
काबुल अफगानिस्तान में सरकार बनाने के लिए तालिबान की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है और जल्द ही इसे लेकर ऐलान भी किया जा सकता है। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक चर्चा के बाद नई सरकार पर फैसला कर लिया गया है। तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के सदस्य अनामुल्लाह समंगानी के मुताबिक तालिबान का नेता मुल्लाब नई सरकार का भी नेता होगा। अनामुल्लाह का कहना है, ‘नई सरकार पर चर्चा लगभग पूरी हो चुकी है और कैबिनेट पर जरूरी चर्चा भी चल रही है। इस्लामिक सरकार लोगों के लिए एक मॉडल होगी। इसमें कोई शक नहीं है कि सरकार में अखुंदजादा की मौजूदगी होगी। वह सरकार के नेता होंगे और इस पर कोई सवाल नहीं होना चाहिए।’ ऐसी भी चर्चा चल रही है कि सरकार में एक प्रधानमंत्री भी होगा। अखुंदजादा होगा सुप्रीम लीडर वहीं, एक राजनीतिक विश्लेषक मोहम्मद हसन हकयार का कहना है, ‘नए सिस्टम का नाम न रिपब्लिक होना चाहिए ना अमीरात। इसे इस्लामिक सरकार जैसा कुछ होना चाहिए। हिबातुल्लाह सबसे ऊपर होंगे लेकिन राष्ट्रपति नहीं। वह अफगानिस्तान के नेता होंगे और उनके नीचे प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति हो सकते हैं।’ इससे पहले भी मीडिया में ऐसी खबरें आई थीं कि अखुंदजदा की काउंसिल में 11 से 72 लोग हो सकते हैं और इसका केंद्र कंधार में होगा। कंधार में ही तालिबान की स्थापना हुई थी और यह एक वक्त में इस कट्टरपंथी संगठन का गढ़ हुआ करता था। रिपोर्ट के मुताबिक यहीं पिछले कुछ दिन से तालिबानी नेता जुटे हैं और नई सरकार के गठन पर चर्चा चल रही है। कौन है अखुंदजादा? अखुंदजादा को तालिबान के वफादार नेताओं के रूप में जाना जाता है। अखुंदजादा इस्लामी कानूनी का बड़ा विद्वान होने के साथ तालिबान का सर्वोच्च नेता है। तालिबान के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों पर अंतिम फैसला हिबतुल्लाह अखुंदजादा ही करता है। अखुंदजादा 2016 में तालिबान का सरगना बना था। उससे पहले तालिबान का चीफ अख्तर मंसूर नाम का आतंकी था। साल 2016 में अफगान-पाकिस्तान सीमा के पास अमेरिकी ड्रोन हमले में अख्तर मंसूर की मौत हुई थी। 2016 में अचानक गायब होने से पहले हिबतुल्लाह अखुंदजादा दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान के एक कस्बे कुचलक में एक मस्जिद में पढ़ाया करता था। यहीं से वह तालिबान के संपर्क में आया और इस खूंखार आतंकी संगठन के शीर्ष पद पर पहुंचा। आखिर है कहां सबसे बड़ा नेता? माना जाता है कि उसकी उम्र लगभग 60 वर्ष है और उसका ठिकाना अज्ञात है। भारत सरकार गुप्त विदेशी खुफिया एजेंसियों की ओर से शेयर की गई जानकारियों का अध्ययन कर रही है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने संकेत दिया है कि वह पाकिस्तानी सेना की हिरासत में हो सकता है। बीते छह महीनों से तालिबान के वरिष्ठ नेताओं और लड़ाकों ने उसे नहीं देखा है। आखिरी बार उसका बयान मई में आया था।
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