वॉशिंगटन अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और इराक के प्रधानमंत्री मुस्तफा अल काजिमी के बीच इराक में 18 साल बाद अमेरिकी सेना के लड़ाकू मिशन को खत्म करने पर समझौता हो गया है। दोनों नेताओं ने सोमवार को औपचारिक रूप से एक समझौते पर हस्ताक्षर किया। इसके मुताबिक वर्ष 2021 के अंत तक इराक में लड़ाकू मिशन खत्म हो जाएगा। इससे पहले अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने 18 साल पहले सद्दाम हुसैन के शासन को उखाड़ फेकने के लिए इराक में सेना भेजी थी। हालांकि अभी कुछ अमेरिकी सेना इराक में सेना और पुलिस को ट्रेनिंग देने के लिए मौजूद रहेगी। इससे पहले अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपने सभी सैनिक वापस बुलाने का फैसला किया था। इस तरह दोनों ही देशों में करीब दो दशक तक चले अमेरिकी सैन्य अभियान का खात्मा हो गया है। बाइडन और काजिमी के बीच ओवल ऑफिस में पहली बार आमने-सामने की बैठक हुई। 'लड़ाकू मिशन इस साल के आखिर तक खत्म हो जाएगा' यह बातचीत इराक और अमेरिका के बीच रणनीतिक संवाद का हिस्सा थी। काजिमी से मुलाकात के बाद बाइडन ने कहा, 'हमारी इराक में भूमिका....मौजूद रहने की, प्रशिक्षण देने की, सहायता देने की और आईएस के खिलाफ मदद देने और उसका सामना करने में आवश्यक प्रशिक्षण देने की रहेगी। हालांकि हम युद्ध लड़ने नहीं जा रहे हैं। हमारा लड़ाकू मिशन इस साल के आखिर तक खत्म हो जाएगा।' बाइडन प्रशासन के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अमेरिकी सैन्य मिशन का मकसद इस्लामिक स्टेट (आईएस) को हराने में इराक की मदद करना था। साल के अंत तक उसकी भूमिका को इराकी सेना को सलाह और प्रशिक्षण देने में तब्दील कर दिया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि इराकी बलों ने अपने जौहर दिखाए हैं और साबित किया है कि वह अपने मुल्क की रक्षा करने में सक्षम हैं। अधिकारी ने कहा कि फिर भी बाइडन प्रशासन का मानना है कि आईएस से अब भी काफी खतरा है। 'इराकी धरती पर किसी विदेशी लड़ाकू बल की जरूरत नहीं है' आईएस अब 2017 जितना ताकतवर नहीं है, लेकिन उसने दिखाया है कि वह ऐसे हमले कर सकता है जिसमें ज्यादा तादाद में लोग हताहत हों। पिछले हफ्ते, उसने बगदाद के एक बाजार में सड़क किनारे किए गए बम विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी जिसमें 30 लोगों की मौत हुई थी। अमेरिका और इराक अप्रैल में इस बात पर सहमत हो गए थे कि इराक में अमेरिका की भूमिका सैनिकों को सलाह देने और प्रशिक्षित करने की हो तथा वे लड़ाकू भूमिका में न रहे। हालांकि इसकी कोई तारीख तय नहीं हो पाई थी। बहरहाल, यह घोषणा ऐसे समय में हो रही है जब इराक में 10 अक्टूबर को चुनाव होने हैं जिसके कुछ महीने ही बचे हैं। अल-काज़िमी ने अमेरिका की यात्रा पर रवाना होने से पहले साफ किया था कि उनका मानना है कि वक्त आ गया है कि अमेरिका अपना लड़ाकू मिशन खत्म करे। उन्होंने कहा, 'इराकी धरती पर किसी विदेशी लड़ाकू बल की जरूरत नहीं है।' इराक में पिछले साल के अंत से अमेरिकी सैनिकों की संख्या करीब 2500 है जब तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बलों की संख्या को घटाकर तीन हजार करने का निर्देश दिया था।
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