पेइचिंग कोरोना वायरस महामारी की उत्पत्ति का केंद्र होने का आरोप झेल रहे चीन ने सोचा था कि दूसरे देशों को वैक्सीन पहुंचाकर बाकी दुनिया का ध्यान भटका सकेगा। हालांकि, उसका यह प्लान उल्टा पड़ गया है और जिन देशों को उसने वैक्सीन देने का वादा किया था, वे शिपमेंट में देरी की शिकायत कर रहे हैं। उन्होंने चीन पर भरोसा करके दूसरे देशों की वैक्सीन के लिए डील भी नहीं की और अब उनके पास इंतजार करने को छोड़कर दूसरा रास्ता नहीं है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक कम से कम 24 देशों ने चीन के साथ पहले वैक्सीन की डील की थी। इनमें से ज्यादातर विकासशील देश थे जिनके पास अमीर देशों के Pfizer और Moderna वैक्सीन की खुराकों की डील पहले करने के कारण दूसरा विकल्प नहीं था। शिपमेंट भेजने में देरी अब ब्राजील और तुर्की शिकायत कर रहे हैं कि उन्होंने जितनी खुराकें मांगी थीं, उन्हें नहीं मिल रही हैं। इस देरी की वजह से उन्हें दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वह चीन के भरोसे बैठे थे। हालांकि, ब्राजील को भारत से AstraZeneca वैक्सीन भेज दी है। वहीं, ब्राजील में यह चर्चा शुरू हो गई है कि चीन जानबूझकर डिलिवरी में देरी कर रहा है क्योंकि वह जेयर बोल्सोनारो को चीन के खिलाफ रुख अपनाने की सजा देना चाहता है। क्या वजह दे रहा है चीन? रिपोर्ट के मुताबिक चीन अब घरेलू मांग का हवाला दे रहा है। वहां हाल में मामले एक बार फिर बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय सप्लाई के साथ-साथ अपनी आबादी को भी वैक्सिनेट करने की जरूरत है। वहीं, ब्राजील के सदन के स्पीकर रॉड्रीगो माइया का कहना है कि चीन ने तकनीकी प्रक्रिया को देरी के लिए जिम्मेदार बताया है। दूसरी ओर, Sinovac ने वैक्सीन उत्पादन और पैकेजिंग के लिए नौकरी का विज्ञापन दिया है। जहां उसकी फैक्ट्री स्थित है, कोरोना के मामले बढ़ने के कारण वहां प्रतिबंध लगे हैं। ऐसे में काम करने वालों की कमी हो गई है। देशों की जनता में नाराजगी इसके पहले से इन देशों को इस सवाल का सामना करना पड़ रहा था कि कम असरदार होने के बावजूद क्यों चीन की वैक्सीन पर भरोसा किया जा रहा था? अभी तक Sinopharm और Sinovac के असर को साबित करने वाला डेटा सामने नहीं आया है। चीन की वैक्सीन दूसरे विकल्पों से ज्यादा सस्ती भी नहीं है। इसे लेकर फिलिपींस जैसे देशों में नाराजगी भी है।
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