माले चीन और मालदीव में भारी भरकम कर्ज को लेकर तनावपूर्ण संबंधों के बीच दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने करीब दो साल बाद पहली बार बातचीत की है। मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलेह ने ट्वीट करके बताया कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी आज दोपहर में बातचीत हुई है। उन्होंने बताया कि इस दौरान दोनों देशों के बीच सहयोग को और ज्यादा बढ़ाने पर चर्चा हुई। दोनों नेताओं के बीच इस बातचीत को इस लिहाज से अहम माना जा रहा है क्योंकि करीब दो साल पहले दोनों नेताओं के बीच बातचीत की सार्वजनिक घोषणा हुई थी। सोलिह ने शी जिनपिंग को चीनी नववर्ष की बधाई दी थी, वहीं शी ने भी अपने मालदीव के समकक्ष को राष्ट्रपति बनने पर बधाई दी थी। इन दो वर्षो में मालदीव और चीन के बीच संबंध काफी खराब दौर से गुजरे हैं। कुल आय का 53 प्रतिशत हिस्सा कर्ज चुकाने में खर्च दोनों देशों के बीच विवाद का प्रमुख बिंदू चीन का भारी-भरकम कर्ज है। शी जिनपिंग के ड्रीम प्रॉजेक्ट बेल्ट एंड के नाम पर कर्ज के जाल में बुरी तरह से फंसे मालदीव को कर्ज चुकाने में पसीने छूट रहे हैं। हालत यह थी कि भारत को कोरोना काल में मालदीव की आर्थिक मदद करनी पड़ी थी। मालदीव की सरकार को अपनी कुल आय का 53 प्रतिशत हिस्सा कर्ज चुकाने में खर्च करना पड़ रहा है। इसमें से 80 फीसदी पैसा चीन को लौटाना पड़ रहा है। चीनी कर्ज के मकड़जाल में फंसे मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद का पिछले साल ट्विटर पर दर्द छलक उठा था। नशीद ने कहा था कि हम अपनी दादी मां की जूलरी बेचकर भी ड्रैगन का यह कर्ज नहीं चुका सकते हैं। वर्तमान समय में मालदीव की संसद के स्पीकर नशीद ने ट्वीट किया था, 'हम आज संसद (मजलिस) में वर्ष 2021 के बजट पर चर्चा कर रहे हैं। मालदीव के कर्ज का भुगतान अगले साल सरकार की कुल आय का 53 फीसदी होगा। कर्ज के इस भुगतान में से 80 फीसदी पैसा चीन को जाएगा। यह पूरी तरह से वहन करने योग्य नहीं है। अगर हम अपनी दादी मां की जूलरी भी बेच दें तो भी हम इस कर्ज का भुगतान नहीं कर सकते हैं।' चीन का 3.1 अरब डॉलर का भारी-भरकम कर्ज बता दें कि बेल्ट एंड रोड प्रॉजेक्ट के नाम पर पूरी दुनिया को कर्ज के जाल में फंसा रहा चीन अब अपने मकसद में पूरी तरह से सफल होता दिख रहा है। श्रीलंका के बाद अब भारत का एक और पड़ोसी देश एवं अभिन्न मित्र मालदीव चीन के कर्ज के पहाड़ तले दबता जा रहा है। मालदीव सरकार के मुताबिक देश पर चीन का 3.1 अरब डॉलर का भारी-भरकम कर्ज है। वह भी तब जब मालदीव की पूरी अर्थव्यवस्था करीब 5 अरब डॉलर की है। कोरोना संकट में अब मालदीव को डिफाल्ट होने का डर सता रहा है।
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