
बर्लिन जर्मनी में 96 साल की एक महिला पर 11 हजार लोगों की हत्या का मुकदमा चल रहा है। आरोप है कि नाम की यह महिला द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान की नाजी सेना में शामिल थी। यह महिला उस समय नाजियों के एक यातना गृह में सचिव के रूप में काम करती थी। जहां इस महिला ने 11 हजार यहूदियों की हत्या में सक्रिय रूप से भूमिका निभाई थी। अभी इस महिला की सजा को लेकर कोई ऐलान नहीं हुआ है। जर्मनी की गोपनीयता कानून के तहत इस महिला की वास्तविक पहचान को छिपाकर इर्मगार्ड फुरचनर के नाम से संबोधित किया गया है। 95 साल की महिला को किशोर अदालत सुनाएगी सजा अपराध के समय इस महिला की उम्र 21 साल के कम थी। इसलिए, जर्मनी के कानून के हिसाब से इस महिला को सजा के लिए किशोर अदालत में पेश किया जाएगा। जिसके बाद इसके वीभत्स जुर्म को लेकर सजा का ऐलान होगा। बता दें कि, जर्मनी में 21 साल के कम उम्र के नागरिकों को अपराध के लिए किशोर अदालत सजा सुनाती है। स्तुथोफ कैंप के कमांडर की सचिव थी यह महिला यह महिला जून 1943 से अप्रैल 1945 के बीच पोलैंड के शहर ग्दान्स्क से 20 मील की दूरी पर स्थित स्तुथोफ कैंप के कमांडर की सचिव के रूप में काम करती थी। अभियोजकों ने कहा कि महिला ने स्वीकार किया था कि उसके कैंप में बहुत से पत्राचार और कई फाइलें ऐसी थीं जिसमें उसे कैदियों की कुछ हत्याओं के बारे में बहुत कुछ पता था। हालांकि, उसने इस जानकारी से इनकार किया था कि उस समय हजारों लोगों को गैस चेंबर में मारा गया था। पिछले साल भी 93 साल के एक व्यक्ति को सुनाई गई थी सजा पिछले साल, 93 वर्षीय एक व्यक्ति को हैम्बर्ग के एक किशोर न्यायालय में 5,230 हत्याओं के लिए दोषी ठहराया गया था। वह भी स्तुथोफ कैंप में 17 साल की उम्र में गार्ड का काम करता था। माना जाता है कि 60,000 से अधिक लोग स्तुथोफ कैंप में नाजियों के हाथों मारे गए थे। यह जर्मनी की सीमा के बाहर स्थापित होने वाला पहला यातना शिविर था। क्या था 1939 में जर्मनी द्वारा विश्व युद्ध भड़काने के बाद हिटलर ने यहूदियों को जड़ से मिटाने के लिए अपने अंतिम हल (फाइनल सोल्यूशन) को अमल में लाना शुरू किया। बताया जाता है कि 1941 से ऑश्वित्ज के नाजी होलोकॉस्ट सेंटर पर हिटलर की खुफिया एजेंसी एसएस यूरोप के अधिकतर देशों से यहूदियों को पकड़कर यहां लाती थी। जहां काम करने वाले लोगों को जिंदा रखा जाता था, जबकि जो बुढ़े या अपंग लोग होते थे उन्हें गैस चेंबर में डालकर मार दिया जाता था। इन लोगों के सभी पहचान के सभी दस्तावेजों को नष्ट कर हाथ में एक खास निशान बना दिया जाता था। यहूदियों को मौत से पहले दी जाती थी यातनाएं इस कैंप में नाजी सैनिक यहूदियों को तरह तरह के यातनाएं देते थे। वे यहूदियों के सिर से बाल उतार देते थे। उन्हें बस जिंदा रहने भर का ही खाना दिया जाता था। भीषण ठंड में भी इनकों केवल कुछ चिथड़े ही पहनने को दिए जाते थे। जब इनमें से कोई बीमार या काम करने में अक्षम हो जाता था तो उसे गैस चेंबर में डालकर या पीटकर मार दिया जाता था। इस कैंप में किसी भी कैदी को सजा सार्वजनिक रूप से दी जाती थी, जिससे दूसरे लोगों के अंदर डर बना रहे। कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि होलोकॉस्ट में करीब 60 लाख यहूदियों की हत्या की गई थी, जो इनकी कुल आबादी का दो तिहाई हिस्सा था।
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