Saturday 24 July 2021

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ल्हासा पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ पिछले एक साल से बढ़े सैन्य तनाव के बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहली बार तिब्बत की यात्रा पर पहुंचे। वह ब्रह्मपुत्र नदी को भी देखने गए जिस पर चीन दुनिया का सबसे विशाल बांध बना रहा है। यही नहीं, उन्होंने चीनी सेना के तिब्बत में मौजूद स्थानीय सैनिकों से 'युद्ध की तैयारी' मजबूत करने को भी कहा है। जिनपिंग का दौरा अपने आप में भारत के लिए अहम मायने रखता है और सेना को दिए इस निर्देश से एक बार फिर ड्रैगन की असली मंशा पर सवाल खड़े होना लाजमी है। 'युद्ध की तैयारी मजबूत हो' चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि शी ने चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के तिब्बत मिलिट्री कमांड के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। अखबार के मुताबिक राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि स्थानीय सैनिकों को ट्रेनिंग और युद्ध की तैयारी के काम को मजबूती देनी चाहिए और तिब्बत की स्थिरता और संपन्नता को प्रमोट करने के लिए सकारात्मक शक्ति देने में योगदान करना चाहिए। गौर करने वाली बात यह है कि भारत से लगी सीमा की जिम्मेदारी इसी कमांड को दी गई है। 'लोगों को हो खुशी का एहसास' शी ने कहा कि तिब्बत में हाई-क्वॉलिटी का विकास इस सिद्धांत के आधार पर होना चाहिए कि इसके जरिए स्थानीय एकता और विकास को बढ़ावा दिया जाए, लोगों का रोजगार बेहतर किया जाए, उन्हें जोड़ा जाए और स्थानीय लोगों में फायदे, सुरक्षा और खुशी के एहसास को बढ़ाया जा सके। हालांकि, इस दौरे पर जिनपिंग का ध्यान सिर्फ तिब्बत पर नहीं था। ब्रह्मपुत्र नदी और उसकी सहायक नदी के घाटी का निरीक्षण किया। अरुणाचल सीमा का दौरा चीनी राष्‍ट्रपति ने अरुणाचल सीमा का दौरा ऐसे समय पर किया है जब हाल ही में चीन ने पहली बार पूरी तरह बिजली से चालित बुलेट ट्रेन का परिचालन शुरू किया है। उन्होंने पहले कहा था कि नयी बुलेट रेल लाइन सीमा स्थिरता को सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाएगी। उनका इशारा भारत से लगी अरुणाचल सीमा की ओर था। न्यिंगची अरुणाचल के करीब स्थित तिब्बत का सीमाई नगर है। लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक गड़ाई हैं नजरें चीन ने हाल ही में ब्रह्मपुत्र नदी घाटी के बीच से एक रणनीतिक रूप से बेहद अहम हाइवे का निर्माण किया है। यह हाइवे मेडोग काउंटी को जोड़ता है जिसकी सीमा अरुणाचल प्रदेश से लगती है। यही नहीं लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भारतीय सरजमीं पर नजरें गड़ाए बैठा चीन अब भारतीय जलसंपदा पर 'कब्‍जा' करने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने जा रहा है।


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