Friday 29 January 2021

https://ift.tt/36CAGd7

भारत में इजरायल के दूतावास के बाहर IED ब्लास्ट ने देश समेत दुनिया को हिलाकर रख दिया। इजरायल ने भारत पर भरोसा जताया है उसके नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। इसी बीच इजरायल की खतरनाक खुफिया एजेंसी मोसाद एक बार फिर चर्चा में आ गई है। चर्चा तेज है कि हमले के पीछे जिसका भी हाथ होगा, उसके लिए मोसाद से बचना न के बराबर होगा। खास बात है इस वक्त मोसाद के चीफ योसी कोहेन (Yossi Cohen) का दुनिया के हर कोने में दबदबा। कोहेन का सिक्का न सिर्फ इजरायल, बल्कि विदेशी धरती पर भी चलता है और उन्हें इजरायल की सुरक्षा के पीछे एक बड़ा चेहरा माना जाता है।

Mossad Chief Yossi Cohen: इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के चीफ योसी कोहेन का दुनियाभर में असर है। उन्होंने इजरायल की सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है।


Yossi Cohen: ईरान की नाक के नीचे से न्यूक्लियर सीक्रेट उड़ाने वाले मोसाद चीफ से कैसे बचेंगे दिल्ली धमाके के गुनहगार?

भारत में इजरायल के दूतावास के बाहर IED ब्लास्ट ने देश समेत दुनिया को हिलाकर रख दिया। इजरायल ने भारत पर भरोसा जताया है उसके नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। इसी बीच इजरायल की खतरनाक खुफिया एजेंसी मोसाद एक बार फिर चर्चा में आ गई है। चर्चा तेज है कि हमले के पीछे जिसका भी हाथ होगा, उसके लिए मोसाद से बचना न के बराबर होगा। खास बात है इस वक्त मोसाद के चीफ योसी कोहेन (Yossi Cohen) का दुनिया के हर कोने में दबदबा। कोहेन का सिक्का न सिर्फ इजरायल, बल्कि विदेशी धरती पर भी चलता है और उन्हें इजरायल की सुरक्षा के पीछे एक बड़ा चेहरा माना जाता है।



​योसी कोहेन का चलता है सिक्का
​योसी कोहेन का चलता है सिक्का

मोसाद के डायरेक्टर योसी कोहेन कितने प्रभावशाली हैं इसका पता इस बात से चलता है कि इजरायल और बाहरेन, संयुक्त अरब अमीरात और सूडान से बातचीत के पीछे उनकी बड़ी भूमिका रही है। मोसाद के डायरेक्टर कोहेन अरब देशों में अपनी समकक्षों से बातचीत के लिए गए हैं। यही नहीं, देश की कोरोना वायरस से लड़ाई में मोसाद ने युद्धस्तर पर काम किया है। संसाधन जुटाने से लेकर इसके जासूसों ने सक्रियता के कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की है जिसकी मिसाल दी जाती है। कोहेन के नाम जो सबसे बड़ा मिशन है, वह है 2018 में ईरान के परमाणु आर्काइव को तेहरान से उड़ा ले जाना। उन्होंने खुद यह मिशन तैयार किया था और इसे एग्जिक्यूट कराया था।



​नेतन्याहू से पहले पहुंचेंगे वाइट हाउस?
​नेतन्याहू से पहले पहुंचेंगे वाइट हाउस?

इन दिनों योसी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात की खबरों को लेकर भी चर्चा में हैं। टाइम्स ऑफ इजरायल ने चैनल 13 की रिपोर्ट के हवाले से दावा किया है कि फरवरी में योसी बाइडेन से मुलाकात कर सकते हैं। यह मुलाकात इसलिए खास होगी क्योंकि वह पहले ऐसे इजरायली ही नहीं, किसी भी देश के पहले अधिकारी होंगे जो नए प्रशासन से कोरोना के प्रतिबंधों के बीच मुलाकात करेंगे। यही नहीं, आमतौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति से पहली मुलाकात राष्ट्राध्यक्ष करते हैं लेकिन नेतन्याहू से पहले योसी के पहुंचने की खबरें आने लगी हैं।



​मोसाद को दी नई ताकत
​मोसाद को दी नई ताकत

कोहेन के नेतृत्व में मोसाद का बजट भी बढ़ता जा रहा है। अगस्त 2020 में एक स्टेट कंप्ट्रोलर रिपोर्ट में खुलासा किया गया था कि एजेंसी का बजट 1.5 अरब न्यू इजरायली शेकेल (NIS) पार कर 2.6 अरब NIS पर पहुंच गया। इसके साथ ही मोसाद बजट और जासूसों की संख्या के मामले में भी अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA के बाद सबसे बड़ी हो गई।



​आखिर है क्या मोसाद?
​आखिर है क्या मोसाद?

मोसाद की स्थापना 13 दिसंबर, 1949 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड बेन-गूरियन की सलाह पर की गई थी। वह चाहते थे कि एक केंद्रीय इकाई बनाई जाए जो मौजूदा सिक्यॉरिटी सेवाओं- सेना के इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट, आंतरिक सुरक्षा सेवा और विदेश के राजनीति विभाग के साथ समन्वय और सहयोग को बढ़ाए। मार्च 1951 में इसे पीएम ऑफिस का हिस्सा बना दिया गया और जवाबदेही प्रधानमंत्री को तय कर दी गई।



क्या है मकसद?
क्या है मकसद?

मोसाद का काम है खुफिया जानकारी इकट्ठा करना, इसके लिए खुफिया ऑपरेशनों को अंजाम देना और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई। देश के किसी भी कानून में इसके उद्देश्य, भूमिकाओं, मिशन, पावर और बजट के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। इसे देश के संवैधानिक कानूनों से बाहर रखा गया है। इसलिए मोसाद को डीप स्टेट कहते हैं। इसके डायरेक्टर की जवाबदेही सीधे तौर पर और सिर्फ देश के प्रधानमंत्री को होती है। इसकी Metsada यूनिट दुश्मनों पर हमले के लिए जिम्मेदार होती है। साल 1960 में अडोल्फ ईशमन की किडनैपिंग हो या इजरायल के ऐथलीट्स को 1972 म्यूनिक ओलिंपिक में मारे जाने पर घातक प्रतिक्रिया, मोसाद के नाम कई खतरनाक कांड हैं। यहां तक कि 2018 में मोसाद के जासूस न्यूक्लियर आर्काइव को ईरान से अजरबैजान के रास्ते इजरायल ले गए और ईरान की सिक्यॉरिटी सर्विसेज कुछ नहीं कर पाईं।





from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3pzMYd7
via IFTTT

No comments:

Post a Comment

https://ift.tt/36CAGd7

रियाद सऊदी अरब के नेतृत्‍व में गठबंधन सेना ने यमन की राजधानी सना में हूती विद्रोहियों के एक शिविर को हवाई हमला करके तबाह कर दिया है। सऊदी...