Friday, 29 October 2021

https://ift.tt/36CAGd7

बीजिंग अमेरिका समेत दुनिया के अधिकतर देशों से उलझा चीन तेजी से अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। इस बीच हाइपरसोनिक हथियार के परीक्षण ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया है। यह हथियार अंतरिक्ष से एक साथ कई ठिकानों पर परमाणु बम की बारिश कर सकता है। इस बीच स्ट्रैटजिक बॉम्बर, स्टील्थ फाइटर जेट, युद्धपोत सहित कई तरह के आधुनिक हथियार भी विकसित कर रही है। नौसेना के मामले में चीन ने पिछले साल ही अमेरिका को पछाड़कर दुनिया में शीर्ष स्थान हासिल कर लिया था। थलसेना में भी संख्या के मामले में चीन दुनिया में नंबर वन है। जिनपिंग के कार्यकाल में चीनी सेना हुई आक्रामक राष्ट्रपति शी जिनपिंग के कार्यकाल में चीनी सेना अधिक आक्रमक बन गई है। भारत, ताइवान और अमेरिका के साथ चीन के विवाद बढ़ते तनाव का प्रत्यक्ष उदाहरण भी हैं। हाल के दिनों में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की नौसेनाएं दक्षिणी चीन सागर में नौवहन अधिकारों का दावा करने के लिए लगातार गश्त कर रही हैं। अक्टूबर में AUKUS की घोषणा ने भी चीन के गुस्से को भड़का दिया था। इस डील के तहत अमेरिका अपने दोस्त ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बी बनाने की तकनीक देगा। अमेरिका ने इस तरह की डील अभी तक सिर्फ ब्रिटेन के साथ ही किया है। चीन की सेना दुनिया में सबसे बड़ी स्टेटिका की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी दुनिया की सबसे बड़ी विशाल सेना है। 2021 में चीनी सेना में सूचीबद्ध कर्मचारियों की कुल संख्या 2,185,000 है। चीन खुद भी दुनिया में सबसे अधिक सक्रिय सैन्यकर्मियों का दावा करता है। चीनी सैन्य कर्मियों को पांच सैन्य शाखाओं में विभाजित किया गया है, जिनमें ग्राउंड फोर्स, नेवी, एयर फोर्स, रॉकेट फोर्स और स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स शामिल हैं। चीनी सैन्य इकाइयां पांच थिएटर कमांड में बंटी हुई हैं। चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना वर्तमान में चीनी नौसेना (PLAN) में जितने युद्धपोत और पनडुब्बियां शामिल हैं, उतनी तो अमेरिका के पास भी नहीं है। यह बात अलग है कि चीनी नौसेना के पास इतनी बड़ी संख्या में हथियारों के होने के बावजूद उनकी फायर पॉवर और युद्धक क्षमता दुनिया के कई देशों से काफी कम है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग कई बार अपने भाषणों में यह दावा कर चुके हैं कि उनकी सेना का उद्देश्य किसी देश पर हमला करना नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि फिर आखिर क्यों चीन इतनी तेजी से अपनी नौसेना की ताकत को बढ़ा रहा है? तेजी से युद्धपोत और पनडुब्बियां बना रहा चीन चीन इस समय काफी तेजी से अपनी नौसेना के लिए युद्धपोत और पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है। चीन की 62 में से सात पनडुब्बियां परमाणु शक्ति से चलती हैं। ऐसे में पारंपरिक ईंधन के रूप में भी उसे अब ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ रहा है। चीन पहले से ही जहाज निर्माण की कला में पारंगत था। साल 2015 में चीनी नौसेना ने अपनी ताकत को अमेरिकी नौसेना के बराबर करने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया था। पीएलए को विश्व-स्तरीय फाइटिंग फोर्स में बदलने के काम आज भी उसी तेजी से जारी है। 