
तेल अवीव भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे इस समय इजरायल के दौरे पर हैं। तेल अवीव में जनरल नरवणे का भव्य स्वागत किया गया। उनकी इस यात्रा को लेकर इजरायली राजनयिक ने एक तस्वीर ट्वीट की है। अगर पाकिस्तान के हुक्मरान इसे देख लें तो उन्हें मिर्ची लगना तय है। उन्होंने अपने ट्वीट में 'जय हिंद' और 'जय इजरायल' के नारे को हिंदी में लिखा है। इस साल भारत दरअसल, इजरायल और पाकिस्तान में कूटनीतिक संबंध नहीं हैं। कट्टर इस्लामिक विचारधारा पर चलने वाली पाकिस्तान सरकार इजरायल को अपना दुश्मन मानती है। इजरायल के शीर्ष राजनयिक ने किया ट्वीट कोब्बी शोशानी मुंबई में इजरायल के महावाणिज्यिक दूत हैं। उन्होंने जनरल नरवणे की इजरायल दौरे को लेकर एक तस्वीर ट्वीट की है। इस तस्वीर में जनरल नरवणे 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों के सरेंडर करने वाली पोट्रेट के सामने बैठे हुए हैं। यह तस्वीर इसलिए भी खास है कि इस साल भारत 1971 युद्ध का स्वर्णिम विजय वर्ष भी मना रहा है। ऐसे में इस तस्वीर को ट्वीट कर इजरायली राजनयिक ने पाकिस्तान को सीधा संदेश भी दिया है। तस्वीर में क्या दिख रहा है? जनरल नरवणे के ठीक पीछे दीवार पर टंगी तस्वीर में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के कमांडर जनरल एएके नियाजी भारतीय सेना के सामने सरेंडर करते नजर आ रहे हैं। उनके सामने भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा बैठे हुए हैं। इसे किसी भी सेना का दुनिया का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण माना जाता है। भारत ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के करीब 93000 सैनिकों को सरेंडर करवाने में कामयाबी पाई थी। कारगिल युद्ध में इजरायल ने की थी मदद कारगिल युद्ध के दौरान इजरायल भारत के लिए संकट मोचक बनकर सहायता की थी। इस युद्ध के दौरान भारत को अपनी कई ऐसी खामियों के बारे में पता चला, जिसका तुरंत समाधान नहीं किया जा सकता था। भारत के पास उस समय दुश्मनों के बंकरों पर सटीक निशाना लगाने वाले न तो बम थे और न ही उनके पोस्ट की जासूसी करने वाले टोही विमान। ऐसे में भारतीय सेना केवल ग्राउंड इंटेलिजेंस के भरोसे ही पाकिस्तानी सेना से युद्ध लड़ रही थी। इजरायल ने खुलकर दिया था भारत का साथ इस बीच इजरायल ने भारत को तुरंत हथियार और गोला-बारूद के जरिए मदद करने का ऐलान कर दिया। दोनों देशों के बीच आनन-फानन में नए हथियारों की खरीद का समझौता हुआ। इस समझौते के तहत इजरायल ने उस समय सबसे उन्नत तकनीकी से लैस अपने हेरोन ड्रोन को भारत को सौंपा था। इतना ही नहीं, इस ड्रोन को ऑपरेट करने के लिए इजरायल ने भारतीय कर्मियों को प्रशिक्षण भी दिया। इजरायली लेजर गाइडेड बमों ने पाकिस्तान की बखिया उधेड़ी कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना पहाड़ियों के ऊपर मजबूत बंकरों में छिपी बैठी थी। इन बंकरों की सुरक्षा दीवार इतनी मजबूत थी कि भारतीय सेना किसी भी तरह से नीचे से इन्हें तोड़ नहीं पा रही थी। दूसरा, भारतीय वायु सेना के पास उस समय कोई ऐसा बम भी नहीं था, जो दूर से पाकिस्तानी सेना के इन बंकरों पर एकदम सटीकता से निशाना लगा सके। ऐसे में इजरायल ने भारत को लेजर गाइ़डेड बम मुहैया करवाए। इन बमों को मिराज 2000 लड़ाकू विमानों पर फिट किया गया। जिन्होंने एक के बार एक कई पाकिस्तानी बंकरों को बर्बाद कर दिया।
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