Thursday 4 March 2021

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धरती के बाहर जीवन की खोज कर रहे वैज्ञानिकों ने एक ऐस्टरॉइड पर उत्साहजनक खोज की है। धरती पर जीवन के लिए अहम ऑर्गैनिक मैटर पहली बार एक ऐस्टरॉइड पर पाया गया है। लंदन की रॉयल हॉलोवे यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने ऐस्टरॉइड Itokawa से मिले सैंपल को स्टडी किया जिसमें ये नतीजे मिले हैं। साल 2010 में जापान की एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) का पहला हायाबूसा (Hayabusa) मिशन धूल का यह कण लेकर आया जिससे स्टडी की गई है। दिलचस्प बात यह है कि यह ऑर्गैनिक मैटर ऐस्टरॉइड पर ही बना है, किसी टक्कर की वजह से नहीं। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह अरबों साल में केमिकल विकास के साथ पैदा हुआ है। इस खोज के साथ ही धरती पर जीवन कैसे शुरू हुआ, इस पर रुख भी बदल सकता है।

Water on Asteroid Itokawa: जापान का Hayabusa मिशन ऐस्टरॉइड itokawa से सैंपल लेकर आया था। इसमें पानी और Organic Matter मिला है। इससे यह पता चल सकेगा कि धरती पर जीवन का विकास कैसे हुआ था।


Water on Asteroid Itokawa: पहली बार एक ऐस्टरॉइड पर पानी, 'जीवन-संकेत' की खोज...धरती पर कैसे शुरू हुई जिंदगी? मिलेंगे जवाब

धरती के बाहर जीवन की खोज कर रहे वैज्ञानिकों ने एक ऐस्टरॉइड पर उत्साहजनक खोज की है। धरती पर जीवन के लिए अहम ऑर्गैनिक मैटर पहली बार एक ऐस्टरॉइड पर पाया गया है। लंदन की रॉयल हॉलोवे यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने ऐस्टरॉइड Itokawa से मिले सैंपल को स्टडी किया जिसमें ये नतीजे मिले हैं। साल 2010 में जापान की एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) का पहला हायाबूसा (Hayabusa) मिशन धूल का यह कण लेकर आया जिससे स्टडी की गई है। दिलचस्प बात यह है कि यह ऑर्गैनिक मैटर ऐस्टरॉइड पर ही बना है, किसी टक्कर की वजह से नहीं। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि यह अरबों साल में केमिकल विकास के साथ पैदा हुआ है। इस खोज के साथ ही धरती पर जीवन कैसे शुरू हुआ, इस पर रुख भी बदल सकता है।



दोबारा लिखा जाएगा इतिहास?
दोबारा लिखा जाएगा इतिहास?

स्टडी करने वाली ब्रिटेन की टीम के मुताबिक पहली बार किसी ऐस्टरॉइड की सतह पर ऐसा मटीरियल मिला है। टीम का कहना है कि यह एक बड़ी खोज है जो हमारे ग्रह पर जीवन के इतिहास को दोबारा लिख सकती है। दरअसल, ऐस्टरॉइड पर ऑर्गैनिक मैटर का मिलना धरती पर जीवन के विकास जैसा लगता है। स्टडी के लीड रिसर्चर डॉ. क्वीनी चान ने मेलऑनलाइन को बताया, 'ऑर्गैनिक मैटर से सीधे-सीधे जीवन होने का पता नहीं चलता है लेकिन इससे पता चलता है कि धरती पर जीवन पैदा होने के लिए शुरुआती मटीरियल ऐस्टरॉइड पर मौजूद है।' Itokawa अरबों साल से अंतरिक्ष की दूसरी स्पेस-बॉडीज से मटीरियल लेकर पानी और ऑर्गैनिक मैटर बना रहा है।



इस ऐस्टरॉइड पर क्या हुआ था?
इस ऐस्टरॉइड पर क्या हुआ था?

स्टडी में बताया गया है कि पहले किसी विनाशकारी घटना में ऐस्टरॉइड बहुत ज्यादा गर्म हुआ होगा, इसका पानी खत्म हो गया होगा और फिर यह टूट गया होगा। इसके बावजूद इसने जैसे खुद को दोबारा बनाया और स्पेस से आती धूल या कार्बन से भरे उल्कापिंडों की मदद से इस पर फिर से पानी बनने लगा। इस स्टडी में दिखाया गया है कि S-टाइप के ऐस्टरॉइड, जहां से ज्यादातर ऐस्टरॉइड धरती पर आते हैं, उन पर जीवन के लिए जरूरी मटीरियल होते हैं। चान ने बताया कि कार्बनेशनस ऐस्टरॉइड्स की तरह इन चट्टानी ऐस्टरॉइड्स पर कार्बन से भरा मटीरियल भले ही ज्यादा न हो लेकिन उनकी केमिस्ट्री और पानी की मात्रा हमारी शुरुआती धरती जैसी होती है।



बदलेगा धरती पर जीवन का ज्ञान
बदलेगा धरती पर जीवन का ज्ञान

खास बात यह है कि अगर हमारे ब्रह्मांड में धरती जैसा कोई और ग्रह हो, तो वहां Itokawa जैसा ऐस्टरॉइड जीवन पैदा कर सकता है। अब धरती पर जीवन की उत्पत्ति के लिए C-टाइप कार्बन से भरे ऐस्टरॉइड्स पर ध्यान दिया जाता है। डॉ. चान ने बताया कि इस खोज से ऐस्टरॉइड्स से सैंपल धरती पर लाने की अहमियत का पता चलता है। Itokawa की धूल के सिर्फ एक कण, जिसे Amazon नाम दिया गया है, इसकी स्टडी ने गर्म होने से पहले के प्रिमिटिव और गर्म हो चुके प्रोसेस्ट ऑर्गैनिक मैटर को संभालकर रखा है। इससे पता चला है कि ऐस्टरॉइड को कभी 600 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान का सामना करना पड़ा था। डॉ. चान का कहना है कि प्रिमिटिव ऑर्गैनिक मैटर को देखकर कहा जा सकता है कि यह तब इस पर पहुंचा होगा जब ऐस्टरॉइड ठंडा हो चुका था।



ऐस्टरॉइड Ryugu से सैंपल लाया Hayabusa 2
ऐस्टरॉइड Ryugu से सैंपल लाया Hayabusa 2

पिछले साल दिंसबर में JAXA का Hayabusa 2 कैप्सूल धरती के करीबी ऐस्टरॉइड Ryugu से सैंपल लेकर लौट चुका है। Hayabusa 2 मिशन दिसंबर 2014 में लॉन्च किया गया था। यह 2018 में Ryugu पर पहुंचा और 2019 में सैंपल इकट्ठा किए गए जिनमें से कुछ सतह के नीचे थे। Hayabusa 2 कैप्सूल पहली बार किसी ऐस्टरॉइड के अंदरूनी हिस्से से चट्टानी सैंपल लेने वाला मिशन बना है। ऐसा दूसरी बार है कि किसी ऐस्टरॉइड से अनछुए मटीरियल को धरती पर वापस लाया गया है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि सैंपल्स की मदद से धरती पर जीवन की उत्पत्ति से जुड़े जवाब मिल सकेंगे। ऐस्टरॉइड की सतह से लिए गए सैंपल में मूल्यवान डेटा मिल सकता है क्योंकि यहां स्पेस रेडिएशन और दूसरे फैक्टर्स का असर नहीं होता है।





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