
लंदन में ब्रिटिश रिसर्च स्टेशन के पास एक विशाल हिमखंड टूट गया है। ने बताया है कि बर्फ के इस टुकड़े का क्षेत्रफल 1,270 वर्ग किलोमीटर है। बताया जा रहा है कि यह घटना 26 फरवरी को हुई थी। लेकिन, इससे ब्रिटिश रिसर्च सेंटर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है क्योंकि आर्कटिक की सर्दियों के कारण इस स्टेशन को बंद किया गया है। हालात का जायजा ले रही ब्रिटिश एजेंसियां घटना के बाद से ब्रिटिश एजेंसियां पूरे इलाके का हवाई सर्वेक्षण कर हालात का जायजा ले रही हैं। इतने बड़े आकार के हिमखंड के टूटने से तहलका मचा हुआ है। कुछ विशेषज्ञ इसे ग्लोबल वॉर्मिंग से जोड़कर देख रहे हैं। उनका कहना है कि इंसानों की इस शीत मरुस्थल में बढ़ती आवाजाही से यहां का वातावरण गर्म हो रहा है। वहीं, दूसरी तरफ समुद्र का बढ़ता तापमान भी इन हिमखंडों को धीरे-धीरे पिघला रहा है। कैल्विंग के कारण टूटा हिमखंड वैज्ञानिकों ने बताया है कि 150 मीटर मोटी ब्रंट आइस शेल्फ कैल्विंग प्रक्रिया के कारण टूटी है। इस टुकड़े में पहले भी दरार देखा जा चुका था। जिसके बाद वैज्ञानिकों ने कहा था कि आने वाले दिनों में यह टुकड़ा अलग हो सकता है। बताया जा रहा है कि यह घटना आर्कटिक में ब्रिटेन के हैली रिसर्च स्टेशन से सिर्फ 20 किलोमीटर की दूरी पर हुआ है। ब्रिटिश ग्लेशियोलॉजिस्ट ने बताया दुर्लभ ब्रिटिश ग्लेशियोलॉजिस्ट और स्वानसी में जियोलॉजी के प्रोफेसर एड्रियन लकमैन ने बीबीसी को बताया कि अंटार्कटिक की बर्फ के बड़े हिस्सों को टूटना सामान्य बात है, लेकिन ब्रंट आइस शेल्फ में यह दरार वैज्ञानिकों के लिए दुर्लभ और रोमांचक है। हर साल अंटार्कटिका पहुंचते हैं हजारों शोधकर्ता बर्फ का जमा हुए रेगिस्तान (अंटार्कटिका) में हर साल करीब 1,000 से अधिक शोधकर्ता पहुंचते हैं। ये यहां के छिपे हुए रहस्यों का पता लगाने के अलावा जलवायु परिवर्तन की निगरानी भी करते हैं। इस क्षेत्र में कुछ जगहों पर तो तापमान माइनस 90 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। कठोर भौगोलिक परिस्थितियों के कारण अंटार्कटिका के कई क्षेत्रों की निगरानी तो केवल सैटेलाइट्स के जरिए ही की जाती है।
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