Wednesday, 1 September 2021

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इस्‍लामाबाद अपने भारत विरोधी बयानों के जरिए जम्‍मू-कश्‍मीर के युवाओं को आतंकवाद के रास्‍ते पर ले जाने वाले पाकिस्‍तानी एजेंट सैयद अली शाह गिलानी का निधन हो गया है। पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और कश्‍मीरी आतंकियों को पालने वाली सेना के प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने गिलानी के निधन पर दुख जताया है। इमरान और बाजवा की जोड़ी के इन घड़‍ियाली आंसूओं के बीच हकीकत यह है कि जिंदगीभर पाकिस्‍तान की गाने वाले गिलानी को पाकिस्‍तानी हुक्‍मरानों ने भारत के खिलाफ इस्‍तेमाल करने के बाद अकेला मरने के लिए छोड़ दिया था। गिलानी के निधन के बाद अब इमरान खान ने देश में एक दिन के शोक और पाकिस्‍तानी झंडे को आधा झुकाने का ऐलान किया है। जम्‍मू-कश्‍मीर में भारत के अनुच्‍छेद 370 को खत्‍म करने के बाद पाकिस्‍तान ने एक चाल के तहत गिलानी को उकसाया। पाकिस्‍तान को उम्‍मीद थी कि बेहद कट्टर रुख रखने वाले गिलानी एक बार‍ फिर से कश्‍मीर में भारत के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन करेंगे। हालांक‍ि ऐसा हुआ नहीं और हुर्रियत कान्‍फ्रेंस लोगों को सड़कों पर उतारने में असफल रही। पाकिस्‍तान का सर्वोच्‍च पुरस्‍कार निशान-ए-पाकिस्‍तान थी एक चाल इसके बाद गिलानी ने हुर्रियत कान्‍फ्रेंस के गिलानी धड़े के चेयरमैनशिप से इस्‍तीफा दे दिया। गिलानी के इस्‍तीफे के बाद पाकिस्‍तान ने मान लिया कि अब उनका 'गुलाम' बूढ़ा हो गया है और कुछ कर नहीं सकता। इसके बाद पाकिस्‍तान ने गिलानी को किनारे लगाना शुरू कर दिया। इसी पाकिस्‍तानी रणनीति के तहत सैयद अली शाह गिलानी को पाकिस्‍तान का सर्वोच्‍च पुरस्‍कार निशान-ए-पाकिस्‍तान दिया गया। पाकिस्‍तान ने पुरस्‍कार के बहाने दो खेल किए, पहला-गिलानी को किनारे लगा दिया और दूसरा- अब युवा अलगाववादियों को बढ़ावा देना शुरू किया ताकि कश्‍मीर में एक बार फिर से हिंसा की ज्‍वाला भड़काई जा सके। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक भारत विरोधी प्रदर्शन नहीं भड़का पाने पर गिलानी के खिलाफ पाकिस्‍तान में जोरदार विरोध शुरू हो गया था। कई लोगों ने गिलानी की चुप्‍पी पर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे। इससे पहले गिलानी भारत के विरोध में अक्‍सर बंद और चुनावों के बहिष्‍कार का ऐलान करते रहे थे जिसका काफी असर भी देखा जाता था। दरअसल, गिलानी के पद छोड़ने के पीछे उनके उत्‍तराधिकार का संघर्ष छिपा हुआ था। सैयद अली शाह गिलानी के बेटे डॉक्‍टर नईम गिलानी अपने पिता के नक्‍शे-कदम पर चलना चाहते थे लेकिन बाप को यह मंजूर नहीं था। मोहम्‍मद खतीब को आईएसआई के कहने पर समन्‍वयक बनाया सैयद अली शाह गिलानी ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अब्‍दुल्‍ला गिलानी को हुर्रियत के गिलानी धड़े का प्रतिनिधित्‍व करने के लिए अब्‍दुल्‍ला गिलानी को आगे कर दिया। अब्‍दुल्‍ला पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर में गिलानी का दूर का र‍िश्‍तेदार था। गिलानी ने कहा कि पार्टी और अंत‍रराष्‍ट्रीय मंचों पर अब्‍दुल्‍ला ही अब नेतृत्‍व संभालेंगे। लेकिन अब्‍दुल्‍ला को समन्‍वयक पद से पीओके नेता फारूक रहमानी ने हटा दिया। उनकी जगह पर हुसैन मोहम्‍मद खतीब को पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के कहने पर समन्‍वयक बनाया गया। यह वही आईएसआई थी जिसने गिलानी और उनके समर्थकों का कई वर्षों तक भारत के खिलाफ इस्‍तेमाल किया था। आईएसआई के नेतृत्‍व में पाकिस्‍तान ने पीओके के नेताओं को गिलानी और उनके बेटे की जगह पर तरजीह देना शुरू कर दिया। इसी से दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया। इन मतभेदों की वजह से गिलानी के साम्राज्‍य को संभालने के लिए नियंत्रण रेखा के उस पार तक अप्रत्‍याशित सत्‍ता संघर्ष शुरू हो गया। पाकिस्‍तान की ओर से गिलानी के इस हश्र से अन्‍य अलगाववादी भी सहम गए। बूढ़े गिलानी की जगह पर आईएसआई ने युवाओं पर लगाया दांव विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्‍तान को लगता था कि गिलानी 'बूढे़' हो चुके हैं और उनकी जगह पर भारत के खिलाफ युवा कट्टरपंथियों को बढ़ावा दिया जाए। पाकिस्‍तान को यह भी लगता था कि कश्‍मीर में अनुच्‍छेद 370 के खात्‍मे के बाद कश्‍मीरी अलगाववादियों ने उसे नीचा दिखाया है। उधर, अलगाववादियों का कहना था कि वे भारतीय संविधान में ही विश्‍वास नहीं करते हैं तो अनुच्‍छेद 370 के विरोध की कोई प्रासंगिकता ही नहीं है। इसकी जगह पर वे भारत के निवास कानून का विरोध करेंगे।


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