Sunday 29 August 2021

https://ift.tt/36CAGd7

काहिरा वेल मछली के भी पैर हो सकते हैं। यह सुनने में जितना अजीब लग सकता है, असल में उतना ही सच है। अंतर बस इतना है कि वेल की यह प्रजाति आज नहीं बल्कि 4.3 करोड़ साल पहले पाई जाती थी। वैज्ञानिकों ने कई साल पहले इसके जीवाश्म मिलने के बाद हाल ही में इसकी प्रजाति की खोज की है और इसे नाम दिया गया है Phiomicetus anubis। इसके जीवाश्म मिस्र के रेगिस्तान में मिले हैं। इस वेल मछली का वजन 600 किलो रहा होगा और लंबाई तीन मीटर। यह जमीन पर भी चलती होगी और पानी में तैरती भी होगी। इसका नाम मिस्र के प्राचीन देवता Anubis पर रखा गया है जिनका खोपड़ा जैकॉल के सिर जैसा था। वह मृतकों के देवता था। इसके नाम का एक हिस्सा Fayoum शाद्वल पर रखा गया है। यह वही स्थान है जहां से इसके जीवाश्म मिले हैं। सबसे पुरानी अफ्रीकी वेल यह स्टडी मनसूरा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने की है। स्टडी के लीड लेखक अब्दुल्ला गोहर ने रॉयटर्स को बताया है कि Phiomicetus anubis एक नई और अहम प्रजाती है। यह अफ्रीकी और मिस्र की पेलियंटॉलजी में एक बड़ी खोज है। मिस्र के Fayoum डिप्रेशन को 5.6 से 3.39 करोड़ साल पहले के जीवाश्मों का घर माना जाता है। यूनिवर्सिटी के चेयरमैन हिशम सल्लाम ने यह जानकारी दी है। रिसर्च टीम ने चार साल तक स्टडी को डॉक्युमेंट और रिकॉर्ड किया। इसकी तुलना मिस्र और बाहर के देशों में मिलने वाले वेल के जीवाश्म सैंपल्स से की गई। माना जा रहा है कि अफ्रीका में मिलने वाली यह सबसे पुरानी वेल मछली है।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3jmqs6W
via IFTTT

No comments:

Post a Comment

https://ift.tt/36CAGd7

रियाद सऊदी अरब के नेतृत्‍व में गठबंधन सेना ने यमन की राजधानी सना में हूती विद्रोहियों के एक शिविर को हवाई हमला करके तबाह कर दिया है। सऊदी...