काबुल ओसामा बिन लादेन के आतंकी संगठन अलकायदा ने तालिबान को जीत की बधाई दी है। अपने बयान में अलकायदा ने इस्लामिक अमीरात की अफगानिस्तान में मिली जीत का स्वागत किया है। अलकायदा ने दुआ करते हुए कहा है कि तालिबान अफगानिस्तान में शरिया कानून को जरूर लागू करेगा। पूरी दुनिया के मुसलमानों को संबोधित किए अपने बयान में अलकायदा ने अफगानिस्तान के लोगों का शुक्रिया भी अदा किया है। अलकायदा ने तालिबान की तारीफ की बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अलकायदा की दक्षिण एशिया इकाई अलकायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट (एक्यूआईएस) ने बयान जारी कर तालिबान को बधाई दी है। ऊर्दू भाषा में लिखे गए इस संदेश को अलकायदा समर्थित टेलिग्राम चैनलों पर 23 अगस्त को शेयर किया गया था। अलकायदा ने अपने बयान में अमेरिका को आक्रमणकारी और अफगान सरकार को उनका सहयोगी बताया है। अफगान लोगों की सराहना की तालिबान ने कहा है कि दुश्मनों के खिलाफ इस लड़ाई में अफगान लोगों ने बलिदान दिया और तकलीफों का सामना किया। अलकायदा ने तालिबान की जीत को अमेरिका की हार करार दिया है। अपने बयान में उसने कहा है कि यह अफगानों के हाथों सोवियत और ब्रिटेन को मिली हार से भी बड़ी सफलता है। बयान में अलकायदा ने अपने आतंक के रास्तों को सही ठहराने की भी कोशिश की है। ISIS ने तालिबान को बताया अमेरिका का पिट्ठू अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद इस्लामिक स्टेट (ISIS) ने मोर्चा खोल दिया है। आईएसआईएस का समर्थन करने वाले ऑनलाइन पोर्टल और सोशल मीडिया अकाउंट तालिबान के खिलाफ बाकायदा अभियान चला रहे हैं। अपने पोस्ट के जरिए आईएसआईएस के ये समर्थक तालिबान की लगातार बुराई कर रहे हैं। ISIS बोला- यह अमेरिका की जीत आईएसआईएस ने 19 अगस्त को आधिकारिक बयान जारी कर कहा था कि तालिबान अमेरिका का पिट्ठू है। इस्लामिक स्टेट ने यह भी कहा था कि अफगानिस्तान में जो कुछ भी हुआ वो तालिबान नहीं, बल्कि अमेरिका की जीत है। क्योंकि तालिबान ने अमेरिका के साथ बातचीत कर इस सफलता को पाया है। आतंकियों का जन्नत बन सकता है अफगानिस्तान तालिबान के इस बधाई संदेश के बाद आशंका जताई जाने लगी है कि अलकायदा एक बार फिर अफगानिस्तान में अपने पांव पसार सकता है। ऐसे में भारत, अमेरिका समेत पूरी दुनिया के लिए आतंक का खतरा ज्यादा बढ़ जाएगा। पहले से भी तालिबान और अलकायदा में काफी नजदीकी संबंध रहे हैं। ओसामा बिन लादेन और तालिबान का संस्थापन मुल्ला उमर के बीच काफी अच्छे संबंध थे। अलकायदा ने ही तालिबान के दुश्मन नंबर-1 की हत्या की थी अलकायदा के आतंकियों ने ही अफगानिस्तान में तालिबान के दुश्मन नंबर एक नॉर्दन एलायंस के कमांडर अहमद शाह मसूद की हत्या करवाई थी। सोवियत संघ के हमले के समय अहमद शाह मसूद और अलकायदा चीफ ओसामा बिन लादेन एक ही उद्देश्य के लिए साथ लड़े। जब सोवियत सेनाओं की वापसी हो गई, तब लादेन ने तालिबान और मसूद के बीच दोस्ती करवाने की कई कोशिशें की। ओसामा की नजदीकी शुरू से ही तालिबान के साथ थी, इसलिए वह मसूद के खिलाफ हो गया। सितंबर 2001 में पत्रकारों के भेष में आए अलकायदा के दो आत्मघाती हमलावरों के हमले में उनकी मौत हो गई।
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