ल्हासा बर्फ अपनी परतों में धरती के प्राचीन इतिहास के ऐसे कई राज दफन किए होती है जिनके बारे में इंसान को अंदाजा भी नहीं होता। ऐसा ही कुछ चीन में सामने आया है। वैज्ञानिकों को यहां एक ग्लेशियर में 33 वायरस के जेनेटिक कोड मिले हैं। इनमें से कम से कम 28 पहले कभी नहीं देखे गए। माना जा रहा है कि ये वायरस करीब 15 हजार साल पुराने हैं और बर्फीली चट्टान में ये रहने के कारण आज तक बचे रहे। ये मिलने से वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ऐसे ही दूसरे पर्यावरण में भी खोज की जा सकती है। आगे चलकर मंगल जैसे ग्रहों पर जीवन की खोज में भी मदद मिल सकती है। इस रिसर्च के सह-लेखक और ओहायो के माइक्रोबायोम सेंटर के निदेशक मैथ्यू सलिवन ने बताया है कि ये वायरस बेहद कठिन पर्यावरण में भी पनपते रहे। इनमें ऐसे जीन हो सकते हैं जो ऐसा करने में मदद करते हैं। इन जीन्स को खोजना मुश्किल होता है क्योंकि बर्फ से निकालने से लेकर स्टडी करने तक कई सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। चीन में तिब्बत के पठारी इलाके से गूलिया आइस कैप पर आइस कोर लेकर उनका अनैलेसिस किया गया था। इनमें हर साल के पर्यावरण की प्रोफाइल मिलती है। इनकी मदद से रिसर्चर क्लाइमेट चेंज से लेकर सूक्ष्म जीवियों के सबूत भी खोजते हैं। मंगल पर जीवन की खोज में मदद स्टडी के लीड रिसर्चर झी-पिंग झॉन्ग का कहना है, ‘ये ग्लेशियर धीरे-धीरे बने थे और यहां धूल, गैसें और वायरस भी जमा हो गए।’ ये ऐसे वायरस से मेल खाते हैं जो बैक्टीरिया को इन्फेक्ट करते हैं और मिट्टी या पौधों से निकलते हैं। जिस तरीके का इस्तेमाल करके यहां वायरस खोजे गए हैं, वैसी ही तकनीक मंगल ग्रह जैसी जगहों पर जीवन की खोज में मदद कर सकती है।
from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/2UzX03L
via IFTTT
No comments:
Post a Comment