Monday, 26 July 2021

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पेइचिंग दुनिया पर बादशाहत कायम करने की मानसिकता रखने वाले चीनी ड्रैगन ने रूस, अमेरिका और भारत को टक्‍कर देने के लिए 110 परमाणु मिसाइल साइलो का निर्माण कर रहा है। चीन का यह दूसरा मिसाइल ठिकाना शिंजियांग प्रांत में हामी शहर के पास रेगिस्‍तान में स्थित है और ताजा सैटलाइट तस्‍वीरों से इसका खुलासा हुआ है। सबसे खतरनाक बात यह है कि किलर मिसाइल साइलो भारत से मात्र 2000 किमी की दूरी पर स्थित है। चीन के पास ऐसी कई मिसाइलें हैं जिनकी रेंज में समूचा भारत आता है। साइलो एक तरह से स्टोरेज कंटेनर होते हैं, जिनके अंदर लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें रखी जाती हैं। इससे पहले चीन के उत्तर-पश्चिमी शहर युमेन के पास रेगिस्तान में इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए 100 नए साइलो का निर्माण करने का खुलासा हुआ था। फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्‍ट ने ताजा तस्‍वीरों के आधार पर बताया कि चीन ने दूसरे मिसाइल साइलो के लिए खुदाई शुरू कर दी है। 800 वर्ग किलोमीटर के इलाके में सड़कों का जाल बिछाया अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कहा कि इस विस्‍तार से चीन की परमाणु हमला करने की ताकत काफी बढ़ जाएगी। चीन में हामी और यूमेन दोनों ही ऐसी जगहें हैं जहां पर अमेरिका अपनी परंपरागत क्रूज मिसाइलों के जरिए हमला नहीं कर सकता है। ऐसे में अमेरिका को इन्‍हें तबाह करने के लिए खासतौर पर अपनी परमाणु मिसाइलों का इस्‍तेमाल करना होगा। वैज्ञानिकों ने बताया कि 800 वर्ग किलोमीटर के इलाके में सड़कों का जाल बिछा दिया गया है। उन्‍होंने कहा कि मिसाइल साइलो का निर्माण इसी साल शुरू हुआ है। वैज्ञानिकों ने कहा कि चीन ने कई साल तक चुप्‍पी साधने के बाद अब दुनिया को अपनी ताकत का अहसास कराना शुरू कर दिया है। वर्ष 1960 के दशक में परमाणु बम का परीक्षण करने के बाद चीन ने कई दशक तक न्‍यूनतम परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने पर बल दिया था। माना जाता है कि चीन के पास 300 परमाणु बम थे लेकिन अब शी जिनपिंग के नेतृत्‍व में ड्रैगन बहुत तेजी से परमाणु बमों का जखीरा बढ़ा रहा है। अमेरिकी वैज्ञानिक मैट कोर्दा और हांस एम क्रिस्‍टेंशन ने कहा, 'यूमेन और हामी में साइलो का निर्माण अब तक का चीन का सबसे बड़ा परमाणु हथियारों का विस्‍तार है।' उन्‍होंने कहा कि अब तक चीन केवल 20 साइलो का इस्‍तेमाल करता रहा है जो उसने डीएफ-5 मिसाइल के लिए बनाया है। इन नए मिसाइल साइलो के निर्माण से चीन के पास 230 नए मिसाइल साइलो हो जाएंगे। अमेरिका और भारत के परमाणु विस्‍तार पर चीन की नजर वैज्ञानिकों ने कहा कि इस नए विस्‍तार की तीन वजहें हो सकती हैं। पहला चीन अब अपनी बढ़ी हुई आर्थिक, तकनीकी और सैन्‍य ताकत के मुताबिक परमाणु बमों का जखीरा बनाना चाहता है। दूसरी वजह यह है कि चीन अमेरिका के मिसाइल डिफेंस और भारत के बढ़ते परमाणु हथियारों से टेंशन में है। उन्‍होंने कहा कि भारत इन दिनों बहुत तेजी से अपनी परमाणु ताकत को बढ़ा रहा है। रूस ने हाइपरसोनिक और ऑटोनॉमस हथियारों को बना लेने का ऐलान किया है। ऐसी संभावना है कि चीन इन सबके खिलाफ प्रभावी ताकत हासिल करना चाहता है। तीसरी वजह यह है कि चीन को डर है कि उसकी मिसाइलें दुश्‍मन के हमले में तबाह हो सकती हैं, ऐसे में वह 200 से ज्‍यादा मिसाइल साइलो बना रहा है। दो जगहों पर ठिकाना बनाने से अमेर‍िका को यह पता नहीं चल पाएगा कि कहां पर ज्‍यादा परमाणु मिसाइले हैं। क्या होती हैं इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों की रेंज काफी ज्यादा होती हैं। ये एक महाद्वीप से उड़कर दूसरे महाद्वीप तक हमला करने में सक्षम होती हैं। इनमें बैलिस्टिक मिसाइलें अपनी लॉन्च साइट से उड़कर अंतरिक्ष के रास्ते सफर करते हुए लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेद सकती हैं। ये मिसाइलें परंपरागत और परमाणु हथियार के साथ मार कर सकती हैं। चीन के पास डीएफ-5 और डीएफ-41 जैसी घातक मिसाइलें है, जो अमेरिका तक मार करने में सक्षम हैं। अमेरिका ने शुरू किया था साइलो का निर्माण शीतयुद्ध के दौरान अमेरिका ने रूस के रणनीतिकारों से अपनी मिसाइलों को छिपाने के लिए साइलो का निर्माण शुरू किया था। इससे रूसी सैन्य रणनीतिकारों को यह पता नहीं चल पाता था कि अमेरिका के कौन से मिसाइल बेस पर कितनी परमाणु मिसाइलें तैनात हैं। ऐसे में वह हमला करने का जोखिम नहीं उठाते थे।


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