी वजह से कोविड-19 नहीं हो सकता है।

EMA ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि ब्लड क्लॉट और कम प्लेटलेट को इस वैक्सीन का बहुत दुर्लभ साइड इफेक्ट माना जा सकता है। EMA ने इसके लिए वैक्सिनेशन के दो हफ्ते के अंदर सतर्क रहने की बात बताई थी। रिपोर्ट में बताया गया था कि खून के थक्के जमना और उसी के साथ प्लेटलेट भी कम होना बहुत दुर्लभ स्थिति है और वैक्सीन लगवाने के फायदे साइड इफेक्ट से ज्यादा हैं।



​क्यों बनते हैं खून के थक्के?
​क्यों बनते हैं खून के थक्के?

ये क्यों होते हैं, इसके लिए और स्टडी की जरूरत बताई गई लेकिन एक संभावना यह है कि इम्यून रिस्पॉन्स के ट्रिगर होने से ऐसा हो सकता है। बेकर हार्ट ऐंड डायबिटीज इंस्टिट्यूट के जेम्स मैकफेडन और कार्लहींज पीटर ने एक रिपोर्ट में बताया है कि वैक्सीन में खून के थक्के जमने की समस्या सामने आने के बाद इसे स्टडी किया गया है और इसका इलाज भी किया जा सकता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि वैक्सीन के कारण thrombotic thrombocytopenia (VITT) या thrombosis with thrombocytopenia syndrome (TTS) कैसे होता है, इसे लेकर पूरी जानकारी अभी नहीं है लेकिन एक संभावित तरीका बताया गया है।

इसके मुताबिक वैक्सीन प्लेटलेट्स को ऐक्टिवेट कर देती है। आमतौर पर प्लेटलेट्स हमारे शरीर से खून निकलने पर थक्के जमाते हैं जिससे खून निकलना बंद हो जाता है। कुछ लोगों में ये ऐक्टिवेटेड प्लेटलेट्स एक प्रोटीन रिलीज करते हैं- प्लेटलेट फैक्टर 4(P4) जो वैक्सीन से जुड़ जाता है। इसकी वजह से इम्यून सिस्टम और ज्यादा प्लेटलेट्स बनाता है जो साथ में जुड़ने लगते हैं। इससे इनकी संख्या भी गिरने लगती है। इससे खून के थक्के भी जमते हैं और प्लेटलेट कम भी होते जाते है। दोनों चीजें साथ में होने से TTS पैदा होता है।



थक्कों का इलाज मुमकिन?
थक्कों का इलाज मुमकिन?

रिपोर्ट में बताया गया है कि इसके जल्द से जल्द टेस्ट करके इलाज शुरू किया जा सकता है। इसके लिए खास ब्लड थिनर और दवाइयां दी जाती हैं जो इम्यून सिस्टम को कंट्रोल करती हैं। EMA की रिपोर्ट में भी लोगों को सलाह दी गई थी कि अगर उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो, सीने में दर्द हो, पैर में सूजन हो, पेट में लगातार दर्द हो, सिर में दर्द हो या देखने में दिक्कत हो और इंजेक्शन की जगह पर छोटे-छोटे ब्लड स्पॉट दिखें, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। पहले इसके कारण जान गंवाने वालों का प्रतिशत काफी ज्यादा था लेकिन समझ बढ़ने के साथ ही खतरा भी कम हो गया है। आमतौर पर लोगों को हल्के साइड इफेक्ट होते हैं जो कुछ दिन में ठीक हो जाते हैं।

वैक्सीन को लेकर आशंका की स्थिति हो सकती है लेकिन एक्सपर्ट्स और कई देशों के रेग्युलेटर्स का मानना है वायरस का खतरा ज्यादा बड़ा है। कोविड-19 के कारण खून के थक्के जमने की संभावना, वैक्सीन से ज्यादा है। EMA ने इसे वैक्सीन का बेहद दुर्लभ साइड इफेक्ट बताया है और ब्रिटेन का कहना है वैक्सीन और क्लॉट्स के बीच लिंक को स्टडी करने लिए और ज्यादा रिसर्च की जरूरत है। वहीं WHO ने का कहना है कि यह अभी पुख्ता नहीं है।





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