Wednesday, 25 August 2021

https://ift.tt/36CAGd7

दुशांबे ताजिकिस्तान ने अफगानिस्तान में बनने वाली तालिबान की सरकार को मान्यता देने से साफ इनकार किया है। ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली राखमोन ने कहा कि उनका देश एक ऐसी अफगान सरकार को मान्यता नहीं देगा जो समावेशी नहीं है। इस सरकार में सभी जातीय समूहों का भी प्रतिनिधित्व नहीं है। उन्होंने तालिबान पर सभी पक्षों को शामिल करने के अपने वादे को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया। कुरैशी के साथ बैठक के बाद किया ऐलान रूस के साथ घनिष्ठ संबंध रखने वाले ताजिकिस्तान के इस ऐलान को काफी चौंकाने वाला माना जा रहा है। रूस ने पहले ही तालिबान सरकार को मान्यता देने का ऐलान किया हुआ है। रूसी राजदूत ने तो कई बार काबुल में तालिबान के वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं से मुलाकात भी की है। ताजिक राष्ट्रपति इमोमाली राखमोन ने यह बयान पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के साथ हुई बैठक के बाद दिया है। कुरैशी इस समय अफगानिस्तान के हालात को लेकर मध्य एशियाई देशों की यात्रा कर रहे हैं। राष्ट्रपति बोले- वादे से मुकर रहा तालिबान रखमोन के कार्यालय ने एक बयान में कहा कि तथ्य स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि तालिबान देश की अन्य राजनीतिक ताकतों की व्यापक भागीदारी के साथ एक अंतरिम सरकार बनाने के अपने पहले के वादों से मुकर रहे हैं। वे इस्लामिक अमीरात की स्थापना करने जा रहे हैं। ताजिकिस्तान किसी भी अन्य सरकार को मान्यता नहीं देगा जो उस देश में उत्पीड़न के माध्यम से और अफगानिस्तान के सभी लोगों, विशेष रूप से इसके सभी जातीय अल्पसंख्यकों की स्थिति को ध्यान में रखे बिना स्थापित किया जाएगा। ताजिकिस्तान क्यों हैं आग बबूला? दरअसल, अफगानिस्तान में ताजिक समुदाय के लोगों की काफी बड़ी आबादी रहती है। इनकी सबसे बड़ी बसावट तालिबान के सबसे बड़े विरोधी गढ़ पंजशीर में है। तालिबान ने तीन दिन पहले ही पंजशीर को चारों तरफ से घेरा लिया है। तालिबान ने ही अलकायदा के आतंकियों के जरिए पंजशीर के शेर कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद की हत्या भी करवाई थी। ऐसे में ताजिकिस्तान अपने जातीय समूहों की सुरक्षा को लेकर तालिबान पर चिढ़ा हुआ है। पंजशीर के लड़ाके भी जंग को तैयार अफगानिस्‍तान में प्रतिरोध का केंद्र बनी पंजशीर घाटी को तालिबान आतंकवादियों के चंगुल से बचाने के लिए अहमद मसूद के बेटे नेतृत्‍व में 9 हजार विद्रोहियों ने मोर्चा संभाल लिया है। पंजशीर घाटी की पहाड़ी चोट‍ियों पर मसूद के जवानों ने हैवी मशीन गन तैनात कर दिए हैं जिससे तालिबान‍ियों का शिकार किया जा सके। इसके अलावा मोर्टार और निगरानी चौकी भी बनाई गई है। ये सभी जवान नैशनल रेजिस्‍टेंस फ्रंट का हिस्‍सा हैं जो अफगानिस्‍तान में तालिबानराज का विरोध करने में सबसे आगे है। अहमद शाह मसूद के नाम से कांपता था तालिबान अहमद शाह मसूद अफगानिस्तान के वो हीरो थे जिन्हें रूस और तालिबान कभी नहीं हरा पाए। अहमद शाह मसूद ताजिक समुदाय से ताल्लुकात रखने वाले सुन्नी मुसलमान थे। इंजीनियरिंग किए हुए अहमद शाह मसूद साम्यवाद के कट्टर आलोचक थे। 1979 में जब सोवियत संघ ने अफगानिस्तान पर हमला किया तब उन्होंने विद्रोही ताकतों की कमान संभाली और एक के बाद एक कई सफलताएं भी हासिल की।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3yiqtgu
via IFTTT

No comments:

Post a Comment

https://ift.tt/36CAGd7

रियाद सऊदी अरब के नेतृत्‍व में गठबंधन सेना ने यमन की राजधानी सना में हूती विद्रोहियों के एक शिविर को हवाई हमला करके तबाह कर दिया है। सऊदी...