Tuesday 2 March 2021

https://ift.tt/36CAGd7

दुनियाभर के लिए रहस्‍य का विषय बने मिस्र के हजारों साल पुराने ममी को बनाने का सच सामने आ गया है। पुरातत्‍वविदों ने करीब 3500 साल पुरानी एक किताब से किसी लाश को ममी बनाने की सबसे पुरानी प्रक्रिया का पता लगा लिया है। बताया जाता है कि करीब 4 हजार साल पहले से ही प्राचीन मिस्र में इंसान के मरने के बाद उसे ममी बनाने की प्रक्रिया चल रही है। अब यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन के शोधकर्ताओं को किताब से लाश को ममी बनाने की सबसे पुरानी प्रक्रिया का पता चला है। यह किताब एक भोजपत्र की शक्‍ल में है और उसे पेरिस में रखा गया है। इस किताब से कई डरावनी चीजें निकलकर सामने आई हैं। आइए जानते हैं प्राचीन मिस्र में कैसे लाशों को बनाया जाता था ममी....

Egypt Mummification Manual: प्राचीन म‍िस्र में लाश को ममी बनाने की प्रक्रिया का खुलासा हो गया है। करीब 3500 साल पुराने भोजपत्र Papyrus Louvre-Carlsberg से पता चला है क‍ि प्राचीन म‍िस्र के लोग ममी बनाने से पहले इंसानी लाश से द‍िमाग को न‍िकाल लेते थे। आइए जानते हैं पूरी प्र‍क्रिया.....


Mummification Manual: मिस्र में लाश को ममी बनाने की डरावनी प्रक्रिया आई सामने, 3500 साल पुरानी किताब से खुला राज

दुनियाभर के लिए रहस्‍य का विषय बने मिस्र के हजारों साल पुराने ममी को बनाने का सच सामने आ गया है। पुरातत्‍वविदों ने करीब 3500 साल पुरानी एक किताब से किसी लाश को ममी बनाने की सबसे पुरानी प्रक्रिया का पता लगा लिया है। बताया जाता है कि करीब 4 हजार साल पहले से ही प्राचीन मिस्र में इंसान के मरने के बाद उसे ममी बनाने की प्रक्रिया चल रही है। अब यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन के शोधकर्ताओं को किताब से लाश को ममी बनाने की सबसे पुरानी प्रक्रिया का पता चला है। यह किताब एक भोजपत्र की शक्‍ल में है और उसे पेरिस में रखा गया है। इस किताब से कई डरावनी चीजें निकलकर सामने आई हैं। आइए जानते हैं प्राचीन मिस्र में कैसे लाशों को बनाया जाता था ममी....



ममी बनाने से पहले शव पर लगाया जाता था खास लेप
ममी बनाने से पहले शव पर लगाया जाता था खास लेप

प्राचीन म‍िस्र में शव पर लेप को लगाने को एक बेहद पवित्र कला माना जाता था और इसकी जानकारी केवल कुछ ही लोगों तक सीमित थी। इस कला के बारे में ज्‍यादातर गुप्‍त बातें केवल कुछ ही लोगों तक सीमित थी। यह कला एक व्‍यक्ति से दूसरे व्‍यक्ति को ज्‍यादातर जुबानी तरीके से स‍िखाई जाती थी। मिस्र मामले के विशेषज्ञों का मानना है कि शव पर लेप लगाए जाने के बारे में लिख‍ित में साक्ष्‍य अतिदुर्लभ है। अब तक केवल दो ऐसी किताबें मिली हैं जिनमें मिस्र में शवों को लेप लगाकर ममी बनाने के बारे में जानकारी देने वाला माना जाता है। अब पुरातत्‍वविदों को भोजपत्र की शक्‍ल में मौजूद एक ऐसी मेडिकल बुक को पढ़ने में सफलता मिली है जिसमें ममी बनाने की पूरी प्रक्रिया को समझाया गया है। इस किताब में हर्बल मेडिसिन और त्‍वचा के सूजन के बारे में जानकारी दी गई है। इस किताब को हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन में मिस्र मामलों की विशेषज्ञ सोफी चिओड्ट ने संपादित किया है। यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन ने एक बयान जारी करके कहा कि इस भोजपत्र में सबसे पहले इस्‍तेमाल किए जाने वाले हर्बल इलाज के बारे में जानकारी है।



मिस्र के लोग लाश को 70 द‍िन में इस तरह से बनाते थे ममी
मिस्र के लोग लाश को 70 द‍िन में इस तरह से बनाते थे ममी

