Monday, 15 November 2021

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काठमांडू नेपाल में बड़े देशों के राजनयिक अक्सर चर्चा में बने रहते हैं। इस छोटे से पहाड़ी देश में राजनयिक कभी अपने बयानों तो कभी राजनीतिक बैठकों को लेकर विवादों में भी आ जाते हैं। लेकिन, नेपाल में अमेरिकी राजदूत एक अलग ही कारण से चर्चा का विषय बन गए हैं। इस समय अमेरिका और नेपाल के बीच कूटनीतिक संबंध काफी मुश्किल हालात से गुजर रहे हैं। हिंदुओं के त्योहार मनाते रहते हैं नेपाल में अमेरिकी राजदूत हिंदू बहुसंख्यक राष्ट्र में राजदूत होने के नाते रैंडी बेरी नेपाल में मनाए जाने वाले स्थानीय त्योहारों पर बधाई देने में अक्सर आगे बने रहते हैं। वे खुद भी अपने दूतावास के कर्मचारियों के साथ स्थानीय उत्सव और त्योहारों में शामिल होते हैं। वे त्योहारों की इन तस्वीरों को अक्सर ट्विटर पर शेयर भी करते रहते हैं। ऐसे में वह नेपाल में आम लोगों के बीच काफी लोकप्रिय भी हैं। छठ पूजा में शामिल हुए थे अमेरिकी राजदूत पिछले हफ्ते ही रैंडी बेरी ने जनकपुर में छठ पूजा के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। उन्होंने सभी पांरपरिक रीति-रिवाजों में भी हिस्सा लिया था। इससे पहले उन्होंने दीप जलाकर और रंगोली बनाकर अमेरिकी दूतावास में दिवाली और दशहरा भी बनाया था। नेपाल में चीन के बढ़ते प्रभाव के कारण अमेरिका को अलगाव और विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए, अमेरिकी राजदूत रैंडी बेरी अपने काम से लोगों का दिल जीतने में जुटे हुए हैं। राजदूते के दाहिने हाथ पर बना हुआ है ओम का टैटू राजदूत रैंडी बेरी के दाहिने हाथ पर 'ओम' का टैटू भी है। ओम को हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है। वे इन दिनों नेपाल के रारा ताल का दौरे पर हैं। यह एक ऐसा पर्यटन स्थल है जिसके बारे में अधिकांश विदेशी पर्यटकों को जानकारी नहीं है। रारा ताल में पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए बेरी ने ऑस्ट्रेलियाई राजदूत के साथ इसका का दौरा किया है। नेपाल-अमेरिका के रिश्तों मे बना हुआ है तनाव नेपाल में अमेरिका से मिलने वाली आर्थिक सहायता को लेकर बड़ा राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। अमेरिका के मिलेनियम चैलेंज कॉरपोरेशन (एमसीसी) समझौते को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मोर्चा खोला हुआ है। ओली ने अपने कार्यकाल के दौरान चीन के दबाव में अमेरिका के इस समझौते को मंजूरी नहीं दी थी। मिलेनियम चैलेंज कोऑपरेशन (MCC) के तहत अमेरिका नेपाल की एक परियोजना के लिए मदद दे रहा है। वॉशिंगटन 2017 इस मदद को सहमत हुआ था। सड़क और पावर ट्रांसमिशन के लिए मदद अमेरिका ने 500 मिलियन डॉलर की मदद को तैयार हुआ था जबकि नेपाल 130 मिलियन डॉलर खुद निवेश करता। इस मदद से नेपाल एक पावर ट्रांसमिशन लाइन और 300 किलोमीटर सड़कों को अपग्रेड करने वाला था। MCC का लक्ष्य अमेरिका का इंडो-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम रहना है। यही कारण है कि चीन समर्थक केपी शर्मा ओली लगातार इस समझौते का विरोध करते रहे हैं।


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