Saturday, 27 March 2021

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ढाका बांग्लादेश के आजादी की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर दो दिवसीय दौरे पर ढाका पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक कट्टर इस्लामिक संगठन विरोध कर रहा है। शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद राजधानी ढाका और चटगांव में कट्टरपंथियों ने जुलूस निकाला। जिसमें पुलिस के साथ झड़प के दौरान चार प्रदर्शनकारी मारे गए। विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए ढाका की सुरक्षा को भी बढ़ा दिया गया है। पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था का हवाला देकर आज ढाका में फेसबुक पर भी अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया है। चटगांव में कट्टरपंथियों के प्रदर्शन में 4 की मौत चटगांव में सुरक्षाबलों के साथ हुई हिंसक झड़प में चार लोग घायल हो गए। जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया, लेकिन उन सभी ने दम तोड़ दिया। ये लोग जुमे की नमाज के बाद चटगांव के हथाजरी मदरसे से निकले एक विरोध मार्च में शामिल थे। इस दौरान कई लोग घायल भी हुए हैं। रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि उग्र भीड़ ने स्थानीय थाने में जमकर तोड़फोड़ की। उन्होंने पत्थरबाजी के बाद थाने को आग लगाने का भी प्रयास किया। जिसके बाद ऐक्शन में आई पुलिस ने उग्र प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए बल प्रयोग किया। दावा किया जा रहा है कि इस दौरान पुलिस ने फायरिंग की, जिसमें चार लोगों की मौत हुई है। ढाका में भी पुलिस से झड़प, फेसबुक पर बैन जुमे की नमाज के बाद राजधानी ढाका के बैतुल मुकर्रम इलाके में भी लोगों ने प्रदर्शन किया है। इस दौरान भी पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़प हुई। पुलिस ने पूरे ढाका में लोगों के प्रदर्शनों पर रोक का ऐलान किया हुआ है। हिफाजत ए इस्लाम नाम के एक कट्टरपंथी संगठन ने पहले ही पीएम मोदी के दौरे का विरोध करने का ऐलान किया था। चटगांव और ढाका में विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए पूरे इलाके में पुलिस को अलर्ट कर दिया गया है। कौन है संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम का गठन 2010 में बांग्लादेश के मदरसा शिक्षकों और छात्रों को मिलाकर बनाया गया था। यह एक कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन है, जिसकी अधिकतर फंडिंग पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी करती है। द इकोनॉमिस्ट के अनुसार, हिफाजत ए इस्लाम की फाइनेंसिंग का बड़ा हिस्सा सऊदी अरब के कट्टरपंथी शेखों के जरिए किया जाता है। इस संगठन ने साल 2013 में बांग्लादेश की सरकार को एक 13 सूत्रीय चार्टर सौंपा था जिसमें ईशनिंदा कानून को लागू किए जाने की मांग की गई थी। कैसे हुआ इस कट्टरपंथी संगठन का जन्म साल 2009 में बांग्लादेश की सरकार ने महिला विकास पॉलिसी के ड्राफ्ट को तैयार किया था। जिसका कट्टरपंथी गुटों ने बड़ा विरोध किया। 24 फरवरी 2010 को मदरसा शिक्षकों और छात्रों ने धर्म आधारित राजनीति पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के खिलाफ बांग्लादेशी सरकार के कदम का विरोध करने के लिए चटगांव के लालडिग्गी मैदान में एक रैली आयोजित करने का फैसला किया। उनकी मांग थी कि इस रैली के जरिए वे अपनी ताकत दिखाकर सरकार के ऊपर संविधान में पांचवां संशोधन रद्द करने का दबाव बनाएंगे। इसमें बांग्लादेश में मदरसा शिक्षा को खत्म कर एक नई शिक्षा नीति का प्रस्ताव दिया गया था। पुलिस ने इनकी मंशा भांपते हुए जब रैली की अनुमति देने से इनकार किया तो इन कट्टरपंथियों ने जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की। इसके बाद इनके संगठन का नाम बांग्लादेश समेत पूरी दुनिया में फैल गया। इन लोगों ने बनाया था इस कट्टर इस्लामिक संगठन को हिफाजत-ए-इस्लाम को हतज़ारी मदरसा के पूर्व डॉयरेक्टर अहमद शफी, वर्तमान अमीर ए हिफाजत अल्लामा जुनैद बाबुनगरी और इस्लामिक पार्टी इस्लामी ओइक्या जोते के चेयरमैन मुफ्ती इजहारुल इस्लाम ने मिलकर इस संगठन की स्थापना की थी। इनके अलावा पहली महिला क्वामी मरदसे की संस्थापक और प्रिंसपल अब्दुल मालेक हलीम भी इस संगठन के संस्थापक सदस्यों में शामिल हैं।


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