पेइचिंग ताइवान से लेकर भारत तक दबंगई पर उतारू चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने दुनिया को उपदेश दिया है कि मजबूत देशों को कमजोर देशों के साथ धौंस नहीं दिखाना चाहिए। साथ ही उन्होंने चेतावनी भी दी कि छोटे समूह बनाना या नए शीत युद्ध को शुरू करना, दूसरों को खारिज करना, डराना या धमाकाना सिर्फ दुनिया को विभाजन की ओर ले जाएगा। चीनी राष्ट्रपति ने दावा किया कि उनका देश दूसरे देशों के साथ मतभेदों को संवाद और बातचीत के जरिए सुलझाने को प्रतिबद्ध है। जिनपिंग ने विश्व आर्थिक मंच के दावोस अजेंडा सम्मेलन में कहा, 'हमें मतभेदों को सम्मान देना होगा और उसके साथ सामंजस्य बैठाना होगा। साथ ही दूसरे देशों के आंतरिक मामलों के अंदर हस्तक्षेप से बचना होगा। असहमतियों को आपसी विचार विमर्श और संवाद के जरिए हल करना होगा।' चीनी राष्ट्रपति ने अपने भाषण में किसी देश का नाम नहीं लिया लेकिन पिछले कुछ महीनों में चीन का अमेरिका और भारत के साथ संबंध रसातल में पहुंच गया है। भारत समेत कई देशों के साथ तनावपूर्ण हालात अमेरिका में नए राष्ट्रपति जो बाइडेन के आने के बाद अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि अमेरिका-चीन संबंधों में क्या बदलाव हो सकता है। भारत समेत कई देशों के साथ तनावपूर्ण हालात पैदा करने वाले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दुनियाभर के नेताओं को चेतावनी दी है कि नया शीत युद्ध शुरू न करें। वहीं, व्यापक अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अपील करते हुए शिनपिंग ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 से जंग में दुनियाभर में प्रारंभिक प्रगति के बावजूद महामारी अपने अंत से अभी बहुत दूर है। जिनपिंग ने यह भी कहा, 'छोटे समूह बनाना या नए शीत युद्ध शुरू करना, दूसरों को खारिज करना, डराना या धमाकाना सिर्फ दुनिया को विभाजन की ओर ले जाएगा।' शिनपिंग ने कहा कि तनावपूर्ण स्थिति से हर देश के हितों का नुकसान होगा और लोगों के कल्याण का बलिदान। शिनपिंग ने कहा कि महामारी वैश्वीकरण से हासिल लाभों की समीक्षा का अवसर होना चाहिए। उन्होंने चीन की अर्थव्यवस्था में और अधिक खुलापन लाने का भी वादा किया। 'सबसे अधिक नुकसान अहंकार, पक्षपात और घृणा से होता है' चीनी राष्ट्रपति ने कहा, 'विज्ञान, तर्कों और मानवता की भावना के सहारे विश्व ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में प्रारंभिक प्रगति प्राप्त कर ली है।' उन्होंने कहा, 'महामारी अपने अंत से अभी बहुत दूर है... लेकिन शीत वसंत को और अंधेरा सुबह की रोशनी को आने से नहीं रोक सकता।' उन्होंने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, पारस्परिक लाभ और सहयोग के मार्ग पर मिलकर चलने के लिए 'वैचारिक पूर्वाग्रहों' को त्यागने का भी आह्वान किया। जिनपिंग ने कहा, 'मतभेदों से किसी को कोई नुकसान नहीं होता। जिनसे सबसे अधिक नुकसान होता है वे अहंकार, पक्षपात और घृणा हैं।' उन्होंने सभी देशों में टीका वितरण समेत विभिन्न कदमों के जरिये वैश्विकल सहयोग को बढ़ावा देने का भी आह्वान किया। जिनपिंग ने जोर देते हुए कहा कि चीन आपसी संवाद के जरिये सभी विवादों के समाधान में विश्वास करता है। उन्होंने कहा कि चीन सभी देशों के साथ मित्रतापूर्ण और सहयोगात्मक संबंध कायम रखने के मार्ग पर चलता रहेगा।
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