Thursday 31 December 2020

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इस्लामाबाद पाकिस्‍तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक मौलवी के नेतृत्‍व में कट्टरपंथियों के हिंदू मंदिर को आग लगाने और उसे तोड़ने के मामले में पुलिस ने 26 लोगों को अरेस्‍ट किया है। इस हमले के सिलसिले में पुलिस ने रातभर कई जगह छापे मारे और गिरफ्तारियां कीं। इस बीच पाकिस्‍तान के सुप्रीम कोर्ट ने भी मंदिर को तोड़े जाने पर संज्ञान लिया है और 5 जनवरी को इस मामले में सुनवाई करेगा। उधर, इस हमले की पाकिस्‍तान के हिंदू समुदाय ने कड़ी आलोचना की है और इमरान सरकार से सख्‍त ऐक्‍शन लेने की मांग की है। हिंदू संत परमहंस जी महाराज के मंदिर को आग लगाए जाने की घटना करक जिले के तेरी इलाके में हुई। यहां पर अक्‍सर सिंध के हिंदू समुदाय के लोग पूजा करने के लिए आते हैं। स्‍थानीय पुलिस का कहना है कि उन्‍होंने कम से कम 26 लोगों को हिरासत में लिया है। भीड़ को उकसाने वाले लोगों को अरेस्‍ट करने के लिए अभी और छापेमारी जारी है। पाकिस्‍तानी अखबार डॉन के मुताबिक यह हमला उस समय हुआ जब हिंदू समुदाय के लोगों को इस मंदिर के मरम्‍मत की अनुमति मिल गई। 1920 से पहले बनाया गया यह मंदिर एक ऐतिहासिक पूजा स्थल इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के गवाह एक स्थानीय निवासी ने कहा, 'एक धार्मिक पार्टी के कुछ स्थानीय बुजुर्गों के नेतृत्व में एक हजार से अधिक लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और हिंदू पूजा स्थल को हटाने की मांग की।' उन्होंने कहा, 'वे मंदिर के बाहर इकट्ठा हुए, भाषण दिया ... फिर मंदिर की ओर बढ़े और उस पर हमला कर दिया।' 1920 से पहले बनाया गया यह मंदिर एक ऐतिहासिक पूजा स्थल था। इलाके के एक अन्य स्थानीय निवासी ने कहा, 'मंदिर में तोड़फोड़ करने से पहले भीड़ ने उसमें आग लगा दी। हिंदू समुदाय के एक व्यक्ति के निमार्णाधीन मकान को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया।' स्थानीय लोगों ने बताया कि आसपास के गांवों के लोगों ने हिंदू मंदिर को हटाने की मांग के साथ एक विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी, लेकिन पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक विचलित करने वाले वीडियो में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी मंदिर की दीवारों को गिराते हुए दिखे। करक जिले के पुलिस अधिकारियों ने घटना की पुष्टि की है। करक जिला के पुलिस अधिकारी इरफानुल्ला ने कहा, 'लोगों ने विरोध का आह्वान किया था, लेकिन एक आश्वासन के साथ कि यह शांतिपूर्ण होगा। हालांकि, मौलवी ने भीड़ को उकसाया, जिसके बाद वे धर्मस्थल पर हमला करने के लिए आगे बढ़े।' दूसरी बार हिंदू मंदिर पर किया गया हमला इरफानुल्ला ने कहा, 'मंदिर के रखवालों ने चोरी छुपे मंदिर के पास ही एक घर को कब्जे में ले लिया था। प्रदर्शनकारी इसके निर्माण के खिलाफ थे क्योंकि उनका कहना था कि मंदिर का विस्तार किया जा रहा है।' उन्‍होंने कहा कि इलाके में कोई हिंदू नहीं है। उन्होंने कहा, 'भीड़ ने निमार्णाधीन मकान को क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसके चलते पास में स्थित मंदिर को भी नुकसान पहुंचा।' यह दूसरी बार है कि धर्मस्थल पर हमला किया गया है। इसे 1997 में ध्वस्त कर दिया गया था और फिर 2015 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इसका पुनर्निर्माण किया गया।


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