वॉशिंगटन अमेरिकी थिंकटैंक ने इस साल भारत की फ्रीडम रैंकिंग को पिछले साल की अपेक्षा और नीचे कर दिया है। भारत पहले FREE (स्वतंत्र) कैटेगरी वाले देशों में शामिल था। जबकि, इस साल जो नई सूची जारी हुई है उसमें भारत को PARTLY FREE (आंशिक स्वतंत्र) वाली कैटेगरी में रखा गया है। इस थिंकटैंक ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में लोगों की आवाज स्वतंत्र नहीं रही है। इस रिपोर्ट में पिछले साल भारत का स्कोर 70 था जो इस साल घटकर 67 हो गया है। मोदी सरकार पर निशाना साधा दुनियाभर के लोकतांत्रिक देशों में स्वतंत्रता पर रिसर्च करने वाली इस संस्था को आमतौर पर स्वतंत्र माना जाता है, लेकिन इसकी फंडिंग अमेरिका करता है। ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि रिपोर्ट पर अमेरिका का कोई असर न हो। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदू राष्ट्रवादी सरकार में मानवाधिकार संगठनों पर बढ़ते दबाव, भारत में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा, पत्रकारों की धमकी और न्यायिक हस्तक्षेप के मामले बढ़ रहे हैं। लॉकडाउन में मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप फ्रीडम हाउस ने बुधवार को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में भारत और चीन पर निशाना साधा। इसमें कहा गया है कि मोदी सरकार ने कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान मौलिक अधिकारों का दुरुपयोग किया। यह भी आरोप लगाया गया है कि दू राष्ट्रवादी सरकार और उसके सहयोगियों ने मुस्लिम आबादी को प्रभावित करने वाली बढ़ती हिंसा और भेदभावपूर्ण नीतियों अगुवाई की है। इन देशों में सबसे अधिक स्वतंत्रता फ्रीडम हाउस ने अपनी रिपोर्ट में फिनलैंड, नॉर्वे और स्वीडन को 100 नंबर दिए हैं। उन्होंने दावा किया है कि इन देशों में लोगों को सबसे अधिक स्वतंत्रता मिली हुई है। जबकि 1 का स्कोर तिब्बत और सीरिया को मिला है। थिंकटैंक का आरोप है कि यहां के नागरिकों को अपनी आवाज उठाने की बिलकुल भी आजादी नहीं है। इस थिंकटैंक ने 25 तरह से अलग-अलग पैरामीटर के आधार पर दुनियाभर के देशों का अध्ययन किया है।
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