सूरज का ईंधन खत्म होने के बाद धरती पर जीवन मुश्किल हो जाएगा। इसकी गर्मी के असर से जीवन खत्म होने लगेगा। उसके बाद क्या होगा?
धरती के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के आसमान में एक रंगीन रोशनी अकसर दिखाई देती है जिसे कहा जाता है Aurora। ये ऑरोरा तब बनते हैं जब सूरज से आने वाली चार्ज्ड पार्टिकल्स की हवाएं धरती के चुंबकीय क्षेत्र से टकराती हैं। सूरज से आ रहा रेडिएशन इंसानों और जीवन के लिए नुकसानदायक हो सकता है। ऐसे में चुंबकीय क्षेत्र धरती के सुरक्षाकवच के तौर पर काम करता है लेकिन एक नई स्टडी में इसे लेकर चिंता जताई गई है। स्टडी के मुताबिक समय के साथ चुंबकीय क्षेत्र कमजोर होता जाएगा और सूरज से आ रहा तूफान और भी ज्यादा शक्तिशाली। इसका असर धरती पर मौजूद जीवन पर भी पड़ेगा।
5 अरब साल बाद...
मंथली नोटिसेज ऑफ द रॉयल ऐस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी में छपी स्टडी में ऐस्ट्रोनॉमर्स ने इन हवाओं की तीव्रता को कैलकुलेट किया है। इसमें देखा गया है कि आने वाले 5 अरब साल में इनका क्या होगा। तब तक सूरज का हाइड्रोजन ईंधन खत्म होने लगेगा और यह एक विशाल लाल तारा बनने लगेगा। इससे निकलने वाली हवाएं धरती के चुंबकीय क्षेत्र को खत्म करने लगेंगी और वायुमंडल स्पेस में खोने लगेगा। अगर तब तक जीवन धरती पर बचा होगा तो वहां से धीरे-धीरे खत्म होने लगेगा। आयरलैंड के ट्रिनिटी कॉलेज डबलिन के ऐस्ट्रोफिजिसिस्ट और स्टडी की सह-लेखक अलीन विडोटो ने बताया है कि पहले मंगल का वायुमंडल भी ऐसे ही खत्म हुआ था लेकिन उसमें धरती की तरह चुंबकीय क्षेत्र नहीं था।
क्या होगा सूरज का?
अब से अरबों साल बाद हमारे सूरज का ईंधन खत्म हो जाएगा और सूरज अपने ही गुरुत्वाकर्षण में ढहने लगेगा। इससे बाहरी परतें फैलने लगेंगी और यह विशाल लाल तारा बन जाएगा। आखिर में यह पूरी तरह से खत्म होकर White Dwarf सितारे में तब्दील हो जाएगा। तब तक इसका वायुमंडल फैलने से रास्ते में आने वाले ग्रह जलने लगेंगी। NASA के मुताबिक मरकरी और वीनस तो दोनों ही खत्म हो जाएंगे, हो सकता है धरती का भी वही हश्र हो। अपनी स्टडी में रिसर्चर्स ने 11 अलग-अलग सितारों के मॉडल तैयार किए जिनके द्रव्यमान सूरज की तुलना में एक से सात गुना ज्यादा थे।
फिर बसेगा जीवन?
रिसर्चर्स को पता चला कि जीवन के आखिर में सूरज से निकलने वालीं हवाओं की गति और तीव्रता अलग होगी। इससे कोई ग्रह तभी बच पाएगा जब उसका चुंबकीय क्षेत्र बृहस्पति से 100 गुना ज्यादा और धरती से एक हजार गुना ज्यादा होगा। कुछ ऐस्ट्रोनॉमर्स का मानना है कि सफेद बौने सितारों का चक्कर काटने वाले ग्रहों पर भी जीवन हो सकता है क्योंकि सूरज की हानिकारक किरणें इस तक नहीं पहुंचेंगी। हो सकता है कि सूरज के वायुमंडल की गर्मी कोई ग्रह झेल न पाए लेकिन अगर कोई ऐसा ग्रह होता है जिसका चुंबकीय क्षेत्र शक्तिशाली हो तो वहां नया जीवन पैदा भी हो सकता है।
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