काहिरा प्राचीन पिरामिडों के देश मिस्र में एक मकबरे के अंदर दो साल पहले रहस्यमय 'जूस' मिला था। यह जूस करीब 2300 साल पुराने एक काले रंग के ताबूत के अंदर से मिला था। यह जूस मिलने की खबर मिस्र में जंगल की आग की तरह से फैली और अब 36 हजार लोग इसे पीने की मांग कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि उत्तरी मिस्र के अलेक्जेंड्रिया इलाके में पुरातत्वविद काम कर रहे थे और उन्हें एक विशाल मकबरा नजर आया जो करीब 10 फुट लंबा था। इसी मकबरे में यह ताबूत दफन किया गया था। इस ताबूत में से ममी निकली जो 305 ईसापूर्व से 30 ईसापूर्व के बीच शासन करने वाले पटोलेमिक काल की है। पुरातत्वविदों ने जब इस ममी को खोला तो उसके अंदर से तीन इंसानी कंकाल मिले। माना जा रहा है कि ये कंकाल सैनिकों के थे जो बदबूदार लाल पानी के बीच रखे हुए थे। मिस्र में ताबूत के अंदर पानी मिलने की खबर फैलते ही बवाल मच गया। लोगों का कहना है कि उन्हें इस 'जूस' को पीने की अनुमति दी जाए ताकि उसमें अगर कोई दैवी ताकत है तो वह उन्हें मिल जाए। याचिका पर अब तक 36 हजार लोग साइन कर चुके एक यूजर इन्नेस मैक ने तो चेंज डॉट ओआरजी पर याचिका शुरू की है जिस पर अब तक 36 हजार लोग साइन कर चुके हैं। इन लोगों की मांग है कि इस रहस्यमय 'जूस' को उन्हें पीने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा, 'हमें शापित काले ताबूत से मिले लाल पानी को एनर्जी ड्रिंक के रूप में पीने की अनुमति दी जाए ताकि हमारे अंदर उसकी ताकत आ जाए और हम अंतत: मर सकें।' वहीं कुछ लोग अपनी स्वतंत्रता के अधिकार का हवाला देकर इसे पीने की अनुमति देने की मांग कर रहे हैं। इन्नेस ने यह भी कहा कि इस जूस को सीवर का पानी न कहें क्योंकि सभी जानते हैं कि हड्डियां मल त्याग नहीं कर सकती हैं। उधर, अन्य लोगों का कहना है कि यह मकबरा संभवत: शापित है और उन्होंने जोर देकर कहा है कि अगर उसे खोला गया तो दुनिया में प्लेग जैसी महामारी फैल सकती है। इस बीच मिस्र के प्रतिष्ठित पुरातत्वविद मुस्तफा वजीरी ने कहा है कि हमने इसे खोला है और अल्लाह का शुक्र है कि दुनिया में अंधेरा नहीं फैला। मैंने सबसे पहले अपना सिर इस ताबूत के अंदर डाला था और मैं अभी भी जिंदा हूं।
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