पेइचिंग चीन इन दिनों नई रणनीतिक के तहत दुनियाभर के देशों में जमीनों की खरीद कर रहा है। इस मिशन में लगी चीन की सरकारी एजेंसियां आक्रामक रूप से विदेशों में भूमि अधिग्रहण कर रही हैं। ये जमीनें एशिया और अफ्रीका के अलग-अलग देशों में खरीदी जा रही हैं। पिछले एक दशक में चीनी कंपनियों के जरिए विदेशों में खरीदी या लीज पर ली गई जमीनों का क्षेत्रफल श्रीलंका के कुल मैदानी भाग के बराबर है। अमेरिका और दूसरे कई देशों की कंपनियां चीन से इस मामले में कोसों पीछे हैं। प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा कर रहा चीन जापानी मीडिया निक्केई एशिया की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे में चिंताएं बढ़ रही हैं कि कहीं उभरते और विकासशील देशों की खाद्य और प्राकृतिक संसाधनों से स्रोत पर चीन का कब्जा न हो जाए। इन देशों पर चीन के कब्जे से सुरक्षा व्यवस्था की चिंता भी बढ़ गई है। विशेषज्ञों का दावा है कि अमेरिका, भारत, ब्रिटेन समेत अन्य बड़े देश चीनी खरीद की इस होड़ को महत्वहीन कहकर खारिज नहीं कर सकते। इससे भविष्य में इन देशों के ऊपर खतरा मंडरा सकता है। म्यांमार में केले की खेती में चीनी कंपनियां शामिल विदेशी निवेशकों के भूमि अधिग्रहण का अध्ययन करने वाले जापान के हिमेजी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हिदेकी हिरानो ने कहा कि इन देशों को चीनी कंपनियों के भूमि पर इस कब्जे को लेकर अपने कानूनों को और अधिक कड़ा कर देना चाहिए। उदाहरण के लिए म्यांमार के उत्तरी राज्य काचिन में केले की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। गैर-सरकारी और अन्य संगठनों के सर्वेक्षणों के अनुसार, चीनी कंपनियां क्षेत्र में केले की खेती में बड़े पैमाने पर शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, म्यांमार से केले का निर्यात 2013 में 1.5 मिलियन डॉलर से 250 गुना बढ़कर 2020 में 370 मिलियन डॉलर हो गया। इसमें से ज्यादातर उपज चीन जाती है। वियतनाम में रबर की खेती को प्रभावित कर रही चीनी कंपनी स्थानीय निवासियों का कहना है कि फरवरी में सैन्य तख्तापलट के बाद से काचिन में केले के बागानों का संचालन जारी है। ये म्यांमार सशस्त्र बलों के लिए कर राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। चीनी कंपनियों का यह कब्जा म्यांमार के अलावा कई दूसरे देशों में भी फैला हुआ है। वियतनाम के दक्षिण में स्थित बिन्ह फुओक प्रांत में रबर का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है। लेकिन, यह खेती अब चीन की प्रमुख पशुधन कंपनी न्यू होप लिउहे की गतिविधियों के कारण खतरे में है। वियतनाम में सूअर पाल रहा चीन यह चीनी कंपनी रबर का उत्पादन करने वाली 75 हेक्टेयर जमीन पर सूअरों के विशाल झुंड को पाल रही है। इस कंपनी का विस्तार अब वियतनाम के कई राज्यों में हो चुका है। इस कंपनी के देखादेखी वियतनाम सरकार भी बिन्ह फुओक में अपने सुअर फार्म का उपयोग कर रही है। यहां पाले गए सूअरों को मांस के लिए सबसे अधिक चीन निर्यात किया जा रहा है। इससे खेती के लायक जमीन पर चीन का कब्जा बढ़ता जा रहा है। इसका सीधा असर वियतनाम में रबर के उत्पादन पर पड़ रहा है। चीन ने दुनिया में 64.8 लाख हेक्टेयर जमीन खरीदी यूरोपीय भूमि निगरानी संगठन लैंड मैट्रिक्स के अनुसार, चीनी कंपनियों ने 2011 से 2020 तक दुनिया भर में कृषि, जंगल और खनन के लिए 64.8 लाख हेक्टेयर भूमि पर नियंत्रण हासिल कर लिया है। इसके विपरीत ब्रिटिश कंपनियों के पास बाहरी देशों में 15.6 लाख हेक्टेयर, अमेरिकी कंपनियों के पास 8.6 लाख हेक्टेयर और जापानी कंपनियों के पास 4.2 लाख हेक्टेयर जमीन ही है। चीन की घरेलू मांग को पूरा कर रही कंपनियां चीन आर्थिक विकास के कारण घरेलू मांग में आई तेजी को पूरा करने के लिए तेजी से विदेशों में भूमि अधिग्रहण कर रहा है। विदेशों में जमीन हासिल करने से इन व्यवसायों को प्राकृतिक संसाधनों तक स्थिर पहुंच भी मिल रही है। जिसका भरपूर दोहन कर यह कंपनियां चीन तक इन देशों में बने उत्पादों को पहुंचा रही हैं। कांगो से चीनी कंपनी वान पेंग बड़ी मात्रा में लकड़ी को चीन भेज रही है। इसके अलावा दुनियाभर के कई देशों में चीनी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर खानों को खरीदा है।
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