वेलिंगटन ब्रह्मांड का माने जा रहे महाविशाल C/2014 UN271 में पहली बार ऐस्ट्रोनॉमर्स को ऐक्टिविटी नजर आई है। इसमें come (गैस और धूल का क्षेत्र) देखा गया है। डार्क एनर्जी सर्वे के इसे खोजने के बाद से यह इस पर देखी गई पहली ऐक्टिविटी है। इस धूमकेतु को पहली बार 2014-2018 के बीच डेटा में पाया गया था और 19 जून 2021 को इसका ऐलान किया गया था। इसे Bernardinelli-Bernstein भी कहा जाता है तस्वीर में दिखी ऐक्टिविटी इसका आकार 62-230 मील के बीच है और यह किसी बौने ग्रह जैस है। यह किसी आम धूमकेतु से एक हजार गुना विशाल है। नई तस्वीर में C/2014 UN271 सूरज से 19 ऐस्ट्रोनॉमिकल यूनिट (AU) पर दिखा है। धरती और सूरज के बीच की दूरी को एक AU कहते हैं। इस तस्वीर को दक्षिण अफ्रीकी ऐस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरी के ला कुंब्रे ऑब्जर्वेटरी 1-मीटर टेलिस्कोप की मदद से लिया गया। इसमें एक चमकीला स्पॉट दिखा जहां ऐक्टिविटी दर्ज की गई है। एक चक्कर लगाने में 6 लाख साल अनैलेसिस के मुताबिक यह ऑब्जेक्ट धरती की ओर आता है और फिर Oort cloud में आ जाता है। यह ऐसा क्षेत्र है जहां सौर मंडल का चक्कर काटने वाली गैस और धूल होती है। इसे अपनी कक्षा में एक चक्कर पूरा करने में कुछ दिन नहीं, बल्कि 6.12 लाख साल लगते हैं। पिछले सात साल में यह हर साल एक AU की दूरी तय कर रहा है। रिसर्चर्स का कहना है कि यह धरती के इतने करीब नहीं आएगा कि इसे बिना टेलिस्कोप से देखा जा सके। इसकी भी दिखेगी पूंछ धूमकेतु भी (Asteroids) की तरह सूरज का चक्कर काटते हैं लेकिन वे चट्टानी नहीं होते बल्कि धूल और बर्फ से बने होते हैं। जब ये धूमकेतु सूरज की तरफ बढ़ते हैं तो इनकी बर्फ और धूल वेपर यानी भाप में बदलते हैं जो हमें पूंछ की तरह दिखता है। इसी तरह 2014 UN271 जैसे-जैसे सूर्य के करीब आएगा, इसमें धूमकेतु जैसी पूंछ विकसित हो जाएगी। ऐसा इसकी सतह पर मौजूद बर्फ के वाष्प में बदलने के कारण होगा।
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