काबुल अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तैनात रूसी राजदूत दिमित्री झिरनोव अब खुलकर तालिबान का साथ देने लगे हैं। उन्होंने अफगानिस्तान के बागियों को चेतावनी देते हुए कहा कि तालिबान कुछ ही घंटे में पंजशीर पर कब्जा कर सकता है। लेकिन वह बेवजह के खून-खराबे से बचना चाहते हैं। पंजशीर इस समय तालिबान विरोधी गुटों का सबसे बड़ा अड्डा बनकर उभरा है। इस गढ़ में अफगानिस्तान के अपदस्थ उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और अहमद मसूद विद्रोहियों का नेतृत्व कर रहे हैं। रूस का तालिबान से नजदीकी संबंध 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद रूसी राजदूत कई बार इस आतंकी संगठन के बड़े नेताओं से मिल चुके हैं। रूस ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता देने का भी ऐलान किया हुआ है। कब्जे के दो दिन बाद ही रूसी राजदूत ने तालिबान के बड़े नेताओं के साथ काबुल की सड़कों पर घूमने की बात भी की थी। इस समय काबुल में रूस, पाकिस्तान और चीन को छोड़कर लगभग सभी देशों ने अपने दूतावास को या तो बंद कर दिया है, या फिर वहां राजनयिकों की संख्या में कटौती की है। पंजशीर पर घंटों में कब्जा कर सकता है तालिबान राजदूत दिमित्री झिरनोव ने सोलोविएव लाइव यूट्यूब शो में कहा कि मुझे लगता है कि वे (तालिबान) पंजशीर को एक दिन में ले सकते हैं, शायद कुछ घंटों में भी, लेकिन वे रक्तपात से बचने के लिए ऐसा नहीं कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पंजशीर में अभी तक हालात बेहद सामान्य और शांत हैं। पंजशीर को तालिबान लड़ाके पिछले 6-7 दिनों से घेरे हुए हैं। इस्लामिक स्टेट ने तालिबान को चुनौती दी, अमेरिका को नहीं झिरनोव ने यह भी कहा कि काबुल हवाई अड्डे पर इस्लामिक स्टेट के हमले ने तालिबान को चुनौती दी है, न कि अमेरिका को। उन्होंने बताया कि यह दो कट्टरपंथी समूहों के बीच एक भयंकर टकराव था। क्षति अपूरणीय है। यदि वास्तव में, हवाई अड्डे पर हमले के पीछे आईएसआईएस था तो उसने अमेरिका को उतनी चुनौती नहीं दी जितनी उसने तालिबान को दी है। क्योंकि तालिबान ने अफगानिस्तान की जिम्मेदारी ली है। एक तरह से यह जो हुआ है वह तालिबान की प्रतिष्ठा के लिए एक झटका है। तालिबान के साथ बनाएंगे नजदीकी संबंध अफगानिस्तान के लिए रूस के विशेष राष्ट्रपति प्रतिनिधि जमीर काबुलोव ने शनिवार को भी कहा कि मुद्दा यह है कि तालिबान सत्ता में आ गया है। और हमें इस नई स्थिति और अफगानिस्तान में नई सरकार के साथ संबंध बनाना होगा। उन्होंने कहा कि अगर पश्चिम और तथाकथित वैश्विक समुदाय तालिबान को अलग-थलग करने और उन पर दबाव बनाने का फैसला करता है, तो मुझे डर है कि इससे मूवमेंट खुद ही कट्टरपंथी हो जाएगा।
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