
जिनेवा (WHO) के महानिदेशक टेड्रोस ए गेब्रेयेसस के दूसरे कार्यकाल पर मुहर लग गई है। डब्ल्यूएचओ ने शुक्रवार को घोषणा करते हुए कहा कि टेड्रोस ए गेब्रेयेसस को संगठन के प्रमुख पद के लिए निर्विरोध दोबारा चुना गया है। उनका दूसरा कार्यकाल पांच साल का होगा। गेब्रेयेसस पर अमेरिका ने चीन के साथ नजदीकियों के आरोप भी लगाए थे। यही कारण है कि ट्रंप प्रशासन ने उस समय डब्लूएचओ की फंडिंग पर रोक लगाते हुए सभी संबंधों को तोड़ लिया था। इथोपिया के रहने वाले हैं गेब्रेयेसस गौरतलब है कि गेब्रेयेसस इथियोपियाई नागरिक हैं और डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक पद पर पहुंचने वाले पहले अफ्रीकी हैं। उनके निर्वाचन के दौरान कोविड-19 से निपटने में संगठन की जटिल प्रतिक्रिया रही। टेड्रोस ए गेब्रेयेसस जीव विज्ञान और संक्रामक बीमारियों में प्रशिक्षित हैं और उन्होंने समुदाय स्वास्थ्य में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। वह पहले डब्ल्यूएचओ प्रमुख हैं जिनकी पृष्ठभूमि चिकित्सक की नहीं है। मई 2022 में होगा नए WHO चीफ का चुनाव टेड्रोस, पिछले 19 महीनों के दौरान कोरोना वायरस महामारी का मुकाबला करने में विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोशिशों को लेकर वैश्विक स्तर पर चर्चा में रहे हैं। अगले डब्ल्यूएचओ महानिदेशक का चुनाव वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसी की मई 2022 में होने वाली अगली वार्षिक सभा की बैठक में होगा। महानिदेशक का कार्यकाल पांच वर्षों का होता है। ट्रंप प्रशासन ने बताया था चीन का करीबी उल्लेखनीय है कि टेड्रोस के नेतृत्व के तहत डब्ल्यूएचओ को पिछले साल अमेरिका के ट्रंप प्रशासन से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था। दरअसल, स्वास्थ्य एजेंसी पर वुहान में कोविड-19 की उत्पत्ति होने के बाद महामारी से निपटने के चीन के शुरूआती प्रयासों की बढ़-चढ़ कर सराहना करने के आरोप लगे थे। जिसके बाद गुस्साए अमेरिका ने डब्यूएचओ को छोड़ दिया था। चीन के प्रयासों से टेड्रोस बने थे WHO चीफ? विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस ऐडरेनॉम गैबरेयेसस ने 2017 में डब्लूएचओ की कमान संभाली थी। कहा जाता है कि उन्हें यह पद चीन के पैरवी करने के कारण मिला था। इसलिए वह चीन परस्त फैसले ले रहे हैं। टेड्रोस पहले अफ्रीकी हैं जो WHO के चीफ बने हैं। WHO को कैसे मिलता है फंड विश्व स्वास्थ्य संगठन को फंड दो तरीकों से मिलता है, पहला- असेस्ड कंट्रीब्यूशन और दूसरा- वॉलेंटरी कंट्रीब्यूशन। इन दोनों तरीकों से मिले फंड से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन का खर्च चलता है। असेस्ड कंट्रीब्यूशन इस फंड को विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देश देते हैं। यह पहले से ही निश्चित होता है कि कौन सा देश कितना फंड देगा। इस फंड का निर्धारण उस देश की अर्थव्यवस्था और जनसंख्या के आंकड़ों के जरिए किया जाता है। असेस्ड कंट्रीब्यूशन के जरिए ही विश्व स्वास्थ्य संगठन को सबसे ज्यादा फंडिंग मिलती है। इससे WHO अपने खर्च और प्रोग्राम की फंडिंग करता है। वॉलेंटरी कंट्रीब्यूशन यह फंड एक निश्चित प्रोग्राम को लेकर दिए जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन इस फंड का इस्तेमाल केवल उन्हीं काम में करता है जिसके नाम पर यह फंड मिला होता है। जैसे कोरोना वायरस की दवा बनाने के लिए WHO को अगर किसी संस्था या देश से फंड मिला है तो वह केवल इस वैक्सीन को बनाने में ही इस फंड को खर्च कर सकता है।
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