2025 तक चीनी नौसेना में होंगे 400 बैटल फोर्स शिप यूएस ऑफिस ऑफ नेवल इंटेलिजेंस (ONI) के अनुसार, 2015 में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLAN) के बेड़े में 255 बैटल फोर्स शिप थे। साल 2020 के आते-आते चीनी नौसेना के पास कुल बैटल फोर्स शिप की तादाद बढ़कर 360 तक पहुंच गई, जो अमेरिकी नौसेना की कुल शिप से 60 ज्यादा है। ओएनआई ने भविष्यवाणी की है कि आज से चार साल बाद यानी 2025 तक चीन के पास कुल 400 बैटल फोर्स शिप होंगी। चीन के पास अंतरिक्ष से युद्धपोतों पर हमला करने वाला हथियार अमेरिका से बढ़ते खतरे को देखते हुए चीन ने कुछ दिन पहले ही ऑर्बिटल बम्बॉर्डमेंट सिस्टम का परीक्षण किया है। चीनी मीडिया ने इस परीक्षण की तुलना दुनिया की पहली सैटेलाइट के लॉन्चिंग जैसे ऐतिहासिक पल से की है। इस हथियार की खासियत है कि चीन अब जब चाहे तब अंतरिक्ष से परमाणु बम को धरती के किसी भी कोने में दाग सकता है। इसमें एंटी शिप बैलिस्टिक मिसाइल भी शामिल है, जो समुद्र में दुश्मन के युद्धपोत को अंतरिक्ष से पलक झपकते ही खत्म कर सकती है। चीन की इस एंटी शिप मिसाइल को सोवियत काल में बने एच-6 बॉम्बर से फायर किया जा सकता है। चीन का H-6N स्ट्रैटजिक बॉम्बर बरपा सकता है कहर द ड्राइव की रिपोर्ट के मुताबिक चीन का H-6N विमान बेहद खतरनाक है और इसे तेजी से चलने वाले ड्रोन विमान से लेकर एंटी शिप मिसाइलों को ले जाने के लिए बनाया गया है। यह विमान क्रूज मिसाइलें भी दागने में सक्षम है। यह चीन के बमवर्षक विमान H-6K का उन्‍नत संस्‍करण है जो खुद भी अत्‍याधुनिक है। H-6K सोवियत संघ के Tu-16 बमवर्षक विमान पर आधारित है। चीन ने अब अपने H-6N विमान के लिए हवा से दागे जाने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइलें बना रहा है। चीन ने हाल ही में अपने सैन्‍य परेड में भारी भरकम DF-17 मिसाइल का प्रदर्शन किया था। यह मिसाइल कितनी कारगर है, इसके बारे में अभी बहुत कम जानकारी है। हालांकि चीन निश्चित रूप से दुनिया को यह बताना चाहता है कि उसके पास पूरी तरह से सक्रिय हाइपरसोनिक मिसाइल है। समुद्र में अमेरिकी बादशाहत पर मंडराया बड़ा खतरा अमेरिका और चीन में ताइवान समेत कई मुद्दों को लेकर विवाद चरम पर है। आए दिन यूएस नेवी के युद्धपोत और एयरक्राफ्ट कैरियर चीन के नजदीक पहुंचते हैं। ताइवान पर खतरे को देखते हुए अमेरिका ने अपने एयरक्राफ्ट कैरियर को साउथ चाइना सी में तैनात कर रखा है। ऐसे में चीनी नेवी की इस कैरियर किलर हाइपरसोनिक मिसाइल से अमेरिकी नेवी को खतरा हो सकता है। ऐसे मिसाइल की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि यह दुश्मन को रिएक्ट करने के लिए सबसे कम समय देते हैं। जबकि बैलिस्टिक मिसाइल के लैंड और सी वैरियंट को लॉन्च करते ही दुश्मन को सूचना मिल जाती है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने 2019 में इस मिसाइल को CH-AS-X-13 का नाम दिया था। देखने में यह मिसाइल चीन के DF-17 जैसी लगती है क्योंकि इसके भी आगे का हिस्सा हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन (HGV) जैसे दिखाई देता है।


from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3mrFbPu
via IFTTT

No comments:

Post a Comment

https://ift.tt/36CAGd7

रियाद सऊदी अरब के नेतृत्‍व में गठबंधन सेना ने यमन की राजधानी सना में हूती विद्रोहियों के एक शिविर को हवाई हमला करके तबाह कर दिया है। सऊदी...