मिस्र मामलों की विशेषज्ञ सोफी ने कहा कि इस किताब को पढ़ने वाले के लिए यह जरूरी है कि वह विशेषज्ञ हो ताकि उसे इस प्रक्रिया का पूरा विवरण याद रह सके। इसमें मलहम का इस्‍तेमाल और विभिन्‍न तरह की पट्टियों को किस तरह से लगाना है, यह शामिल है। सोफी ने अभी अपनी पूरी स्क्रिप्‍ट को जारी नहीं किया है और इसे अगले साल जारी किया जाएगा। किताब में शव के ऊपर कैसे लेप लगाना है, इसकी पूरी जानकारी दी गई है। प्राचीन मिस्र के लोग मृतक व्‍यक्ति के सिर के ऊपर एक लाल कपड़ा लगाते थे। इस कपड़े पर कुछ प्‍लांट आधारित सॉल्‍यूशन लगा रहता था। इस सॉल्‍यूशन में सुगंधित पदार्थ और बाइंडर भी लगे रहते थे। इसका इस्‍तेमाल बैक्‍टीरिया और कीड़ों को मारने के लिए किया जाता था। इस किताब में एक और प्रक्रिया के बारे में बताया गया है जिसको पूरा करने में कुल 70 दिन लगते थे। शव के ऊपर लेप लगाए जाने का काम हर चार दिन पर किया जाता था। इस दौरान लाश को सुखाने और उसे बैक्‍टीरिया रोधी तरल पदार्थ में डाला जाता था।



भोजपत्र में बताया दैवीय पौधे का महत्‍व, 4 नंबर सबसे अहम
भोजपत्र में बताया दैवीय पौधे का महत्‍व, 4 नंबर सबसे अहम

यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन ने बताया कि भोजपत्र में घरों के इस्‍तेमाल, एक दैवीय पौधे के धार्मिक महत्‍व और उसके बीजों के बारे में जानकारी है। किताब के एक बड़े हिस्‍से में त्‍वचा के सूजन के इलाज को लेकर जानकारी दी गई है। प्राचीन मिस्र के लोगों का मानना है कि त्‍वचा की इस बीमारी को चंद्रमा देवता खोंसू ने दिया है। सोफी ने कहा कि इस किताब से पहले से मौजूद दो अन्‍य किताबों के तुलना का बेहतरीन मौका मिला है। उन्‍होंने कहा कि ममी बनाने की इस सबसे पुरानी प्रथा में से कई बातों को बाद में आई किताबों में जगह नहीं दी गई है। उन्‍होंने बताया कि ममी बनाने की प्रक्रिया को बहुत विस्‍तृत तरीके से समझाया गया है। इस किताब से पता चला है कि प्राचीन मिस्र के लोगों के लिए 4 नंबर बेहद अहम था। शव पर लेप लगाने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कब्र के पास एक वर्कशाप बनाया जाता था। इस दौरान 70 दिन की अवधि को दो भागों में बांटा जाता था। इसमें 35 दिनों तक शव को सुखाया जाता था और 35 दिन तक उसे लपेटा जाता था।



लाश से न‍िकाला जाता था द‍िमाग, 68वें द‍िन तैयार होती थी ममी
लाश से न‍िकाला जाता था द‍िमाग, 68वें द‍िन तैयार होती थी ममी

शव को लेप लगाए जाने के 4 दिन बाद उसके अंदर से शरीर के अंगों और दिमाग को निकाला जाता था। इसके बाद आंख भी नष्‍ट हो जाती थी। 70 दिन की पूरी प्रक्रिया में 68वें दिन ममी बनकर तैयार हो जाती थी और उसे ताबूत के अंदर रख दिया जाता था ताकि वह मरने के बाद अपनी जिंदगी को जी सके। सोफी ने बताया कि 70 दिनों के दौरान ममी के लिए एक यात्रा निकाली जाती थी और मरने वाले के शरीर के शुद्धता का जश्‍न मनाया जाता था। शव पर लेप लगाए जाने के दौरान कुल 17 बार जुलूस निकाला जाता था। हर 4 दिन के अंतराल पर शव को कपड़े से ढंका जाता था और सुगंधित पदार्थ के साथ तिनका डाला जाता था ताकि कीड़े और मुर्दाखोर दूर रहें। करीब 3500 साल पुराने इस भोजपत्र को Louvre-Carlsberg Papyrus कहा जाता है। यह प्राचीन मिस्र के समय बचाई गई दूसरी सबसे लंबी किताब है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह किताब कम से कम 6 मीटर लंबी है और यह करीब 1450 ईसापूर्व की है। इस किताब में ज्‍यादातर जानकारी हर्बल उपचार और त्‍वचा की बीमारी के बारे में है।





from World News in Hindi, दुनिया न्यूज़, International News Headlines in Hindi, दुनिया समाचार, दुनिया खबरें, विश्व समाचार | Navbharat Times https://ift.tt/3uImiKa
via IFTTT

No comments:

Post a Comment

https://ift.tt/36CAGd7

रियाद सऊदी अरब के नेतृत्‍व में गठबंधन सेना ने यमन की राजधानी सना में हूती विद्रोहियों के एक शिविर को हवाई हमला करके तबाह कर दिया है। सऊदी...