Monday, 28 June 2021

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वारसा पोलैंड के संपत्ति क्षतिपूर्ति नियमों में बदलाव को लेकर इजरायल ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। जिसके जवाब में पोलैंड ने इजरायली राजदूत को तलब किया है। पोलैंड के इस ऐक्शन को देखते हुए इजरायल ने भी उसके राजदूत को बुलाकर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। इजरायल और यहूदी संगठनों का कहना है कि पोलैंड के इस कानून से होलोकास्ट और कम्युनिस्ट शासन के दौरान जब्त संपत्ति या मुआवजे के लिए यहूदी दावा नहीं कर सकेंगे। इजरायली राजदूत ने पोलैंड के उप विदेश मंत्री से मुलाकात की इजरायल के प्रभारी राजदूत ताल बेन-आरी याहलून ने सोमवार को पोलैंड के विदेश उपमंत्री पावेल जाबलोंस्की से मुलाकात की जिन्होंने कहा कि नए नियमों से संपत्ति दावे पर रोक नहीं है जिन्हें अदालतों के माध्यम से किया जा सकता है। पोलैंड ने यह भी कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पोलैंड पर कब्जा के दौरान नाजी जर्मनी द्वारा जब्त संपत्तियों के लिए वह जवाबदेह नहीं होगा। इ जरायल ने भी पोलैंड के राजदूत को तलब किया जाबलोंस्की ने बाद में कहा कि बेन-आरी यालून ने पिछले हफ्ते दूतावास की तरफ से जारी बयान को दोहराया जिसने नए नियमों को अनैतिक बताया और कहा कि उनका द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर असर होगा। इजरायल में पोलैंड के राजदूत मारेक मागीरोवस्की रविवार को इजरायल के विदेश मंत्रालय में गए और नए नियमों के बारे में जानकारी दी जिन्हें 2015 में एक शीर्ष सांविधानिक अदालत के फैसले के मुताबिक बनाया गया है। मालिकाना हक वाले कानून में बदलाव ला रहा पोलैंड पोलैंड की संसद 30 वर्षों के बाद मालिकाना हक एवं अन्य प्रशासनिक निर्णयों से रोकने के लिए बदलाव ला रही है। इसने कहा कि यह क्षतिपूर्ति प्रक्रिया के दौरान धोखाधड़ी एवं अनियमितता के कारण ये बदलाव किए जा रहे हैं। बदलावों को सीनेट और राष्ट्रपति से मंजूरी मिलना जरूरी है। वर्ल्ड जेविश रेस्टीट्यूशन ऑर्गेनाइजेशन ने कहा कि वह पोलैंड के कानून से काफी निराश है। इस समूह के प्रमुख गिडोन टेलर ने कहा कि इस कानून से प्रभावित पोलैंड में घर या दुकान या फैक्टरी को जर्मनी ने नहीं लिया था, इसे पोलैंड ने लिया था। यह पोलैंड में है और इससे 70 वर्षों से अधिक समय से पोलैंड को फायदा हो रहा है। इस तथ्य को समझने का समय आ गया है और पोलैंड को इससे पीड़ित लोगों को न्याय देना चाहिए। द्वितीय विश्व युद्ध से पहले यूरोप में सबसे अधिक संख्या में यहूदी समुदाय पोलैंड में रहता था और यहां उसकी आबादी करीब 35 लाख थी। नाजी जर्मनी के हमले में मारे गए यहूदियों की संपत्ति पर विवाद नाजी जर्मनी के कब्जे के दौरान होलोकास्ट में अधिकतर यहूदी मारे गए और उनकी संपत्ति जब्त कर ली गई। विश्व युद्ध के बाद पोलैंड की कम्युनिस्ट सरकार ने वारसा एवं अन्य शहरों में उन संपत्तियों को और गैर यहूदियों की संपत्तियों को भी जब्त कर लिया। 1989 में कम्युनिस्ट सरकार के खात्मे के बाद क्षतिपूर्ति दावा का दरवाजा खुला।


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