जनवरी 2021 को यूएस कैपिटल पर ट्रंप समर्थकों के हमले के दौरान यह काले रंग का सूटकेस दंगाइयों के हाथ आते-आते बचा था। जब उपद्रवियों ने कैपिटल बिल्डिंग में प्रवेश किया तब इस सूटकेस की एक कॉपी अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस के साथ चल रहे सीक्रेट सर्विस एजेंट के पास थी।
अमेरिका में इन दिनों राष्ट्रपति के साथ चलने वाले काले रंग के सूटकेस 'न्यूक्लियर फुटबॉल' के सुरक्षा की खूब चर्चा हो रही है। दरअसल, एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 6 जनवरी 2021 को यूएस कैपिटल पर ट्रंप समर्थकों के हमले के दौरान यह काले रंग का सूटकेस दंगाइयों के हाथ आते-आते बचा था। जब उपद्रवियों ने कैपिटल बिल्डिंग में प्रवेश किया तब इस सूटकेस की एक कॉपी अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस के साथ चल रहे सीक्रेट सर्विस एजेंट के पास थी। यूएस वर्जिन आइलैंड्स के प्रतिनिधि सभा के डेलिगेट स्टेसी प्लास्केट ने बताया कि उस समय दंगाई माइक पेंस के छिपने की जगह के 100 फीट के भीतर आ गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि ईश्वर की कृपा से यह सूटकेस दंगाइयों के हाथ में नहीं आया। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि अगर यह बैग किसी दंगाई के हाथ में आ जाता तो क्या परमाणु हमला हो सकता था?
न्यूक्लियर फुटबॉल का गायब होना कितना खतरनाक?
एशिया टाइम्स ने अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों के हवाले से बताया है कि किसी बाहरी व्यक्ति के हाथ में आने से इस सूटकेस से दुनिया को कोई खतरा नहीं होता। उनका मानना है कि ऐसे किसी आम व्यक्ति के पास परमाणु मिसाइल को फायर करने के लिए लॉन्च कोड नहीं होगा। लेकिन, कैपिटल हिल की घटना के बाद से पेंटागन के इंस्पेक्टर जनरल इस बात का मूल्यांकन कर रहे हैं कि क्या न्यूक्लियर फुटबॉल के रूप में जाना जाने वाला सूटकेस गायब होने की स्थिति में अमेरिकी रक्षा विभाग ने पर्याप्त योजना बनाई है? 19 जुलाई को लिखे एक पत्र में पेंटागन के आईजी ऑफिस ने अधिकारियों को न्यूक्लियर फुटबॉल ब्रीफकेस खो जाने, चोरी हो जाने या किसी तरह से समझौता किए जाने की स्थिति में कार्रवाई करने के लिए मौजूदा योजनाओं की समीक्षा करने का आदेश दिया है।
क्या है 'न्यूक्लियर फुटबॉल' और 'बिस्किट'?
अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ हमेशा एक काले रंग का सूटकेस होता है। इसमें जंग की योजनाएं, हमले की मंजूरी देने के कम्प्यूटर कोड्स और कम्यूनिकेशन डिवाइस होते हैं। इसका वजन करीब 20 किलो होता है। इसे 'न्यूक्लियर फुटबॉल' भी कहते हैं। वहीं, 'बिस्किट' एक कार्ड होता है, जिस पर न्यूक्लियर लॉन्च कोड्स लिखे होते हैं। इस कार्ड को अमेरिकी राष्ट्रपति हमेशा अपने पास रखते हैं। राष्ट्रपति के असमर्थ होने की स्थिति से निपटने के लिए ऐसा ही एक न्यूक्लियर फुटबॉल उप राष्ट्रपति के पास भी होता है। इसके अलावा एक और काले रंग की किताब इस ब्रीफकेस में होती है जिसमें किसी हमले की सूरत में छिपने के ठिकाने के बारे में पूरी जानकारी होती है। ट्रंप के इसी ब्रीफकेस के अंदर एक आपातकालीन ब्राडकॉस्ट सिस्टम होता है। इसी न्यूक्लियर फुटबॉल के अंदर 3 से 5 इंच लंबा एक कार्ड होता है जिसमें परमाणु बम हमले की पुष्टि करने वाले कोड लिखे होते हैं। देखने में क्रेडिट कार्ड लगने वाले इसी कार्ड को 'बिस्किट' कहा जाता है। इस बिस्किट में 5 अलार्म लगे होते हैं और अगर यह खो जाता है तो उसे बजाया जाता है। ब्रीफकेस के अंदर एक एंटेना लगा संचार उपकरण होता है जिसके अमेरिकी राष्ट्रपति दुनिया के किसी कोने से तत्काल कहीं भी बात कर सकता है।
क्या बटन दबाकर न्यूक्लियर हमला कर सकते हैं अमेरिकी राष्ट्रपति?
