दुबई धरती पर सबसे गरम जगहों में से एक संयुक्त अरब अमीरात में पारा 50 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है। तपती गर्मी से निजात पाने के लिए अब एक खास तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के साथ मिलकर ड्रोन टेक्नॉलजी की मदद से यहां आर्टिफिशल बारिश की जा रही है। देश के राष्ट्रीय मौसम केंद्र ने इससे मिली सफलता का फुटेज भी शेयर किया है। कैसे होती है बारिश? इस तकनीक के जरिए बादलों को इलेक्ट्रिक शॉक दिया जाता है जिससे बारिश होती है। उम्मीद की जा रही है कि इस तकनीक को ट्रिगर की तरह इस्तेमाल करके बारिश की मात्रा को बढ़ाया जा सकेगा। ड्रोन टेक्नॉलजी की मदद से बादलों को जब इलेक्ट्रिक शॉक दिया जाता है तो वे आपस में जमा होने लगते हैं जिससे बारिश होती है। मौसम केंद्र का कहना है कि Cloud seeding के जरिए बारिश की मात्रा को भी बढ़ाया जा सकता है। UAE दुनिया के 10 सबसे गर्म देशों में से एक है। यहां साल में सिर्फ तीन इंच औसतन बारिश होती है। बारिश बढ़ाने के लिए 1.5 करोड़ डॉलर के प्रॉजेक्ट चलाए जा रहे हैं और Cloud seeding भी उसी का हिस्सा है। बादल हैं पर्याप्त इससे पहले ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के प्रफेसर मार्टीन ऐमबॉम ने BBC को बताया था कि UAE में बारिश के लिए बादलों की मात्रा पर्याप्त है। ड्रोन चार्ज रिलीज करके पानी की बूंदों को एक साथ चिपकने में मदद करता है। जब ये बूंदें बड़ी और भारी हो जाती हैं, तब बारिश होती है। इस प्रोग्राम की डायरेक्टर आलया अल-मजरोई ने अरब न्यूज को बताया था कि इलेक्ट्रिक चार्ज रिलीज करने वाले उपकरण ड्रोन हवा में ले जाते हैं और वहां बादलों में हलचल पैदा करते हैं जिससे बारिश होती है। इसके लिए पहले से यह देखा जाता है कि बादलों की स्थिति क्या है। जैसे ही बादल बनते देखे जाते हैं, ड्रोन लॉन्च कर दिए जाते हैं। ऐसा भी नहीं है कि हर बार चार्ज देने पर बारिश होती ही है लेकिन ज्यादातर होती है।
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