लंदन भगोड़ा हीरा कारोबारी भारत प्रत्यर्पित होने से बचने के लिए ब्रिटिश कोर्ट के सामने तरह-तरह के बहाने बना रहा है। बुधवार को उसके वकीलों ने लंदन हाईकोर्ट में मुंबई की आर्थर रोड जेल को लेकर दलील दी। नीरव के वकीलों ने दावा किया कि आर्थर रोड जेल में कोरोना के व्यापक असर के कारण उसके मुवक्किल के आत्महत्या करने की आशंका बढ़ जाएगी। भारत प्रत्यर्पण के बाद नीरव को इसी जेल में रखे जाने की संभावना है। पीएनबी घोटाले में वांछित है नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से दो अरब डॉलर की धोखाधड़ी के मामले में नीरव मोदी वांछित है। दक्षिण-पश्चिम लंदन में वेंटवर्थ जेल में बंद नीरव डिजिटल तरीके से सुनवाई में शामिल हुआ। उसके वकीलों ने फरवरी में जिला न्यायाधीश सैम गूज द्वारा प्रत्यर्पण के आदेश और अप्रैल में ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल द्वारा इसे मंजूरी दिए के खिलाफ अपील की अनुमति देने का अनुरोध करते हुए यह दलील दी। नीरव के आत्महत्या की दलील दे रहे वकील न्यायमूर्ति मार्टिन चेंबरलेन के समक्ष प्रस्तुत नई याचिका पर सुनवाई के दौरान नीरव के वकीलों ने इस आधार पर पूर्ण अदालत की सुनवाई का अनुरोध किया कि उसकी मानसिक स्थिति को देखते हुए प्रत्यर्पण करना ठीक नहीं होगा क्योंकि वह आत्मघाती कदम उठा सकता है। नीरव के वकील एडवर्ड फिजगेराल्ड ने दलील दी कि न्यायाधीश गूज ने फरवरी में उसके प्रत्यर्पण के पक्ष में आदेश देकर चूक की। न्यायाधीश इस परिणाम पर पहुंचे थे कि नीरव का गंभीर अवसाद उसकी कैद को देखते हुए असामान्य नहीं था और आत्महत्या करने की कोई प्रवृत्ति नहीं दिखी। वकील बोले- नीरव की मानसिक स्थिति सही नहीं फिजगेराल्ड ने कहा कि जिला न्यायाधीश ने यह फैसला देकर गलती की कि याचिकाकर्ता (नीरव) की मानसिक स्थिति में कुछ भी असमान्य नहीं था और उसकी मौजूदा दशा के हिसाब से परिणाम पर पहुंचना गलत था। नीरव के वकीलों ने विधि विज्ञान मनोचिकित्सक डॉ. एंड्रयू फॉरेस्टर की रिपोर्ट का जिक्र किया जिसे पूर्व में लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया था। फॉरेस्टर ने 27 अगस्त 2020 की रिपोर्ट में कहा था कि फिलहाल तो नहीं लेकिन नीरव में आगे आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ने का खतरा है। भारत सरकार के आश्वासन पर यकीन नहीं करने की सलाह वकीलों ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई थी। गृह मंत्री प्रीति पटेल के प्रत्यर्पण आदेश पर वकीलों ने दलील दी कि उन्हें भारत सरकार के आश्वासन पर यकीन नहीं करना चाहिए। अपील की अनुमति के खिलाफ भारतीय प्राधिकारों की तरफ से क्राउन पॉसक्यूशन सर्विस (सीपीएस) और गृह मंत्रालय के वकील की दलीलों के बाद इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई संपन्न होने की संभावना है। इसके बाद इस पर फैसला होगा कि लंदन में उच्च न्यायालय में इस पर पूर्ण सुनवाई करने की आवश्यकता है या नहीं।
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