दोहा अफगानिस्तान में जंग जैसे हालात के बीच कतर की राजधानी दोहा में आयोजित बैठक में अफगान सरकार और तालिबान के बीच बातचीत बेनतीजा रही। इस बीच दोनों पक्षों ने एक संयुक्त बयान जारी करके कहा है कि आने वाले समय में एक समझौते तक पहुंचने के लिए वार्ता जारी रहेगी। तालिबान और अफगान सरकार दोनों ने ही इस बात पर जोर दिया कि आम नागरिकों से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर को निशाना नहीं बनाया जाएगा। हालांकि संघर्ष विराम पर कोई सहमति नहीं हुई है। अफगान नेता और गनी सरकार में दूसरे नबंर की हैसियत रखने वाले अब्दुल्ला अब्दुल्ला की ओर से दिए गए संयुक्त बयान में कहा गया है, 'बातचीत कर रहे दोनों पक्ष स्वीकार्य हल होने तक बातचीत को जारी रखने पर सहमत हुए हैं। इस तरह की बैठकें आने वाले दिनों में भी जारी रहेंगी। प्रतिनिधिमंडल के नेताओं ने अपने वार्ताकारों से कहा है कि वे अपनी बातचीत को तेज करें।' उन्होंने यह भी कहा कि एक समझौते की जरूरत है जो इस्लाम के मूल सिद्धांतों पर आधारित होगा और अफगान जनता को इसका फायदा होगा। अफगानिस्तान में हिंसा का स्तर काफी बढ़ गया तालिबान और अफगान सरकार ने देश के सभी इलाकों में मानवीय सहायता पहुंचाने और आम नागरिकों की मौतों को रोकने पर सहमति जताई। यह बातचीत ऐसे समय पर हो रही है जब अमेरिका की वापसी के बाद अफगानिस्तान में हिंसा का स्तर काफी बढ़ गया है। तालिबान के नेता ने रविवार को कहा कि तालिबान देश में दशकों से चल रहे युद्ध का राजनीतिक समाधान चाहता है। तालिबानी नेता मवलावी हिबातुल्लाह अखुंदजादा का यह बयान दोहा में हुई शांति वार्ता के बीच आया है। इससे पहले दोहा में पहले दौर की शांति वार्ता शनिवार को हुई और दूसरे दौर की वार्ता रविवार देर शाम हुई। अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के शांति दूत जलमय खलीलजाद भी दोहा में हैं और ताशकंद में पिछले सप्ताह एक सम्मेलन में उन्होंने हिंसा में कमी आने और बकरीद के दौरान तीन दिन तक संघर्ष विराम रहने की उम्मीद जताई थी। अखुंदजादा ने कहा,‘इस्लामी अमीरात देश में एक राजनीतिक समाधान और एक इस्लामी तंत्र की स्थापना के लिए हर अवसर के पक्ष में है।’ तालिबान अपने शासन के दौरान अपनी सरकार को इस्लामी अमीरात कहता था। अफगानिस्तान के कई जिलों पर तालिबान का कब्जा तालिबान अपने शासन के दौरान अपनी सरकार को इस्लामी अमीरात कहता था। तालिबानी नेता ने अपने बयान में इस्लामिक तंत्र की बात कहीं, हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि इससे उनका आशय क्या है। अफगानिस्तान के कई जिलों पर तालिबान का कब्जा हो गया है और कई स्थानों पर हिंसा का दौर जारी है,ऐसे में राजनीतिक समाधान निकलने के ज्यादा संकेत दिखाई नहीं दे रहे हैं।
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