Friday, 2 July 2021

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वॉशिंगटन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इन दिनों अमेरिकी मीडिया को इंटरव्यू देकर बाइडन प्रशासन को रिझाने में लगे हुए हैं। जून में ही पाकिस्तानी एनएसए ने अमेरिकी समकक्ष से बात कर आपसी रिश्तों को समानता के आधार पर मजबूत करने की वकालत की। अब अमेरिका के दो विशेषज्ञों ने कहा है कि अमेरिका के साथ संबंध सुधारने की पाकिस्तान की इच्छा तबतक पूरी नहीं हो सकती जबतक वह आतंकवाद की नीति और भारत-चीन के साथ अपने रिश्तों में बदलाव नहीं करता है। अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों पर क्या बोले विशेषज्ञ? ‘अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाओं की वापसी के बाद अमेरिका-पाकिस्तान संबंध’ के विषय पर आयोजित एक सम्मेलन में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की पूर्व वरिष्ठ निदेशक और सेंटर फॉर न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी में सीनियर फेलो लीजा कर्टिस ने कहा कि रणनीतिक साझेदारों को रणनीतिक हितों पर एकमत होने की जरूरत है। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में पाकिस्तान तथा अमेरिका के बीच अफगानिस्तान और चीन को लेकर सहमति नहीं है। पाकिस्तान सरकार पर हमला कर सकते हैं तालिबानी हडसन इंस्टीट्यूट द्वारा मंगलवार को आयोजित सम्मेलन में कर्टिस ने कहा कि तालिबान का समर्थन करने की पाकिस्तान की नीतियां उसके अपने हित में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर तालिबान अफगानिस्तान में सत्ता हासिल कर लेता है और ऐसा लगता है कि हम उसी दिशा में जा रहे हैं, तो पाकिस्तान में उन आतंकवादियों की ओर से बदले की कार्रवाई होगी जो पाकिस्तान की सरकार को निशाना बनाना चाहते हैं। हुसैन हक्कानी कर रहे थे कार्यक्रम का संचालन उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को भारत के साथ बिना असहमति के कुछ बिंदुओं पर काम करना होगा। सम्मेलन का संचालन हुसैन हक्कानी कर रहे थे जो हडसन इंस्टीट्यूट में दक्षिण और मध्य एशिया के निदेशक हैं। हुसैन हक्कानी अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रह चुके हैं। उन्हें पाकिस्तान के कट्टरपंथी गद्दार के रूप में देखते हैं। पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर अमेरिका सतर्क ओबामा प्रशासन में वाइट हाउस में सेवा दे चुके जोशुआ वाइट ने कहा कि अमेरिका, अफगानिस्तान से सेनाएं वापस बुलाने के दौरान एक बार फिर पाकिस्तान पर अपनी निर्भरता बढ़ा रहा है। लेकिन, इस बार वह पाकिस्तान का सहयोग लेने के लिए उसे वित्तीय सहायता देने की जल्दबाजी नहीं दिखाना चाहता। अमेरिका के भीतर पाकिस्तान का विरोध ज्यादा वाइट ने कहा, “अमेरिका सैन्य सामान खरीदने का प्रस्ताव दे सकता है, किसी प्रकार का सुरक्षा सहयोग दे सकता है, आर्थिक सहायता दे सकता है और वह पाकिस्तान से मिली सहायता के बदले में एक वाजिब कीमत होगी।” उन्होंने कहा, “लेकिन इस बार पाकिस्तान को बड़े स्तर पर वित्तीय या सुरक्षा सहायता देने के लिए अमेरिका के भीतर समर्थन नहीं है।”


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