
वॉशिंगटन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने के बाद अपने से ली गई पहली तस्वीर शेयर की है। सोलर कंजंक्शन के कारण मंगल पर मौजूद इस रोवर से कुछ समय के लिए नासा का संपर्क टूट गया था। इस घटना के दो हफ्ते बाद परसेवरेंस रोवर ने पहली बार मंगल की नई तस्वीर नासा के कमांड सेंटर को भेजी है। परसेवरेंस रोवर के कैमरे से खींची गई इन तस्वीरों को नासा ने कुछ दिन पहले ट्वीट किया था। नासा के परसेवरेंस रोवर ने किया ट्वीट इस ट्वीट में नासा के परसेवरेंस रोवर ने लिखा कि मैं काम पर वापस आ गया हूं, इन दो खूबसूरत आउटकार्प्स के बीच खड़ा हूं। कुछ इमेजिंग, मौसम अध्ययन, केमेस्ट्री एक्सपेरिमेंट और एक सॉफ्टवेयर को भी अपडेट कर रहा हूं। इस रोवर को साउथ कैलिफोर्निया में स्थित नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी से ऑपरेट किया जा रहा है। जजेरो क्रेटर की पड़ताल फिर शुरू लाल ग्रह पर तैनात छह पहियों वाले इस रोबोट ने एक बार फिर से मंगल ग्रह के जेज़ेरो क्रेटर की खोजबीन शुरू कर दी है। यह मंगल की जमीन पर 45 किलोमीटर के एरिया में फैला एक गड्ढा है। अरबों साल पहले जजेरो क्रेटर एक झील हुआ करती थी। बाद में यह झील सूख गई और एक गड्ढा बन गया। इसी गड्ढे की खोज अब नासा के वैज्ञानिक कर रहे हैं। जजेरो क्रेटर में पानी खोज रहा रोवर परसेवरेंस रोवर ने मंगल ग्रह पर चट्टान के सैंपल इकट्ठा किया जिसमें जीवन की मौजूदगी से जुड़े अहम सवालों के जवाब छिपे हो सकते हैं। रोवर ने जजेरो क्रेटर में जिस चट्टान के सैंपल लिए हैं, वह ज्वालामुखी का लावा जमने के कारण बनी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जब जजेरो में पानी रहा होगा तो वह इसकी अंदर की परतों में चला गया होगा और मुमकिन है कि पानी के सूखने के बाद सिर्फ नमक वहां रह गया। क्या होता है मार्स सोलर कंजंक्शन मार्स सोलर कंजंक्शन की घटना पृथ्वी और मंगल के बीच सूर्य के आने के कारण होती है। सूर्य अपने कोरोना से गर्म आयोनाइज्ड गैस का उत्सर्जन करता रहता है। मार्स सोलर कंजंक्शन के दौरान सूर्य से निकली ये गैस अंतरिक्ष यान के बीच संचार में बाधा उत्पन्न करती है। इस कारण ही परसेवरेंस रोवर से पृथ्वी पर मौजूद कमांड सेंटर का संपर्क कुछ दिन के लिए कट गया था। मार्स सोलर कंजंक्शन हर दो साल में एक बार होता है।
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