इस्लामाबाद पाकिस्तान में इमरान खान के फोन केइजरायली जासूसी साफ्टवेयर पेगसास के जरिए हैक होने की खबर से बवाल मचा हुआ है। पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री फर्रुख हबीब ने मंगलवार को संदेह जताया कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के कार्यकाल में इमरान खान का फोन हैक हुआ था। हबीब ने कहा कि ऐसी आशंका है कि नवाज शरीफ ने भारत के प्रधानमंत्री और अपने 'दोस्त' नरेंद्र मोदी के जरिए इजरायली साफ्टवेयर की मदद से इमरान खान का फोन हैक कराया। हबीब ने कहा कि मोदी सरकार भी एनएसओ ग्रुप के ग्राहकों में शामिल है। उन्होंने फैसलाबाद में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'नवाज शरीफ ने मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लिया था और जम्मू कश्मीर के हुर्रियत नेताओं से मुलाकात नहीं की थी।' हबीब ने कहा कि देश में यह सवाल उठ रहा है कि क्यों प्रधानमंत्री इमरान खान का फोन हैक किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि नवाज शरीफ का जजों के फोन टैप करने का लंबा इतिहास रहा है। भारत के जासूसी के मुद्दे को जरूरी मंचों पर उठाएगा पाक इससे पहले पाकिस्तान ने कहा था कि वह भारत के जासूसी के इस मुद्दे को जरूरी मंचों पर उठाएगा। पाकिस्तान के सूचना प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि उनका देश प्रधानमंत्री इमरान खान के फोन की भारत से हैकिंग के मुद्दे पर और ज्यादा डिटेल की प्रतीक्षा कर रहा है। चौधरी ने कहा कि जैसे ही इमरान खान के फोन की हैकिंग का पूरा डिटेल आने पर इसे उचित मंचों पर उठाया जाएगा। पाकिस्तानी मीडिया में आई खबरों में कहा गया था कि हैक किए जा रहे फोन्स की लिस्ट में एक नंबर इमरान खान का भी है। एक दावे के मुताबिक भारत समेत कई देशों की सरकारों ने 150 से ज्यादा पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य ऐक्टिविस्ट्स की जासूसी कराई है। पाकिस्तान के कई सौ नंबर भी इसमें शामिल डॉन अखबार में द पोस्ट के हवाले से दावा किया गया है कि भारत के कम से कम एक हजार नंबर सर्विलांस लिस्ट में शामिल थे जबकि पाकिस्तान के कई सौ नंबर भी इसमें थे। इनमें से एक नंबर ऐसा था जिसका इस्तेमाल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी करते थे। हालांकि, पोस्ट ने यह साफ नहीं किया है कि इमरान के नंबर को हैक करने की कोशिश सफल रही या नहीं। भारत के कई नंबर शामिल वहीं, भारत में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम लिस्ट में मिलने से राजनीतिक तूफान और बढ़ गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत के 300 नंबर मंत्रियों, विपक्षी नेताओं से लेकर पत्रकारों और वैज्ञानिकों तक के हैं। भारत में रिपोर्ट सामने आने के बाद पाकिस्तानी केंद्रीय मंत्री फवाद चौधरी ने चिंता जताई थी और भारत की मोदी सरकार पर देश का ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाया था। साल 2019 में भारत सरकार ने इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल का खंडन किया था। सबसे पहले 2016 में यह मालवेयर चर्चा में आया ता जब रिसर्चर्स ने संयुक्त अरब अमीरात के एक शख्स की जासूसी का आरोप इजरायल के NSO समूह पर लगाया था जो यह सॉफ्टवेयर बनाता है।
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