तकनीकी तौर पर ऐसा कोई लाल बटन नहीं होता है, जिसे दबाकर परमाणु हमला किया जा सकता है। इसके लिए कुछ तयशुदा नियमों व प्रक्रियाओं के पालन करके हाइटेक इक्विपमेंट्स के जरिए सेना को परमाणु हमले का निर्देश दिया जाता है। इन इक्विपमेंट्स के इस्तेमाल का मकसद यही है कि अमेरिकी सेना इस बात की पुष्टि कर सके कि आदेश देने वाले खुद उनके कमांडर इन चीफ हैं। हालांकि, जंग का ऐलान करने का अधिकार अमेरिकी कांग्रेस के पास है, राष्ट्रपति के पास नहीं। लेकिन कई राष्ट्रपतियों ने आधिकारिक तौर पर जंग का ऐलान न करते हुए सैन्य टुकड़ियों को मोर्चे पर भेजा है। अमेरिकी कांग्रेस ने सिर्फ पांच बार जंग का ऐलान किया है। वहीं राष्ट्रपतियों ने बिना जंग की घोषणा किए 120 बार से ज्यादा सेना को युद्ध के लिए भेजा है।
'न्यूक्लियर फुटबॉल' कौन लेकर चलता है?
राष्ट्रपति का कोई बेहद नजदीकी ही न्यूक्लियर फुटबॉल को लेकर उनके साथ चलता है। राष्ट्रपति वाइट हाउस में हों, कार में, हवाई यात्रा पर हों या विदेश में, यह सूटकेस हमेशा उनके साथ होता है। राष्ट्रपति का यह सहयोगी उनके साथ एक ही लिफ्ट में चलता है। उसी होटल में ठहरता है, जहां वे ठहरे हों। यहां तक कि राष्ट्रपति को सुरक्षा देने वाले सीक्रेट सर्विस के अधिकारी इस शख्स की भी हिफाजत करते हैं। सूटकेस एक लेदर स्ट्रैप के जरिए उसके हाथों से बंधा होता है।
क्यों खतरनाक है यह न्यूक्लियर फुटबॉल?
अमेरिकी राष्ट्रपति के न्यूक्लियर हमला शुरू करने के अधिकार पर रोक लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है। हालांकि, कुछ तरीके ऐसे हैं जिनके जरिए उनके फैसले की रफ्तार को धीमा किया जा सकता है। अगर ऐसा लगता है कि अमेरिका पर न्यूक्लियर हमले का खतरा है तो इसकी गंभीरता को आंकते हुए जवाबी कार्रवाई का फैसला करने के लिए राष्ट्रपति के पास कुछ मिनटों का ही वक्त होता है। उनके एक इशारे पर 925 न्यूक्लियर बम पूरी दुनिया में तबाही मचाने के लिए लॉन्च हो सकते हैं। ये बम हिरोशिमा में फटे बम से 17 हजार गुना ज्यादा तबाही मचा सकते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति चाहें तो न्यूक्लियर हमले की पहल भी कर सकते हैं।
जब न्यूक्लियर फुटबॉल ने पूरी दुनिया को डराया
कई बार ऐसा हुआ है जब न्यूक्लियर फुटबॉल ने अमेरिका समेत पूरी दुनिया को डरने के लिए मजबूर कर दिया। 2000 में तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने अपना 'बिस्किट' कई महीनों के लिए गुम कर दिया। हालांकि, बाद में इसे ढूंढ निकाला गया। इसी तरह 1981 में तत्कालीन राष्ट्रपति रीगन पर हमला होने के बाद ऐसी ही घटना हुई। उनका सहयोगी न्यूक्लियर फुटबॉल लेकर अस्पताल नहीं पहुंच पाया। वहीं, ऑपरेशन थिएटर में ले जाने से पहले रीगन के कपड़े उतारे गए थे। बाद में 'बिस्किट' अस्पताल में एक प्लास्टिक बैग में लावारिस पड़ा हुआ मिला था।
फुटबॉल में है 6000 परमाणु बम का 'कंट्रोल'
एक अनुमान के मुताबिक अमेरिका के पास करीब 6,185 परमाणु बम हैं जिससे पूरी दुनिया को कई बार तबाह किया जा सकता है। इन परमाणु बमों में से 1365 को बमवर्षक विमानों, सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों और परमाणु पनडुब्बियों में लगी मिसाइलों में तैनात किया गया है। एक बार जब अमेरिकी राष्ट्रपति परमाणु हमले के लिए स्वीकृति दे देता है तो व्हाइट हाउस में बने वॉर रुम का काम होता है, उसे जल्द से जल्द लागू करना। अमेरिकी राष्ट्रपति 'गो कोड' दे देता है तो उसे कोई अन्य अधिकारी नहीं रोक सकता है। इसके बाद मिसाइलों को दागा जाता है। एक बार जब मिसाइलें दाग दी जाती हैं तो उन्हें वापस बुलाना असंभव होता है। इसका परिणाम भीषण तबाही होता है।
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