अफगान फोर्सेज ने पुलिसकर्मी को छुड़ा लिया और लौटते वक्त यह काफिला एक बार फिर गोलियों का शिकार बना। दानिश ने अपनी फटॉग्रफी से दिखाया कि इस पूरी घटना के दौरान वह अकेले सिविलयन नहीं थे जो बीच में फंसे थे।
साल 2018 में रोहिंग्या शरणार्थियों पर रिपोर्टिंग के लिए रॉयटर्स के फोटोजर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी को पत्रकारिता का सबसे बड़ा पुलित्जर पुरस्कार मिला था, लेकिन दुनिया का इस निर्भीक रिपोर्टर की जांबाजी देखना अभी बाकी था। कुछ दिन पहले दानिश अफगानिस्तान के कंधार पहुंचे। यह वही इलाका है जो कभी तालिबान का हेडक्वॉर्टर हुआ करता था और आज एक बार फिर युद्ध जैसे हालात का गवाह बना है। दानिश दुनिया को दिखा रहे थे अफगान स्पेशल फोर्सेज का दम लेकिन आज उनकी वह कहानी उन्हीं की बहादुरी की दास्तां बयान कर रही है।
मिशन पर जुट गए दानिश
बीती 13 जुलाई को दानिश ने ट्वीट किया- ‘अफगान स्पेशल फोर्सेज, इलीट फाइटर देश की अलग-अलग फ्रंटलाइट पर तैनात हैं। मैं इन युवाओं के साथ कुछ मिशन्स के लिए आया हूं।’ आगे उन्होंने बताया कि सारा दिन एक कॉम्बैट मिशन में जूझने के बाद कंधार में एक रेस्क्यू मिशन के दौरान क्या हुआ। दानिश ने लिखा- ‘(इनका) मकसद एक जख्मी पुलिसकर्मी को कंधार शहर के बाहरी इलाके में तालिबान घुसपैठियों के चंगुल से सुरक्षित निकालना था जो 18 घंटे से कैद थे। यह जिला सरकार और तालिबान के बीच विवादित है।’ उन्होंने आगे बताया कि अब तक उन्हें भी बढ़ते तनाव का एहसास होने लगा था। अफगान सेना को तालिबान के हमले की आशंका थी और उनकी गाड़ी पर लगातार मशीनगन से गोलियां बरसाई जा रही थीं लेकिन अभी और कुछ होना भी बाकी था।
तालिबान ने किया हमला
जहां से पुलिसकर्मी को छुड़ाना था, उस जगह पर पहुंचते ही अफगान सेना और दानिश को ले जा रही Humvee पर रॉकेट से ग्रेनेड बरसने लगे। दानिश ने लिखा है, ‘तालिबान रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड्स (RPG) और दूसरे भारी हथियार इस काफिले के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा था जिसमें 3 Humvee तबाह हो गईं। तेजी से घूमती इन गाड़ियों के ऊपर गनर बैठे थे और वे संदिग्ध तालिबान लड़ाकों को निशाना बनाकर गोली चला रहे थे लेकिन उन्हें देख पाना मुश्किल था।’
और बरसने लगे रॉकेट
आखिर में जिस Humvee में दानिश बैठे थे, वह भी इस हमले का शिकार बनी। उन्होंने लिखा, ‘जिस Humvee में मैं दूसरे स्पेशल फोर्सेज के साथ बैठा था उस पर भी कम से कम 3RPG राउंड और दूसरे हथियारों से हमला किया गया।’ दानिश का कमिटमेंट और बहादुरी उनकी इस बात से पता चलती है- ‘मैं सुरक्षित रहने और रॉकेट के आर्मर प्लेट को निशाना बनाते हुए तस्वीर लेने के लिए लकी था...’। दानिश की गाड़ी पर हमला हो रहा था लेकिन उन्होंने अपने काम को आगे रखा।
The Humvee in which I was travelling with other special forces was also targeted by at least 3 RPG rounds and other… https://t.co/MwlIuPPbwA
— Danish Siddiqui (@dansiddiqui) 1626200616000
'...और फिर आराम'हमला अभी थमा नहीं था। अफगान फोर्सेज ने पुलिसकर्मी को छुड़ा लिया और लौटते वक्त यह काफिला एक बार फिर गोलियों का शिकार बना। दानिश ने अपनी फटॉग्रफी से दिखाया कि इस पूरी घटना के दौरान वह अकेले सिविलयन नहीं थे जो बीच में फंसे थे। कई आम अफगानियों के साथ सड़क के किनारे खड़ा एक बच्चा भी था।
लगातार मिशन कवर रहे दानिश अब थक चुके थे। उन्होंने जमीन पर आराम करते हुए अपनी एक तस्वीर शेयर की जिसके साथ लिखा- ‘15 मिनट का आराम लगातार 15 घंटे एक के बाद एक मिशन के बाद।’ तीन दिन बाद ही स्पिन बोल्डक में वह एक बार फिर अफगान सेना के साथ रिपोर्टिंग करने पहुंचे। एक बार फिर तालिबान ने उनके काफिले पर हमला किया और इस बार दानिश की किस्मत उन्हें बचा नहीं पाई। जंग और अन्याय के बीच फंसे हजारों बेगुनाहों की तस्वीर दुनिया के सामने लाने वाला योद्धा आखिरी नींद सो गया।
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