
वॉशिंगटन अमेरिका के मियामी में वैज्ञानिकों ने मकड़ी की एक नई प्रजाति की खोज की है। यह मकड़ी इतनी जहरीली है कि इसका एक डंक इंसानों को दर्द से बिलबिलाने पर मजबूर कर सकता है। यह मकड़ी ब्राजील में पाई जाने वाली ब्लैक टारेंटयुला के जैसे दिखााई देती है। इसका नाम पाइन रॉकलैंड ट्रेपडर स्पाइडर (उम्मीडिया रिचमंड) रखा गया है। इसे सबसे पहले फ्लोरिडा के मियामी जू में देखा गया था। नर से बड़ी होती हैं मादा मकड़ियां नर मकड़ी का आकार वर्तमान 1 रुपये के सिक्के के बराबर होता है। जबकि, मादा मकड़ियां दो से तीन गुना ज्यादा बड़ी होती हैं। रॉकलैंड ट्रेपडर स्पाइडर एक जाल बुनने वाली मकड़ी है। जिससे यह अपने शिकारियों से छिपी रहती है और जाल में फंसने वाले शिकारों को खाती है। इस प्रकार की मकड़ियां अपने पूरे जीवनकाल में दशकों तक एक ही स्थान पर जाल बुनकर रह सकती हैं। घात लगाकर करती है शिकार मियामी जू के चीफ कंजरवेटर फ्रैंक रिडले ने कहा कि मेरे लिए यह एक छोटे चमकदार काले टारेंटयुला के समान है। इस तरह की प्रजातियां घात लगाए शिकारियों की तरह होती हैं। वे नरम और रेतीली सतह पर जाल बुनकर अपने शिकार के फंसने का इंतजार करती हैं। इस दौरान वे खुद को अच्छे से छिपाए रखती हैं। जब शिकार फंस जाता है तो ये मकड़ियां उसे पकड़ने के लिए अपने खोल से बाहर निकलती हैं। पाइन रॉकलैंड जंगल में मिली थी यह मकड़ी चिड़ियाघर मियामी कर्मचारियों ने पाइन रॉकलैंड जंगल में इस मकड़ी को देखा था। स्टाफ ने नमूने की एक तस्वीर ली और पहचान के लिए चिड़ियाघर के संरक्षण और अनुसंधान विभाग के साथ साझा किया। जांच के दौरान पता चला कि मकड़ी की यह प्रजाति आजतक ज्ञात किसी भी दूसरी ज्ञात प्रजातियों से मेल नहीं खाती है। टारेंटयुला से संबंधित है यह मकड़ी जॉर्जिया के पीडमोंट कॉलेज के डॉ रेबेका गॉडविन ने बताया कि यह मौजूदा जीनस यूमिडिया का हिस्सा है, जो टारेंटयुला से संबंधित है और इसे पहली बार 1875 में स्वीडिश एराएनोलॉजिस्ट टेमरलान थोरेल द्वारा वर्णित किया गया था। उन्होंने कहा कि मुझे कोई संदेह नहीं था कि यह एक नई प्रजाति थी। इस मकड़ी से संबंधित लेख ज़ूकेय जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
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