टोक्यो जापान के पूर्व प्रधानमंत्री को भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण देने का ऐलान किया गया है। सबसे ज्यादा वक्त तक PM पद की जिम्मेदारी संभालने वाले आबे ने पिछले साल अगस्त में सेहत का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था। उनके फैसले से भारत ने भी भारी मन से उन्हें विदा किया था। दरअसल, भारत और जापान के बीच संबंध मजबूत करने के पीछे आबे की एक बड़ी भूमिका रही है। आबे ने गहरा किया रिश्ता आबे भारत कई बार आए हैं, यहां तक कि सबसे ज्यादा बार आने वाले जापान के प्रधानमंत्री बने हैं। वह भारत के गणतंत्र दिवस पर चीफ गेस्ट के तौर पर शामिल होने वाले पहले जापानी PM रहे। आधिकारिक तौर पर 2001 में दोनों देशों के बीच 'वैश्विक साझेदारी' शुरू हुई थी और 2005 में सालाना द्विपक्षीय बैठकें करने का फैसला किया गया। हालांकि, आबे के चलते 2012 के बाद इस प्रक्रिया में तेजी देखी गई। किया 'दो महासागरों का संगम' आबे के कार्यकाल में भारत के साथ सबसे चर्चित समझौतों में से एक है फ्री और ओपन इंडो-पैसिफिक बनाने का। इसकी शुरुआत के लिए जब पहली बार आबे भारत आए थे तो उन्होंने 'दो महासागरों के संगम' की बात कर भारत का दिल जीत लिया था। उसके बाद भारत में सरकार बदल गई लेकिन दोनों देशों के बीच दोस्ती की नींव उसी समर्पण पर टिकी रही। कई अहम मुद्दों पर काम इसके बाद दोनों देशों के बीच नागरिक परमाणु ऊर्जा, समुद्री सुरक्षा, बुलेट ट्रेन, ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी और इंडो-पैसिफिक रणनीति जैसे कई मुद्दों पर काम किया गया। जापान की सेल्फ-डिफेंस फोर्स और भारत के सशस्त्र बलों के बीच सप्लाई और सर्विसेज के आदान-प्रदान का समझौता (Acquisition and Cross-Servicing Agreement, ACSA) भी किया गया। PM मोदी से दोस्ती की मिसाल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आबे के बीच दोस्ती काफी चर्चित रही। यहां तक कि पद से इस्तीफा देने के बाद न सिर्फ आबे ने PM मोदी के साथ मुलाकात को याद किया, बल्कि फोन पर आधा घंटा बात भी की। इस दौरान उन्होंने PM मोदी को 'दोस्ती और विश्वास के रिश्ते के लिए आभार' जाहिर किया। PM मोदी ने भी आबे के प्रयासों की सराहना की और एक-दूसरे से मुलाकातों को याद किया।
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