Friday 23 July 2021

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इस्लामाबाद पाकिस्तान में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच बड़ी-बड़ी चुनावी रैलियों को संबोधित कर रहे हैं। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर आयोजित एक रैली में इमरान खान ने अवाम का वोट पाने के लिए (रेफरेंडम) का पासा फेंका। उन्होंने लोगों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए मंच से ही पीओके को पाकिस्तान के एक प्रांत के रूप में बदलने के दावे को खारिज कर दिया। कश्मीरियों को देंगे 'भारत/पाकिस्तान' चुनने का अधिकार पीओके के सुधानहोटी जिले के तरार खल में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा कि मुझे नहीं पता कि पीओके को प्रांत बनाने की बातें कहां से आई हैं। हालांकि, मैं अब जो स्पष्ट करना चाहता हूं, वह यह है कि 1948 में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो प्रस्ताव थे, जो कश्मीर के लोगों को अपना भविष्य तय करने का अधिकार देते थे। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के अनुसार, लोगों को यह तय करना था कि क्या वे हिंदुस्तान में शामिल होना चाहते हैं या पाकिस्तान में? 'इंशाअल्लाह! पाकिस्तान में शामिल होंगे कश्मीरी' इमरान खान ने कहा कि मैं आज आप सभी को स्पष्ट करना चाहता हूं। इंशाअल्लाह, एक दिन आएगा, जब कश्मीर के लोगों द्वारा किए गए सभी बलिदान बर्बाद नहीं होंगे। भगवान आपको वह अधिकार देगा। एक जनमत संग्रह होगा, इंशाअल्लाह। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उस दिन लोग पाकिस्तान के साथ रहना पसंद करेंगे। 'यूएन के बाद पाकिस्तान करवाएगा दोबारा रेफरेंडम' पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के जनमत संग्रह के बाद, उनकी सरकार एक और जनमत संग्रह कराएगी, जहां कश्मीर के लोगों को या तो पाकिस्तान के साथ रहने या एक स्वतंत्र राज्य बनने का विकल्प दिया जाएगा। पीएम इमरान खान ने कहा कि कश्मीरियों का स्वतंत्रता संग्राम विभाजन से पहले का है और 100 साल से भी पहले शुरू हुआ था, जब लोग डोगरा सरकार के खिलाफ बार-बार खड़े हुए थे। चुनाव में धांधली की आशंका पर इमरान का पलटवार पीओके में रविवार को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जिसके पहले ही पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियों ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया है। इसपर जवाब देते हुए इमरान खान ने कहा कि पहले से ही चर्चा है कि चुनाव में धांधली होगी। उन्होंने कहा कि जब हम क्रिकेट खेलते थे, तो मेजबान देशों के लिए अपने स्वयं का अंपायर होता था। उस समय जो टीमें एक शक्तिशाली टीम के खिलाफ हारने से डरती थीं, वे दूसरे देश के अंपायर के कारण मैच हारने के बारे में पहले से ही शोर मचाती थीं।


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